Kisan :कम पानी वाली ज़मीन पर भी अच्छी पैदावार देती है सरसो की यह उन्नत किस्मे, 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक देती है उपज

3 Min Read
खबर शेयर करें

Kisan news :कम पानी वाली ज़मीन पर भी अच्छी पैदावार देती है सरसो की यह उन्नत किस्मे, 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक देती है उपज। सरसो तेल की मांग साल भर बनी रहती है और सरसों प्रमुख तिलहन फसल है. हम खाद्य तेलों के बड़े आयातक हैं इसलिए सरसों की खेती किसानों के लिए अन्य फसलों की अपेक्षा ज्यादा कमाई देने वाली फसल मानी जा सकती है. इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही कोई बड़ा रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. सरसों की खेती में पानी की कम आवश्यकता होती हैं सरसों के तेल का लगभग सभी घरों में उपयोग किया जाता है. इस वजह से इसका रेट अच्छा मिलता है. बाजार में इसकी हमेशा मांग बनी रहती हैं. ऐसे में किसान इसकी खेती कर अच्छी कमाई कर सकते हैं. इसकी खेती राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, गुजरात, आसाम, झारखंड, बिहार और पंजाब में की जाती है. आइये जानते है इसके बारे में.

सरसो की उन्नत किस्मे

image 1023

सरसों की बुवाई का उपयुक्त समय सितंबर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के प्रथम सप्ताह तक माना जाता है. किसानों को खेती में लाभ हो इसलिए सरसों की कई किस्में विकसित की गई हैं. हमेशा ज्यादा उत्पादन देने वाली किस्मों का चयन करें. अपने क्लाइमेटिक जोन के हिसाब से किस्मों का चयन करें, वरना नुकसान हो सकता है. 

राज विजय सरसों-2 सरसो की किस्म: सरसों की ये किस्म मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के इलाकों के लिए उपयुक्त मानी जाती है. इस किस्म की फसल 120 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है.अक्टूबर में बुवाई करने पर 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार मिलती है. इसमें तेल की मात्रा 37 से 40 प्रतिशत तक होती है.  यानी तेल की रिकवरी अच्छी है. 

सरसो की यह उन्नत किस्मे,

 पूसा सरसों 27 सरसो की किस्म: सरसो की ये किस्म अगेती बुवाई के लिए भी उपयुक्त है. फसल 125 से 140 दिनों में पककर तैयार होती है.इस किस्म की खेती से  तेल की मात्रा 38 से 45 प्रतिशत तक मिलती है. इस किस्म की उत्पादन क्षमता 14 से 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

पूसा महक सरसो की किस्म: सरसों की पूसा महक किस्म उत्तर पूर्वी और पूर्वी राज्यों में सितंबर की बुवाई के लिए अधिक उपयुक्त पाई गई है. इसकी किस्म की खेती राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, असम, उडीसा, झारखंड में की जा सकती है. इस किस्म से 17.5 क्विंटल प्रति हैक्टेयर पैदावार प्राप्त की जा सकती है. इस किस्म के बीजों में तेल की मात्रा 40 प्रतिशत होती है. इस किस्म को पककर तैयार होने में करीब 118 दिन का समय लगता है.


खबर शेयर करें
Share This Article
Follow:
नमस्ते! मैं कपिल पाटीदार हूँ। सात साल से मैंने खेती बाड़ी के क्षेत्र में अपनी मेहनत और अनुभव से जगह बनाई है। मेरे लेखों के माध्यम से, मैं खेती से जुड़ी नवीनतम तकनीकों, विशेषज्ञ नुस्खों, और अनुभवों को साझा करता हूँ। मेरा लक्ष्य है किसान समुदाय को सही दिशा में ले जाना और उन्हें बेहतर उत्पादकता के रास्ते सिखाना।