जरबेरा की खेती : जरबेरा की खेती से कमाएं लाखों रुपए , जानिए संपूर्ण जानकारी

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जानें, क्या है जरबेरा और कैसे शुरू करें इसकी खेती

किसान अपनी पारंपरिक फसलों के साथ-साथ फूलों की खेती से भी शानदार मुनाफा कमा सकते हैं। फूलों में जरबेरा की खेती किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बन सकती है। आजकल कई किसान जरबेरा की खेती (Gerbera cultivation) से काफी अच्छा लाभ कमा रहे हैं। खास बात यह है कि सरकार किसानों को इस फूल की खेती के लिए 50 प्रतिशत तक सब्सिडी (subsidy) देती है, जिससे कम लागत पर भी यह खेती फायदेमंद साबित हो सकती है। बड़े शहरों में इसकी भारी मांग है, जिससे यह खेती किसानों के लिए एक लाभकारी स्रोत बन सकती है। शहरों और महानगरों में इसकी मांग काफी ज्यादा है, ऐसे में जरबेरा की खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ और यूपी के कई किसान जरबेरा की खेती करके काफी अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं। एक आंकड़ों के अनुसार किसान जरबेरा की खेती से प्रति एकड़ सालाना 10 से 12 लाख रुपए की आय प्राप्त कर सकते हैं।

जरबेरा क्या है (What is Gerbera)?

जरबेरा एक सुंदर सजावटी फूल है जिसे विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे गरबेरा डेज़ी, गेरबर डेज़ी, अफ्रीकी डेज़ी, और ट्रांसवाल डेज़ी। इसका वैज्ञानिक नाम Gerbera jamesonii है। यह एस्टरेसिया परिवार का सदस्य है और एक बारहमासी, वार्षिक और शाकीय पौधा होता है। परिपक्व होने पर इसका पौधा लगभग 12-18 इंच लंबा और 12-15 इंच चौड़ा हो जाता है। जरबेरा के फूल विभिन्न रंगों में होते हैं जैसे पीला, नारंगी, लाल, गुलाबी, सफेद और लैवेंडर। इसका मूल क्षेत्र अफ्रीका है।

जरबेरा की खेती पर मिलने वाली सब्सिडी

राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना और संरक्षित खेती के तहत सरकार किसानों को पॉली हाउस तकनीक से फूलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। जरबेरा की खेती के लिए सरकार किसान को पॉली हाउस निर्माण और पौधरोपण पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी देती है। एक एकड़ में लगभग 26,000 पौधे लगाए जा सकते हैं।

जरबेरा की खेती की प्रक्रिया

जरबेरा की खेती के लिए पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करें। फिर एक मीटर चौड़ी और 30 सेंटीमीटर ऊँची बेड तैयार करें। इसके बाद, बेड में मिश्रण डालें, जिसमें रेत, नारियल का भूसा और गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट हो। फिर पौधों की रोपाई करें।

खेत में खाद और पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखें, जैसे कि 20 टन वर्मी कम्पोस्ट और 40 किलो पोटाश व फास्फोरस प्रति एकड़। बुवाई के बाद 4-5 हफ्ते बाद नाइट्रोजन का इस्तेमाल करें। खेत में खरपतवार पर नियंत्रण करने के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें। पौधों की रोपाई से पूर्व मिट्टी की हल्की सिंचाई करें और पौधरोपण के पश्चात भी सिंचाई करें।

सर्दियों में इसकी 10 से 12 दिन के अंतराल में हल्की सिंचाई और गर्मियों में 6 से 7 दिन के अंतराल में आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करनी चाहिए। सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई सिस्टम का उपयोग करें। पौधों से फूल 3 महीने बाद निकलने शुरू हो जाते हैं। जरबेरा का पौधा 5 साल तक फूलों का उत्पादन देता है।

जरबेरा का पौधा कहां से मिलेगा?

किसान सरकारी और प्राइवेट नर्सरी से जरबेरा के पौधे प्राप्त कर सकते हैं। प्रत्येक पौधे की कीमत लगभग 30 से 40 रुपये होती है। इसके अलावा, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे अमेज़न से भी ये पौधे खरीदे जा सकते हैं।

जरबेरा की खेती में होने वाला खर्च

जरबेरा की खेती के लिए एक एकड़ में पॉली हाउस निर्माण पर लगभग 30 लाख रुपये खर्च आते हैं, जिसमें से सरकार 16.8 लाख रुपये का अनुदान देती है। पौध रोपण की कुल लागत करीब 28 लाख रुपये आती है, जिसमें से सरकार 14 लाख रुपये का अनुदान देती है।

जरबेरा की खेती से प्राप्त मुनाफा

जरबेरा की खेती से किसान सालाना 10 से 12 लाख रुपये तक की आय प्राप्त कर सकते हैं। शादी और धार्मिक आयोजनों के दौरान जरबेरा के फूल की कीमत 5 से 7 रुपये प्रति फूल तक पहुंच सकती है, जबकि सामान्य सीजन में इसकी कीमत 2.5 से 3 रुपये प्रति फूल होती है। इस फूल की डिमांड बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद आदि में अधिक है। शादी के सीजन में फूलों के गुलदस्ते और माला की अधिक मांग होने से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

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