जानिए, चीकू की खेती का उन्नत तरीका
किसान आजकल परंपरागत फसलों के अलावा फलों और सब्जियों की खेती करके अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं। फलों और सब्जियों की खेती की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें कम लागत में अधिक मुनाफा होता है। साथ ही, इनकी बाजार में अच्छी मांग रहती है, जिससे किसानों को अच्छे भाव मिलते हैं। यही कारण है कि आजकल बहुत से किसान अपनी परंपरागत फसलों के साथ-साथ फलों और सब्जियों की खेती से अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं। इस संदर्भ में चीकू की खेती (Sapota cultivation) किसानों के लिए एक लाभकारी अवसर बन सकती है। खास बात यह है कि चीकू की खेती में जितनी लागत लगती है, उससे कहीं अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। चीकू की खेती के लिए सरकार की ओर से किसानों को सब्सिडी भी प्रदान की जाती है, जिससे किसान कम लागत में इस फसल को उगा सकते हैं। एक बार चीकू का पौधा लगा देने पर यह पेड़ 50 वर्षों तक फल देता है, जिससे किसान लंबे समय तक इसके फलों से अच्छी कमाई कर सकते हैं। चीकू की खेती से किसान प्रति वर्ष 7 से 8 लाख रुपये की आय आसानी से कमा सकते हैं।
चीकू की खेती के लिए उन्नत किस्में
भारत में चीकू की करीब 41 किस्में पाई जाती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख किस्में हैं:
- पीकेएम 2 हाइब्रिड: यह संकर किस्म है, जो अधिक पैदावार देने के लिए जानी जाती है।
- भूरी पत्ती और पीली पत्ती: ये किस्में देर से तैयार होती हैं, जिन्हें पछेती किस्में कहा जाता है।
- काली पत्ती, क्रिकेट बाल, बारहमासी और पोट सपोटा जैसी किस्में भी बेहतर उत्पादन देती हैं।
चीकू की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु का निर्धारण
चीकू की खेती के लिए बलुई दोमट और मध्यम काली मिट्टी जिसमें पीएच मान 6 से 8 के बीच हो, सबसे उपयुक्त मानी जाती है। यह उष्णकटिबंधीय फल है, इसलिए इसे गर्म, आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। चीकू का पेड़ एक वर्ष में दो बार फल देता है—पहला, जनवरी से फरवरी और दूसरा, मई से जुलाई तक। इस प्रकार, किसान चीकू से साल में दो बार अच्छे लाभ की उम्मीद कर सकते हैं।
चीकू की खेती में बुवाई की प्रक्रिया
चीकू की खेती के लिए सबसे पहले इसकी नर्सरी तैयार की जाती है। अप्रैल के अंतिम सप्ताह और मई के पहले सप्ताह में पौधे लगाने के लिए गड्ढा खोदा जाता है। इस गड्ढे को जून तक खुला रखा जाता है ताकि हानिकारक जीवाणु नष्ट हो जाएं। फिर इसमें खाद, मिट्टी और बालू मिलाई जाती है। गड्ढे में पौधों की रोपाई 1×1 मीटर के अंतराल पर की जाती है। एक हैक्टेयर में लगभग 156 पौधे लगाए जा सकते हैं, और पौधों के बीच की दूरी करीब 8 मीटर रखी जाती है।
चीकू की खेती में सिंचाई कब करें?
सर्दियों में चीकू के पेड़ों को 30 दिन के अंतराल पर और गर्मियों में 12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए। इसके लिए ड्रिप सिंचाई सबसे बेहतर उपाय है, जिससे 40 प्रतिशत पानी की बचत होती है। पहले दो सालों में पेड़ के 50 सेमी के फासले पर 2 ड्रिपर लगाने चाहिए। इसके बाद 5 साल तक पेड़ से 1 मीटर की दूरी पर 4 ड्रिपर लगाए जा सकते हैं।
चीकू की खेती में खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग
रोपाई के एक साल बाद प्रति पेड़ 4 से 5 टोकरी गोबर की खाद, 2 से 3 किलोग्राम अरंडी की खली और 50:25:25 ग्राम एनपीके प्रति पौधा देना चाहिए। इस मात्रा को 10 साल तक बढ़ाया जाता है। इसके बाद 500:250:250 ग्राम एनपीके प्रति वर्ष दिया जाता है। खाद व उर्वरक देने का सबसे उपयुक्त समय जून और जुलाई का होता है। खाद को पेड़ के फैलाव के नीचे 50 से 60 सेंटीमीटर चौड़ी और 15 सेंटीमीटर गहरी नाली बनाकर देना चाहिए।
चीकू के फलों की तुड़ाई का कार्य
चीकू के फलों की तुड़ाई जुलाई से सितंबर के बीच की जाती है। इस दौरान ध्यान रखना चाहिए कि केवल पके हुए फल ही तोड़े जाएं। जब फलों का रंग हल्का संतरी या आलू जैसा हो, या फलों में कम चिपचिपा दुधिया रंग हो, तब इन्हें तोड़ना उपयुक्त होता है। आमतौर पर, 5 से 10 साल पुराने पेड़ से 250 से 1000 फल मिल सकते हैं।
चीकू की खेती से प्राप्त होने वाला मुनाफा
चीकू का पेड़ लगभग 4 साल बाद फल देना शुरू कर देता है। 5 साल के बाद यह पेड़ 30 से 50 किलोग्राम फल देने लगता है, और 9 से 10 साल के बाद 1 क्विंटल फल मिल जाता है। इसके बाद, पेड़ 3 क्विंटल या उससे अधिक फल देने में सक्षम हो सकता है। चीकू के दो सीजन होते हैं—जनवरी से मार्च और अप्रैल से मई के बीच। यदि किसान एक हैक्टेयर में चीकू की बागवानी करता है, तो वह पांच महीने में करीब 6 लाख रुपये और एक साल में 8 लाख रुपये तक की कमाई कर सकता है।
चीकू की खेती पर मिलने वाली सब्सिडी
केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय बागवनी मिशन के तहत बागवनी फसलों की खेती के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाती है। चीकू की खेती पर भी यह सब्सिडी मिलती है। चीकू की खेती पर सब्सिडी के बारे में अधिक जानकारी के लिए किसान अपने क्षेत्र के उद्यान विभाग से संपर्क कर सकते हैं। इस प्रकार, चीकू की खेती एक लाभकारी और दीर्घकालिक निवेश है, जो किसानों को नियमित रूप से अच्छे लाभ प्रदान करता है।