खरबूजे की खेती से संबंधित जानकारी
गर्मी का मौसम चल रहा है और गर्मी के मौसम में ज़्यादा बिकने वाले फल खरबूज और तरबूज हैं। किसान भाई गेहूं, चना, मक्का और धान की फसलों की खेती के अतिरिक्त फल और सब्जियों की खेती से भी अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। गर्मी के मौसम में खाली पड़ी ज़मीन का उपयोग करना हो तो खरबूज और तरबूज बेहतर विकल्प हैं। खरबूज और तरबूज गर्मी में ज़्यादा बिकने वाले फल हैं।
किसान भाई रबी की फसल को मार्च-अप्रैल में काटने और खेत खाली करने में लगे हैं और इसके बाद खेत खाली रहेंगे और ज़्यादातर किसान अब अगली फसल की बुवाई बारिश के मौसम में करेंगे, इसलिए किसान खाली खेत में खरबूज और तरबूज की खेती करके मुनाफा ले सकते हैं। किसान भाई ज़ायद सीजन में खरबूजे की खेती करके काफ़ी अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। किसान भाइयों को खरबूजे की उन्नत किस्मों की जानकारी होना आवश्यक है। आइए, खरबूजे की उन्नत 5 किस्मों से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।
खरबूजे की उन्नत 5 किस्में
खरबूजे की ऐसी बहुत-सी उन्नत किस्में हैं, जिससे कम लागत में अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। खरबूजे की उन्नत 5 किस्में इस प्रकार हैं:
(1) हरा मधु किस्म
खरबूजे की हरा मधु किस्म में फल का औसत भार 1 किग्रा तक होता है। इस किस्म का फल 2 से 3 सेमी मोटा, पकने पर फल का रंग हल्का पीला, गूदा का रंग हल्का हरा, धारीदार (हरे रंग की धारियां) एवं रसीला होता है।
(2) मधुरस किस्म
खरबूजे की मधुरस किस्म में फल का औसत भार 700 ग्राम तक होता है। इस किस्म के फल गोल, चपटे, फल का रंग गहरा हरा, गूदा का रंग नारंगी होता है। खरबूजे की मधुरस किस्म में एक बेल पर लगभग 4 से 5 फल होते हैं।
(3) पंजाब सुनहरी किस्म
खरबूजे की पंजाब सुनहरी किस्म में फल गोलाकार, पकने पर रंग हल्का पीला, गूदा का रंग नारंगी और रसदार होता है। इस किस्म में लता की लंबाई मध्यम होती है।
(4) शरबती (S-445) किस्म
खरबूजे की शरबती (S-445) किस्म में फल गोल, मध्यम आकार, छिलके का रंग हल्का गुलाबी और जालीदार, गूदा का रंग नारंगी एवं मोटा होता है। खरबूजे की शरबती (S-445) किस्म में एक बेल पर लगभग 3 से 4 फल होते हैं।
(5) I.V.M.M.3 किस्म
खरबूजे की I.V.M.M.3 किस्म में फल का औसत भार 500 से 600 ग्राम तक होता है। इस किस्म के फल के पकने पर रंग हल्का पीला, गूदा का रंग नारंगी, धारीदार और मीठा होता है।
खरबूजे की बुवाई कैसे की जाए?
अधिक ठंडे प्रदेशों में खरबूजे के बीजों की रोपाई अप्रैल और मई के माह में की जानी चाहिए। खरबूजे की खेती में बुवाई पौधों और बीज दोनों ही तरीकों से की जा सकती है। खरबूजे की बुवाई के लिए नालियों का निर्माण किया जाता है और बीजों की बुवाई नाली के किनारों पर बनी मेड़ों पर की जाती है।
यदि दूरी की बात की जाए तो नालियों की चौड़ाई 30 से 40 सेमी और बीजों की बुवाई 50 से 60 सेमी की दूरी पर करनी चाहिए। बीजों को क्यारियों और नालियों में 2 से 3 सेमी की गहराई में बोया जाता है तथा बीजों को 2 फीट की दूरी पर बोना चाहिए। बीजों को रोग से बचाने हेतु बीज को बोने से पहले उनका थिरम या कैप्टान द्वारा उपचार कर लेना चाहिए। 1 हेक्टेयर खेत में लगभग 1 से 2 किलो बीज की आवश्यकता होती है।
खरबूजे की खेती में लागत और प्राप्त होने वाला लाभ
- खरबूजे के 1 हेक्टेयर खेती पर लगने वाली लागत:
- 3 से 5 किग्रा बीज – लगभग 1000 रुपये
- खेत तैयारी – लगभग 3000 रुपये
- रोपाई एवं खाद – 6000 रुपये
- तुड़ाई पर मज़दूरी – 3000 रुपये
- कुल खर्च – लगभग 13000 रुपये
- खरबूजे की खेती से प्राप्त उपज:
- प्रति हेक्टेयर 200 से 250 क्विंटल
- बाजार में खरबूजे का भाव प्रति किग्रा 15 से 20 रुपये
- इसके अतिरिक्त बीज – प्रति हेक्टेयर 6 क्विंटल
- बीज का भाव – प्रति क्विंटल लगभग 15000 रुपये
इस प्रकार खरबूजे की एक बार की फसल से 3 से 4 लाख रुपये और बीजों से 77 हज़ार तक का मुनाफ़ा कमा सकते हैं।
खरबूजे की खेती के लिए सरकार की ओर से मिलती है सब्सिडी
खरबूजे की खेती के लिए सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है। केंद्र और राज्य सरकार किसान भाइयों को कृषि यंत्रों, फसलों और अन्य कृषि संबंधित कार्यों में सहायता प्रदान करती हैं।