जानिए, जायद मूंग की विशेषताएं और लाभ
वर्तमान में किसानों द्वारा परंपरागत खेती के साथ अन्य खेती भी की जाने लगी है। रबी की फसलों की कटाई के पश्चात् खेत खाली हो जाएंगे। किसान इन खाली खेत में जायद मूंग की खेती करके काफी अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। दलहनी फसलों की बात करें तो मूंग की फसल एक मुख्य फसल है, जिसको रबी, खरीफ और जायद तीनों मौसम में उगाया जा सकता है। मिट्टी की सेहत में सुधार के लिए कई किसान गेहूं की कटाई के पश्चात् खाली खेत में दलहन फसलों की बुवाई करते हैं। रबी और खरीफ सीजन के बीच के अंतराल में जायद की फसलों की बुवाई करके काफी अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। यदि सिंचाई की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध हो, तब किसान भाई मूंग की बुवाई करके भरपूर मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। मूंग में भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है, साथ ही यह मिट्टी के लिए भी लाभदायक होता है। मूंग की फसल से जब फलियों की तुड़ाई कर ली जाती है, उसके पश्चात् मिट्टी पलटने वाले हल का प्रयोग करके फसल को पलट देने से मूंग की फसल हरी खाद के रूप में कार्य करती है, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। उचित तरीके से की गई खेती से मूंग की फसल से काफी अच्छा मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है। मूंग की कई किस्में हैं, जिसमें कुछ उन्नत किस्में भी हैं, जिनकी जानकारी किसान भाइयों को होना आवश्यक है। आइए, मूंग की उन्नत 5 किस्मों से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।
जायद मूंग की उन्नत 5 किस्में
(1) मूंग की मोहिनी किस्म
मूंग की मोहिनी किस्म की खेती जायद सीजन में की जा सकती है। मूंग की यह किस्म पीला मोज़ेक रोग के प्रति सहनशील है। इस कारण मूंग की इस किस्म की बुवाई से फसल को ज्यादा नुकसान नहीं होता है। मूंग की मोहिनी किस्म से प्राप्त उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 10 से 12 क्विंटल है। मूंग की मोहिनी किस्म के पकने की अवधि लगभग 70 से 75 दिन है।
(2) मूंग की पूसा वैसाखी किस्म
मूंग की पूसा वैसाखी किस्म से प्राप्त उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 8 से 10 क्विंटल है। मूंग की पूसा वैसाखी किस्म के पकने की अवधि लगभग 60 से 70 दिन है।
(3) मूंग की कृष्ण 11 किस्म
मूंग की कृष्ण 11 किस्म मूंग की अगेती बुवाई के लिए उपयुक्त किस्म है। मूंग की कृष्ण 11 किस्म से प्राप्त उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 10 से 12 क्विंटल है। मूंग की कृष्ण 11 किस्म के पकने की अवधि लगभग 65 से 70 दिन है।
(4) पंत मूंग 1 किस्म
मूंग की पंत मूंग 1 किस्म की बुवाई जायद और खरीफ दोनों सीजन में की जा सकती है। मूंग की पंत मूंग 1 किस्म से प्राप्त उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 10 से 12 क्विंटल है। मूंग की पंत मूंग 1 किस्म के पकने की अवधि जायद सीजन में 65 दिन और खरीफ सीजन में 70 दिन है।
(5) पंत मूंग 3 किस्म
मूंग की पंत मूंग 3 किस्म मूंग की गर्मी में बुवाई के लिए उपयुक्त किस्म है। मूंग की यह किस्म पीला मोज़ेक और पाउडरी मिल्ड्यू रोग के प्रति सहनशील है। मूंग की पंत मूंग 3 किस्म के पकने की अवधि लगभग 60 से 70 दिन है।
जायद मूंग की बुवाई के लिए बीजों की मात्रा और बीजोपचार
मूंग की खेती में उन्नत किस्म के बीजों का प्रयोग करें, जिससे अधिक पैदावार प्राप्त हो सके। मूंग की खेती में बीजों की मात्रा प्रति हेक्टेयर लगभग 25 से 30 किग्रा होना चाहिए, ताकि पौधों की संख्या चार से साढ़े चार लाख तक हो जाए। मूंग की खेती में बीजों को बुवाई से पूर्व उपचारित कर लेना चाहिए। इसके लिए फफूंद नाशक दवा और कल्चर से बीजों को उपचारित करें। इसके लिए प्रति किलोग्राम बीज में राइजोबियम और PSB कल्चर की लगभग 10 ग्राम मात्रा से बीजों को उपचारित करें। फफूंद नाशक दवा से बीजों को उपचारित करने के लिए प्रति किलोग्राम बीज में थाईरम की लगभग 2 ग्राम मात्रा और कार्बेन्डाजिम की लगभग 1 ग्राम मात्रा का प्रयोग करें। बीजों को उपचारित करने के पश्चात् बीजों को छांव में सुखाकर बुवाई करें। जायद सीजन में मूंग की बुवाई के लिए प्रति एकड़ पोटाश की 8 किग्रा मात्रा, गंधक की 8 किग्रा मात्रा, नत्रजन की 8 किग्रा मात्रा और स्फुर की 20 किग्रा मात्रा का प्रयोग करें।
ग्रीष्म कालीन मूंग के लिए खेत कैसे तैयार किया जाए?
मूंग की खेती में सबसे पहले खेत को तैयार करें। इसके लिए खेत की दो से तीन बार हल की सहायता से गहरी जुताई कर लें। खेत को समतल बनाने के लिए पाटा का उपयोग करें। खेतों में दीमक से बचाव के लिए प्रति एकड़ में प्रति किलोग्राम एल्ड्रिन 5% चूर्ण को अंतिम जुताई के पहले भुरकाव करके मिट्टी में मिला दें। इसके पश्चात् तैयार खेत में मूंग की बुवाई करें।