खजूर की खेती : किसान भाइयों के लिए खजूर की खेती फायदे का सौदा , होगा भरपूर मुनाफा

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जानिए , खजूर की खेती से संबंधित जानकारी

किसानों द्वारा परंपरागत खेती के अतिरिक्त अन्य खेती भी की जाने लगी हैं।

परंपरागत खेती का अर्थ एक ऐसी फसल से हैं जिसकी खेती किसान प्राचीन वर्षो से कर रहा है। किसान इन परंपरागत फसलों की खेती के साथ इन कुछ विशेष फसल की खेती करें ताकि अधिक लाभ मिल सके। इससे किसानों की आय में भी वृद्धि हो रही हैं। इसी क्रम में किसान खजूर की खेती करके काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं। खजूर की खेती की खासियत यह हैं कि इसकी खेती खारे पानी और बंजर भूमि में भी की जा सकती हैं। इसका सबसे अच्छा उदाहरण राजस्थान राज्य हैं। राजस्थान राज्य में कई स्थानों पर पानी में अधिक मात्रा में TDS पाई जाती हैं। इसके बाद भी यहां के किसान खजूर की खेती करके काफी अच्छी कमाई कर रहे हैं। किसानों को राज्य सरकार की ओर से खजूर की खेती के लिए सब्सिडी भी प्रदान की जाती हैं। खजूर की खेती किसान भाइयों के लिए फायदेमंद हो सकती हैं। आइए , खजूर की खेती से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।

खजूर की खेती स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद

खजूर की खेती किसान भाइयों के लिए आर्थिक रूप से लाभदायक होने के साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हैं। खजूर में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे – मैग्नीशियम , पोटेशियम , कॉपर , आयरन की 8% मात्रा , फाइबर की 8% मात्रा और कार्बोहाइड्रेट की 75% मात्रा पाई जाती हैं। इसके अतिरिक्त खजूर में भरपूर मात्रा में विटामिन B6 भी पाया जाता हैं।
खजूर में पाए जाने वाले कॉपर और आयरन शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को सही करते हैं। खजूर का सेवन नियमित रूप से करने से कब्ज की समस्या दूर होती हैं और पाचन तंत्र भी सही रहता हैं। सर्दियों के मौसम में अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती हैं। खजूर खाने से शरीर को आवश्यक मात्रा में ऊर्जा की प्राप्ति हो जाती हैं। खजूर में आवश्यक पोषक तत्व होने के कारण इसका सेवन मुख्य रूप से सर्दी के मौसम में किया जाता हैं। इस प्रकार खजूर की खेती आर्थिक और स्वास्थ्य दोनों रूप में फायदेमंद हैं।

खजूर की उन्नत किस्में 

खजूर की कई उन्नत किस्में हैं जैसे – हिल्लावी , खदरावी , जामली , बरही और खुनेजी आदि।
खजूर की खेती में खजूर के मादा पौधे प्रति हेक्टेयर 148 होने पर नर पौधे प्रति हेक्टेयर 8 होना आवश्यक हैं। इस प्रकार खजूर की खेती में प्रति हेक्टेयर मादा और नर पौधों का अनुपात 148 : 8 रखा जाता हैं।

खजूर की खेती कैसे की जाए??

खजूर की खेती में खजूर की शाखा से भी इसका रोपण किया जा सकता हैं। खजूर के शाखा से लगाए गए पौधे में वह समस्त गुण आते हैं जिस पौधे से शाखा ली जाती हैं। खजूर की खेती में सामान्य रूप से खजूर के बीज को ही लगाया जाता हैं। हमारे देश में अधिकांश रूप से खजूर के बीज को ही लगाया जाता हैं। खजूर के बीज को लगाने के लिए पहले नर्सरी में पौधा तैयार किया जाता हैं इसके पश्चात् पौधा जब खेत में रोपण के लिए तैयार हो जाता हैं तब उसे खेत में लगाया जाता हैं। किसान भाई यदि स्वयं खजूर की नर्सरी तैयार नहीं कर सकते हैं तब सरकारी नर्सरी से भी स्वस्थ खजूर के पौधे लाकर लगा सकते हैं।

खजूर की खेती से प्राप्त होने वाली कमाई 

खजूर की खेती में प्रति एकड़ लगभग 70 खजूर के पौधे लगा सकते हैं। खजूर की खेती में प्रति वर्ष प्रति पेड़ 50 हजार तक की कमाई की जा सकती हैं। इस प्रकार किसान भाई यदि खजूर के 10 पेड़ लगाते हैं तो उन्हें खजूर की खेती से वार्षिक 5 लाख रुपए तक की कमाई हो सकती हैं। यदि किसान इससे अधिक खजूर के पेड़ लगाते हैं तो उन्हें और भी अधिक आय प्राप्त हो सकती हैं। 

खजूर की खेती के लिए मिलने वाली सब्सिडी 

खजूर की खेती के लिए राजस्थान सरकार द्वारा किसानों को राष्ट्रीय कृषि योजना (National agricultural scheme) के तहत सब्सिडी भी दी जाती हैं। राष्ट्रीय कृषि योजना के तहत किसान भाइयों को टिश्यू कल्चर तकनीक एवं ऑफशूट तकनीक (अंकुर तकनीक) का प्रयोग करके उत्पादित खजूर के पौधों के रोपण के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती हैं। इस स्थिति में किसान भाई टिश्यू कल्चर तकनीक एवं ऑफशूट तकनीक का प्रयोग करके ही खजूर की खेती करें। किसान भाइयों को राज्य सरकार की ओर से इस पर 75% सब्सिडी प्रदान की जाती हैं। किसान भाइयों को सरकार की ओर से खजूर की खेती के लिए समय-समय पर आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं।

खजूर की खेती से संबंधित वर्तमान जानकारी

  • राजस्थान, गुजरात और हरियाणा जैसे राज्यों में खजूर की खेती अब तेजी से बढ़ रही है, और केंद्र सरकार ने इसे प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत शामिल किया है, जिससे जल संरक्षण के साथ-साथ बेहतर सिंचाई तकनीक को बढ़ावा मिल रहा है।
  • भारतीय खजूर अनुसंधान संस्थान, जो कि बीकानेर (राजस्थान) में स्थित है, अब किसानों को ऑनलाइन प्रशिक्षण और उन्नत किस्मों के बीज भी उपलब्ध करवा रहा है।
  • कुछ नई किस्में जैसे “Medjool” और “Deglet Noor” अब भारत में भी सफलतापूर्वक उगाई जा रही हैं, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत मांग में हैं।
  • ई-कॉमर्स और स्थानीय मंडियों के माध्यम से खजूर की सीधी बिक्री से किसानों की आय में वृद्धि देखी जा रही है।
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