गेहूं की MSP पर खरीद : गेहूं की MSP पर खरीद शुरू , किसानों को नहीं मिल रहा उचित मूल्य

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जानिए, गेहूं की MSP पर खरीद और बिक्री से संबंधित जानकारी

राज्य सरकार की ओर से गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद की जा रही है। हमारे देश के कई राज्यों में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 1 अप्रैल से खरीद शुरू हो गई है। पिछले सीजन में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल लगभग ₹2125 था। गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य इस वर्ष प्रति क्विंटल ₹2275 है जो पिछले वर्ष की तुलना में ₹150 अधिक है। इसके अतिरिक्त मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्य में गेहूं पर अधिलाभ (Bonus) की घोषणा की गई है। इसके बाद भी किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की बिक्री नहीं कर रहे हैं। किसान अपनी फसल की बिक्री व्यापारियों को कर रहे हैं। इसके पीछे सबसे मुख्य कारण गेहूं के बाजार भाव में वृद्धि है।

भारत सरकार ने रबी विपणन वर्ष 2025-26 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹2,425 प्रति क्विंटल निर्धारित किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में ₹150 अधिक है। मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों को अतिरिक्त प्रोत्साहन देने के लिए ₹125 प्रति क्विंटल का बोनस भी घोषित किया है। हालांकि, वर्तमान में मंडियों में गेहूं का बाजार मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक है, जिससे किसान अपनी फसल व्यापारियों को बेचने को प्राथमिकता दे रहे हैं। इस स्थिति में सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद का लक्ष्य पूरा करने में कठिनाई हो सकती है।

गेहूं के बाजार भाव में हुई अचानक तेजी

वर्तमान में उत्तर प्रदेश की मंडियों में गेहूं के बाजार भाव में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से काफी अधिक है। 2025 के आँकड़ों के अनुसार, गेहूं का औसत बाजार मूल्य ₹2803.95 प्रति क्विंटल है, जबकि न्यूनतम मूल्य ₹2300 और अधिकतम ₹3160 प्रति क्विंटल तक पहुँच गया है। यह वृद्धि MSP से लगभग 28% अधिक है, जिससे किसानों को बेहतर लाभ मिल रहा है। सरकार ने गेहूं का MSP ₹2275 से बढ़ाकर ₹2425 प्रति क्विंटल कर दिया है, और 1 मार्च 2025 से खरीद प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

इस स्थिति में, किसानों को मंडियों में अपनी फसल बेचने से अधिक लाभ मिल रहा है, जबकि सरकारी खरीद केंद्रों पर बिक्री कम हो रही है।

गेहूं के बाजार भाव में तेजी से किसानों में खुशी का माहौल

वर्ष 2025 में उत्तर प्रदेश की मंडियों में गेहूं के बाजार भाव में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिससे किसानों में उत्साह का माहौल है।

सरकार द्वारा गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹2275 से बढ़ाकर ₹2425 प्रति क्विंटल कर दिया गया है, और 1 मार्च 2025 से खरीद प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। हालांकि, मंडियों में गेहूं के बाजार भाव MSP से कहीं अधिक हैं, जिससे किसान मंडियों में अपनी फसल बेचने को प्राथमिकता दे रहे हैं।

किसानों के अनुसार, सरकारी खरीद केंद्रों पर पंजीकरण, टोकन प्राप्ति और फसल की तौल की प्रक्रिया में समय और प्रयास अधिक लगता है। इसके विपरीत, मंडियों में बिना किसी जटिलता के फसल की बिक्री संभव है, और उन्हें बेहतर मूल्य भी प्राप्त हो रहा है। इस स्थिति में, किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिल रहा है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो रही है। सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद का लक्ष्य पूरा करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि अधिकांश किसान मंडियों में ही अपनी फसल बेचने को प्राथमिकता दे रहे हैं। इस बाजार मूल्य पर फसल की बिक्री से किसानों को अच्छा लाभ प्राप्त होने की उम्मीद है।

गेहूं की खरीद का लक्ष्य पूर्ण करने में समस्या

वर्ष 2025 में अमेठी जिले में गेहूं की सरकारी खरीद प्रक्रिया 1 अप्रैल से शुरू हो चुकी है। सरकार ने इस वर्ष गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹2,425 प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। हालांकि, मंडियों में गेहूं के बाजार भाव MSP से अधिक होने के कारण कई किसान अपनी फसल निजी व्यापारियों को बेचने को प्राथमिकता दे रहे हैं। इससे सरकारी खरीद केंद्रों पर अपेक्षित मात्रा में गेहूं की आवक नहीं हो रही है, जिससे खरीद लक्ष्य को पूरा करने में कठिनाई हो रही है।

जिला प्रशासन ने किसानों को सरकारी खरीद केंद्रों पर फसल बेचने के लिए जागरूक करने के उद्देश्य से प्रचार-प्रसार शुरू किया है। तहसीलों और सार्वजनिक स्थानों पर बैनर लगाए गए हैं, और कृषि विभाग की सहायता से किसानों को मैसेज और कॉल के माध्यम से जानकारी दी जा रही है। हालांकि, खरीद केंद्रों का निर्धारण अभी पूर्ण नहीं हुआ है, जिससे किसानों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। यदि वर्तमान स्थिति बनी रहती है, तो सरकार को गेहूं की खरीद का निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है। किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने और सरकारी खरीद प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए प्रशासन को और अधिक प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।

उत्तर प्रदेश की प्रमुख मंडियों में गेहूं के भाव (13 अप्रैल 2025)

  • खतौली मंडी (मुजफ्फरनगर): ₹2400 – ₹2800 / क्विंटल
  • अलीगंज मंडी (एटा): ₹2500 – ₹2505 / क्विंटल
  • बबराला मंडी (बदायूं): ₹2440 – ₹2460 / क्विंटल
  • तुलसीपुर मंडी (बलरामपुर): ₹2720 – ₹2770 / क्विंटल
  • अछनेरा मंडी (आगरा): ₹2380 – ₹2550 / क्विंटल
  • अकबरपुर मंडी (अम्बेडकरनगर): ₹2500 – ₹2650 / क्विंटल
  • सफदरगंज मंडी (बाराबंकी): ₹2300 – ₹2380 / क्विंटल
  • बस्ती मंडी (बस्ती): ₹2425 – ₹2525 / क्विंटल
  • चंदोली मंडी (चंदौली): ₹2425 / क्विंटल
  • मुरादनगर मंडी (गाज़ियाबाद): ₹2450 – ₹2550 / क्विंटल
  • गाज़ीपुर मंडी (गाज़ीपुर): ₹2400 – ₹2460 / क्विंटल
  • उरई मंडी (जालौन): ₹2450 – ₹2500 / क्विंटल

राज्य स्तरीय औसत मूल्य (13 अप्रैल 2025)

  • औसत मूल्य: ₹2471.2 / क्विंटल
  • न्यूनतम मूल्य: ₹2300 / क्विंटल
  • अधिकतम मूल्य: ₹2800 / क्विंटल

गेहूं के भाव में तेजी के कारण

वर्तमान में गेहूं के बाजार भाव में तेजी का मुख्य कारण मंडियों में बढ़ती मांग और सरकारी खरीद की धीमी प्रक्रिया है। किसान अधिक मूल्य प्राप्त करने के लिए अपनी फसल मंडियों में बेच रहे हैं, जिससे सरकारी खरीद लक्ष्य को पूरा करने में कठिनाई हो रही है।

हरियाणा में भी शुरू हुई न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद

हरियाणा सरकार ने रबी सीजन 2025-26 के लिए गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद प्रक्रिया 1 अप्रैल 2025 से शुरू कर दी है। इस वर्ष गेहूं का MSP ₹2,425 प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। राज्य में कुल 417 खरीद केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहां चार प्रमुख एजेंसियाँ—HAFED (हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति और विपणन संघ लिमिटेड), HSWC (हरियाणा स्टेट वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन), FCI (भारतीय खाद्य निगम) और खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग—गेहूं की खरीद कर रही हैं।

किसानों को अपनी उपज MSP पर बेचने के लिए cfpp.nic.in पोर्टल पर पंजीकरण करना आवश्यक है। राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि फसल की खरीद के बाद 48 से 72 घंटे के भीतर भुगतान सीधे किसानों के बैंक खातों में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किया जाएगा। इस वर्ष, पिछले वर्षों की तुलना में गेहूं की अधिक आवक की संभावना है। राज्य सरकार ने खरीद केंद्रों पर सभी आवश्यक व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की हैं ताकि किसानों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

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