बटन मशरूम की खेती (Agaricus bisporus)
उत्तर भारत में बटन मशरूम (Agaricus bisporus) की खेती किसानों के लिए अतिरिक्त आय का एक बेहतर साधन बन रही है। सर्दियों के अनुकूल जलवायु और बढ़ती माँग के कारण, यह खेती अब न सिर्फ ग्रामीण किसानों बल्कि शहरी युवाओं के बीच भी लोकप्रिय हो रही है। आसान तकनीकों, कम लागत, और सरकार की सहायता से बटन मशरूम उत्पादन एक सफल व्यवसाय के रूप में उभर रहा है।
बटन मशरूम की खेती क्यों है लाभदायक?
- बटन मशरूम से कम स्थान और समय में उच्च उत्पादन प्राप्त हो जाता है।
- बाज़ार में बटन मशरूम की माँग में वृद्धि निरंतर हो रही है।
- बटन मशरूम पोषण और स्वास्थ्यवर्धक होने के कारण इससे अच्छा मूल्य प्राप्त हो जाता है।
- बटन मशरूम किसानों के लिए अतिरिक्त आय का एक सुरक्षित साधन है।
बटन मशरूम की खेती के 10 बेहतरीन सुझाव
बटन मशरूम (Agaricus bisporus) भारत में सबसे लोकप्रिय और व्यावसायिक रूप से उगाया जाने वाला मशरूम है। उत्तर भारत की कृषि जलवायु बटन मशरूम उत्पादन के लिए अत्यंत उपयुक्त है, क्योंकि यहाँ सर्दियों में तापमान और नमी इसके उत्पादन के लिए आदर्श होते हैं। यहाँ बटन मशरूम की खेती सरल तकनीकों का उपयोग करके की जा सकती है, लेकिन बटन मशरूम की खेती शुरू करने से पहले किसी अच्छे संस्थान से ट्रेनिंग अवश्य कर लेनी चाहिए।
इन 10 टिप्स के साथ आप बटन मशरूम की खेती कर सकते हैं, जिससे लागत कम होगी और उत्पादन बेहतर मिलेगा।
(1) स्थान और संरचना का सही चयन
मशरूम उगाने के लिए साफ और नियंत्रित वातावरण वाला शेड या कमरा चुनें। वेंटिलेशन, तापमान नियंत्रण, और धूप से बचाव का विशेष ध्यान रखें।
(2) उपयुक्त जलवायु का चयन करें
बटन मशरूम के लिए 15-25°C तापमान और 80-90% आर्द्रता आदर्श मानी जाती है। अक्टूबर से फरवरी का समय उत्तर भारत में इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त है।
(3) बीज (स्पॉन) का चयन और बुवाई
उच्च गुणवत्ता वाले स्पॉन का चयन करें। कंपोस्ट में 3-4 सेंटीमीटर गहराई पर स्पॉन बोएं और ऊपर से 2-3 इंच कंपोस्ट की परत डालें। स्पॉन को तैयार कंपोस्ट में मिलाकर लकड़ी या प्लास्टिक के ट्रे में भरें।
बुवाई का तरीका
कंपोस्ट को 4 से 6 इंच मोटी परत में फैलाकर 3 से 4 सेमी की गहराई पर बीज (स्पॉन) को समान रूप से छिड़क दें। अब इसके ऊपर से 2 से 3 इंच कंपोस्ट की परत चढ़ाएँ।
(4) कंपोस्ट की तैयारी
बटन मशरूम की गुणवत्ता और उत्पादन का आधार कंपोस्ट है। गेहूँ की भूसी, मुर्गी खाद, यूरिया और जिप्सम जैसी सामग्रियों से कंपोस्ट तैयार करें।
कंपोस्ट बनाने की विधि
100 किग्रा गेहूँ की भूसी को 2 दिनों तक पानी में भिगोकर रखना चाहिए।
इसे ढेर में लगाकर 5% मुर्गी खाद, 2% यूरिया और 2% जिप्सम मिलाएँ।
हर 4 से 5 दिन में ढेर को पलट दें और 20 से 25 दिन तक इसे सड़ने-गलने दें।
(5) स्पॉन रन प्रक्रिया
स्पॉन बोने के बाद ट्रे को 22-25°C तापमान और 80-85% नमी में 10-15 दिनों तक रखें। इसके अतिरिक्त प्रकाश और अतिरिक्त नमी से बचाव करें।
(6) केसिंग लेयर डालना
स्पॉन रन पूरा होने के बाद मिट्टी, रेत और जिप्सम का मिश्रण 1.5 से 2 इंच मोटी केसिंग लेयर के रूप में डालें। यह फलन (पिनहेड्स) के विकास में सहायक होती है।
(7) फलन का विकास और देखभाल
केसिंग के 10 से 15 दिन बाद मशरूम के छोटे-छोटे पिनहेड्स नजर आने लगते हैं। इस दौरान तापमान 15 से 18°C और नमी 85 से 90% बनाए रखें।
(8) रोग प्रबंधन और सावधानियाँ
नमी अधिक होने पर व्हाइट मोल्ड जैसी समस्याएँ हो सकती हैं, इसे नियंत्रित रखें। इसके अतिरिक्त नियमित सफ़ाई और जलवायु प्रबंधन करें।
(9) कटाई का सही समय और प्रक्रिया
मशरूम की कटाई तब करें जब टोपी (कैप) पूरी तरह बंद हो और किनारे हल्के मुड़ने लगें। मशरूम को हल्के हाथ से घुमाकर तोड़ें और साफ़ करें।
(10) भंडारण और विपणन
ताज़ा मशरूम को 4 से 5°C पर 4 से 5 दिनों तक रखा जा सकता है। लंबी अवधि के लिए डिब्बाबंद या सूखा कर संग्रह करें।
स्थानीय बाज़ार, सुपरमार्केट और होटलों से संपर्क करें।