पशु के चारे की किस्में : गर्मी में दुधारू पशुओं के लिए चारे की इन किस्मों की करें बुवाई , दूध की मात्रा में होगी वृद्धि

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जानिए, पशुओं के लिए हरा चारा बनाने का तरीका

पशुपालन के लिए अधिकांश रूप से गाय और भैंस का पालन किया जाता है। किसान पशुपालक पशुओं के लिए ऐसे आहार का प्रयोग करें जिसमें लागत कम होने के साथ पशुओं के दूध की मात्रा में वृद्धि हो सके। गर्मियों में दुधारू पशुओं के आहार में हरा चारा शामिल करना बहुत आवश्यक होता है। हरे चारे को खिलाने से पशु के दूध देने की क्षमता में कमी नहीं आती है। यदि गर्मियों में पशु के आहार में हरे चारे की मात्रा अधिक और सूखा दाना की मात्रा कम की जाए तो इससे काफी अच्छा परिणाम मिलता है। गर्मी के मौसम में हरा चारा पशुओं के लिए फायदेमंद होता है। हरा चारा पशुओं को स्वादिष्ट लगता है। हरा चारा पशुओं के लिए पौष्टिक होने के साथ ही पशु के दूध देने की क्षमता को भी बनाए रखता है। किसान भाई हरे चारे के रूप में ज्वार, मक्का, बरसीम, लोबिया और एजोला आदि की खेती करके हरे चारे की व्यवस्था कर सकते हैं। यदि किसान भाई ज्वार, मक्का आदि फसलों की खेती करते हैं तो उन्हें पूरे वर्ष भर हरे चारे की कमी नहीं होगी। इन फसलों की खेती से संबंधित संपूर्ण जानकारी किसान भाइयों को होना आवश्यक है। हरे चारे के रूप में इन फसलों की विभिन्न चारा किस्में हैं। किसान भाई गर्मी के मौसम के लिए उपयुक्त चारा किस्मों की बुवाई करें। आइए, पशु के चारे की विभिन्न किस्मों से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।

पशुओं के लिए विभिन्न चारा किस्में

ज्वार की चारा किस्में

गर्मी के मौसम में ज्वार की ऐसी किस्मों की बुवाई करनी चाहिए जिसमें H.C.N. के विषैली पदार्थ की मात्रा बहुत कम हो। किसान भाई हरे चारे के लिए ज्वार की बहु-कटाई वाली किस्मों का चयन करें ताकि पशुओं के लिए पूरे वर्ष चारे की व्यवस्था की जा सके। हरे चारे के रूप में ज्वार की इन उन्नत किस्मों से प्राप्त उत्पादन एक कटाई में प्रति हेक्टेयर लगभग 200 से 250 क्विंटल तक होता है। हरे चारे के रूप में ज्वार की बुवाई करने पर फसल के पकने की अवधि लगभग 50 से 60 दिन होती है।
ज्वार की उन्नत चारा किस्में: S.S.G.-59-3A, S.S.G.-988-898, P.C.23, J.C.69 और M.P.चरी आदि।

मक्का की चारा किस्में

मक्का का चारा पशुओं के लिए काफी अच्छा और मुलायम होता है। मक्के का चारा पशुओं को स्वादिष्ट लगता है। मक्का में हरे चारे के अतिरिक्त शिशु मक्का भी प्राप्त होती है। हरे चारे के रूप में मक्का की फसल की कटाई का कार्य 50% वाली अवस्था होने से पूर्व किया जाता है। हरे चारे के रूप में मक्का की उन्नत किस्मों से प्राप्त उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 400 से 450 क्विंटल तक होता है। हरे चारे के रूप में मक्का की बुवाई करने पर फसल के पकने की अवधि लगभग 50 से 55 दिन होती है।
मक्का की उन्नत चारा किस्में: J-1006, चारा-6 और अफ्रीकन टाल आदि।
मक्का की संकर चारा किस्में: किसान, विजय और गंगा-11 आदि।

लोबिया की चारा किस्में

लोबिया चारा पशुओं के लिए काफी लाभदायक होता है और दूध की मात्रा में वृद्धि में सहायक है। लोबिया की पत्तियां पशुओं को स्वादिष्ट लगती हैं। लोबिया एक प्रोटीन से भरपूर पौष्टिक हरा चारा होता है। लोबिया में प्रोटीन की मात्रा लगभग 17 से 48 % तक पाई जाती है। लोबिया की खेती मार्च से अप्रैल माह तक की जा सकती है। हरे चारे के रूप में लोबिया की इन उन्नत किस्मों से प्राप्त उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 300 से 325 क्विंटल तक होता है।
लोबिया की उन्नत चारा किस्में: U.P.C.- 4200, U.P.C.- 5286, E.C.-4216, I.G.F.R.I.-450, इगफ्री-450, बुंदेललोबिया-2, जांइट और कोहिनूर आदि।

पशुओं के लिए पोष्टिक आहार कैसे तैयार करें?

पशुओं के लिए पोष्टिक आहार तैयार करने के लिए किसान भाइयों को हरे चारे के रूप में ज्वार, मक्का और लोबिया के पतले तने की कटाई पकने से पूर्व ही कर लेना चाहिए। इसके पश्चात् इन पतले तने के छोटे-छोटे टुकड़े कर लेना चाहिए। इसके पश्चात् इन कटे हुए टुकड़ों को लगभग 15 से 18 % नमी रहने तक सुखाए। सूखने के पश्चात् जब तना टूटने लगे तब इस चारे को अच्छी तरह से पैक करके सुरक्षित स्थान पर रख देना चाहिए। अब इस चारे को पशुओं के लिए प्रतिदिन आहार के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

पशुओं के लिए पोष्टिक आहार में एजोला का करें प्रयोग

अजोला एक प्रकार का जलीय फर्न है जो कि पानी पर हरे रंग की परत जैसा दिखाई देता है। इस फर्न के नीचे वाले भाग में ब्लू ग्रीन एल्गी साइनोबैक्टीरिया पाया जाता है जो वायुमंडल की नाइट्रोजन को परिवर्तित कर देता है और इसकी परिवर्तन करने की क्षमता लगभग प्रति हेक्टेयर 25 किलोग्राम तक होती है। अजोला सम शीतोष्ण जलवायु में पाया जाता है। अजोला अधिकांश रूप से धान के खेतों में दिखाई देता है। इसके अतिरिक्त यह छोटे-छोटे पोखर या तालाबों में जहां पानी इकट्ठा होता है, वहां पानी की सतह पर यह दिखाई देता है।
अजोला में कार्बोहाइड्रेट और वसा की बहुत कम मात्रा पाई जाती है। अजोला पशु आहार के लिए बहुत उपयोगी होता है। अजोला को पचाना आसान होता है। अजोला दुधारू पशुओं के लिए उत्तम आहार है क्योंकि अजोला को चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है जो पशुओं, मुर्गी और मछली पालन में उपयोगी होता है। वही सूखे अजोला का उपयोग पोल्ट्री फीड के रूप में किया जाता है। मछली का उत्तम आहार हरा अजोला होता है। हमारे देश में अजोला की 7 से 8 किस्में पाई जाती हैं जिसमें junwer29 किस्म सबसे अच्छी किस्म है।

पशु आहार के लिए अजोला कैसे तैयार करें?

पशु आहार के लिए अजोला तैयार करने के लिए किसान पशुपालक छांव वाले स्थान पर लगभग 60X10X2 मीटर आकार वाली क्यारी का निर्माण करें। इस क्यारी में 120 गेज की सिलपुटिन शीट को बिछाकर ऊपर के किनारों पर मिट्टी का लेप कर दें। सिलपुटिन शीट की जगह किसान पशुपालक पक्का निर्माण करके भी क्यारी को तैयार कर सकते हैं। अब क्यारी में साफ उपजाऊ मिट्टी की 80 से 100 किग्रा मात्रा की परत बिछा दें। अब इसमें दो दिन पुराना गोबर की 5 से 7 किग्रा मात्रा को 10 से 15 लीटर पानी में घोल बनाकर मिट्टी में फैला दें। इसके पश्चात् क्यारी में पानी की 400 से 500 लीटर मात्रा भर दें ताकि क्यारी में पानी की गहराई लगभग 10 से 15 सेमी तक रह जाए। अब पानी में अच्छी तरह गोबर की खाद और उपजाऊ मिट्टी को मिलाकर दें। इसके पश्चात् इस मिश्रण पर ताजा एजोला की लगभग 2 किग्रा मात्रा फैला दें। अजोला अपनी सही स्थिति में आ जाए इसके लिए पानी की 10 लीटर मात्रा का एजोला पर छिड़काव करें। अब अजोला की वृद्धि के लिए क्यारी को 15 से 20 दिन तक 50 % नायलॉन जाली से ढ़ककर छोड़ दें। 15 से 20 दिन पश्चात् 21 वें दिन से एजोला की लगभग 15 से 20 किग्रा मात्रा प्रतिदिन प्राप्त की जा सकती है। प्रतिदिन एजोला की लगभग 15 से 20 किग्रा मात्रा प्राप्त करने के लिए गोबर का घोल लगभग 50 किग्रा और सुपरफॉस्फेट की 20 ग्राम मात्रा को प्रत्येक माह क्यारी में मिलाना चाहिए।

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