कपास का समर्थन मूल्य 10,000 के किया जाएगा, किसानों की मांग पर सरकार ने क्या कहा

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Cotton MSP 2023: किसानों का कहना है कि उपज के लिए दी जाने वाली अपेक्षाकृत ऊंची कीमतें बढ़ी हुई इनपुट लागतों की भरपाई नहीं कर पाई हैं और खराब गुणवत्ता वाले बीज और कीट (poor quality seeds and pests) के कारण भी उनकी फसल संकट में है।

Cotton MSP 2023: केंद्र सरकार ने कहा है कि वह देश में कपास उत्पादन परिदृश्य को देख रहा है और इसकी मांग के अनुसार यह कपास पर मिलने वाली न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि के बारे में विचार करेगा। मीडिया में छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक़ केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी कपास की घरेलू कीमतें एमएसपी से अधिक हैं। “कीमतों में गिरावट आने पर एमएसपी परिचालन शुरू किया जाएगा। इस समय यह आवश्यक नहीं है, हम MSP की मूल्य निर्धारित करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

कपास का मूल्य एमएसपी से अधिक

2022-23 खरीफ सीजन के लिए मीडियम स्टेपल कपास का समर्थन मूल्य (एमएसपी) 6,080 रुपये तय किया गया है। हालांकि किसानों को फिलहाल कपास का दाम खुले बाजार में एमएसपी से बहुत अधिक मिल रहा है, बावजूद इसके किसानों का कहना है कि बीज, कीटनाशक और उर्वरक जैसे वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि को देखते हुए ये कीमतें पर्याप्त नहीं है ।

कपास का एमएसपी 10 हजार करने की माँग

कृषि जागरण में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक़ राजकोट के एक कपास किसान प्रफुल्ल खंडाडिया की पिछले चार वर्षों में कपास से आय अच्छी नहीं थी। इसलिए उन्होंने अपनी लगभग 60% भूमि पर कपास की खेती नहीं की है। खंडाड़िया ने वर्तमान में कपास की उपज से 8,500 रुपये प्रति क्विंटल की कमाई की, जो एमएसपी से अधिक है। पिछले मार्च में, कुछ किसानों को प्रति क्विंटल 15,000 रुपये भी मिले लेकिन उत्पादन बहुत कम था। बढ़ी हुई लागत को देखते हुए एमएसपी कम से कम 10,000 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए।

पंजाब में कपास की फसल कट चुकी है। यहां के किसानों को औसतन लगभग ₹8,200 प्रति क्विंटल का दाम मिल रहा है। यहां पर एक एकड़ के लिए औसतन उत्पादन केवल 3 क्विंटल हो रहा है। यहां के कपास किसान मुआवजे की मांग कर रहे हैं।महाराष्ट्र में कुछ किसानों को 12,000 रुपये प्रति क्विंटल तक की कपास की बिक्री मिल रही है। अखिल भारतीय किसान सभा के महाराष्ट्र सचिव अजीत नवाले ने कहा पिंक बॉलवर्म के हमले के कारण उत्पादन कम हुआ है। किसानों की मांग हैं कि कपास का उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया जाए और इसके आयात पर भी रोक लगाई जानी चाहिए।

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