Kisan News : किसान अप्रैल महिने में इन 10 फसलों की करें खेती, कम लागत में होंगी बंपर पैदावार और दोगुना मुनाफा 

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रबी फसलों की कटाई चल रही है और जल्द ही खेत खाली हो जाएंगे। ऐसे में किसान इस बीच खाली खेत में बहुत सी फसलों की खेती करके काफी अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस माह यानी अप्रैल माह में किसान चुनिंदा टॉप 10 फसलों की खेती करें तो इससे काफी बेहतर लाभ प्राप्त किया जा सकता है। खास बात यह है कि यह फसलें लागत पर काफी अच्छी पैदावार दे सकती है। खास बात यह है कि इसकी मांग भी बाजार में बनी रहती है और इसके भाव भी बेहतर मिल जाते हैं। इस लिहाज से किसान भाई इन टॉप 10 फसलों की खेती करके इससे काफी अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

मूंग की खेती (Moong cultivation)

किसान खाली खेत में मूंग की खेती (Moong cultivation) करके बेहतर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। मूंग एक दलहन फसल है जिसकी मांग बाजार में बनी रहती है। इससे मूंग की दाल भी बनाई जाती है। किसानों को रबी व खरीफ के बीच के समय में मूंग की खेती अवश्य करनी चाहिए। मूंग की खेती का सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि इसकी खेती से भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है। वहीं दूसरा लाभ यह है कि जब खेत खाली रहते हैं तब इससे अतिरिक्त आय भी प्राप्त होती है। ऐसे में मूंग की खेती न केवल किसान के लिए लाभकारी है बल्कि खेत की उपजाऊ क्षमता को बनाए रखने में भी सहायक है। यदि आप किसान है और इस समय मूंग की खेती करना चाहते हैं तो आप इसकी उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं। इसमें अभी आप पूसा विशाल, पूसा रत्ना, पूसा-5931, पूसा बैसाखी, पी.डी.एम-11, एसएमएल-32, एसएमएल-668 और सम्राट की बुवाई कर सकते हैं। बुवाई से पहले बीजों को राइजोबियम तथा फास्फोरस सोलूबलाइजिंग बेक्टीरिया से बीजोपचारित करके इसकी बुवाई करें ताकि फसल में कीट-रोग लगने की संभावना को कम किया जा सके। इसी के साथ खेत में बुवाई के समय आवश्यक नमी होनी जरूरी है यदि खेत में नमी कम है तो हल्की सिंचाई करके नमी बनाए रखी जा सकती है।

मक्का की खेती (maize cultivation)

मक्का की मांग पोल्ट्री उद्योग और पशु चारे के लिए बहुत अधिक रहती है। जिसके कारण मक्का की बाजार में मांग बनी रहती है। इस समय किसान भाई मक्का की चारे प्रजाति की किस्म अफरीकन टाल की खेती कर सकते हैं। इसके अलावा किसान बेबी कॉर्न मक्का की किस्म एच.एम.-4 की बुवाई भी इस समय करके अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। बता दें कि बेबी कॉर्न मक्का का उपयोग सलाद, सूप, सब्जी, अचार एवं कैंडी बनाने में किया जाता है। वहीं पकौड़ी, कोफ्ता, टिक्की, बर्फी, लड्‌डू, खीर आदि व्यंजन भी इससे बनाए जाते हैं। बेबी कार्न मक्का स्वादिष्ट होने के साथ ही पौष्टिक भी होती है। बेबीकार्न मक्का में फास्फोरस की प्रचुर मात्रा पाई जाती है।

लोबिया की खेती (cowpea cultivation)

इस समय किसान लोबिया की खेती (cowpea cultivation) करके भरपूर मुनाफा कमा सकते हैं। इस समय लोबिया की पूसा कोमल और पूसा सुकोमल जैसी लोबिया की किस्में किसान लगा सकते हैं। लोबिया की खेती दलहन फसल के रूप में की जाती है। इसे हरी खाद, पशुओं के चारे एवं सब्जी के रूप में उगाया जाता है। कच्ची फलियों की तुड़ाई कर किसान इसे बाजार में बेच सकते हैं। इसकी कच्ची फलियों को सब्जी बनाकर खाने में इस्तेमाल किया जाता है।

फ्रेंचबीन की खेती (French bean cultivation)

फ्रेंचबीन जिसे राजमा भी कहा जाता है। फ्रेंचबीन की खेती भी किसान इस समय कर सकते हैं। यह भी एक दलहन फसल है और इसकी मांग भी बाजार में काफी है। इसे लोग चावल के साथ खाना काफी पसंद करते हैं। फ्रेंचबीन यानी राजमा का सेवन स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभकारी होता है। किसान इस समय फ्रेंचबीन की पूसा पार्वती व कोंटेनडर किस्म की बुवाई कर सकते हैं।

चौलाई की खेती (Amaranth cultivation)

चौलाई की खेती (Amaranth cultivation) साल में दो बार गर्मी और बरसात में की जा सकती है। इसकी पत्तियां खाने के उपयोग में ली जाती है, इसकी सब्जी बनाई जाती है। इसमें कई प्रकार के विटामिन और पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें प्रचुर मात्रा कार्बोहाइड्रेट, विटामिन-ए, फॉस्फोरस, प्रोटीन, कैल्शियम ओर मिनरल्स मौजूद होते हैं जो स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा होता है। इस समय किसान पूसा किरण और पूसा लाल चौलाई की किस्म लगा सकते हैं। 

लौकी की खेती (Gourd cultivation)

लौकी की मांग गर्मियों में बहुत रहती है। लौकी के सेवन से कब्ज नहीं बनती और पाचन क्रिया सही रहती है। पाचन में हल्की रहने के कारण बीमारी में डॉक्टर भी इसके सेवन की सलाह देते हैं। लौकी में सबसे अधिक पानी की मात्रा होती है। ऐसे में इसका सेवन लाभकारी माना जाता है। किसान इस समय लौकी की खेती (Gourd cultivation) के लिए इसकी पूसा नवीन और पूसा संदेश की बुवाई कर सकते हैं।

खीरा की खेती (Cucumber cultivation)

खीरे को मुख्य रूप से कच्ची सलाद के रूप में उपयोग में लिया जाता है। इसमें भी पानी की मात्रा अधिक होने से गर्मियों में लोग इसका सेवन बहुत करते हैं। खीरे को कच्चा सलाद के रूप में खाने के अलावा इसकी सब्जी बनाकर भी खाई जाती है। गर्मियों के मौसम में खीरे की मांग बाजार में बहुत होती है। ऐसे में किसान खीरे की खेती (Cucumber cultivation) से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इस समय खीरे की पूसा उदय किस्म की बुवाई की जा सकती है।

मूली की खेती (Radish cultivation)

मूली की खेती (Radish cultivation) भी किसानों के लिए काफी लाभ का सौदा है। मूली की मांग भी बाजार में काफी रहती है। मूली के सेवन से कई प्रकार की बीमारियां ठीक की जा सकती है। इस समय किसान गर्मी के मौसम वाली मूली की किस्म पूसा चेतकी की सीधी बुवाई कर सकते हैं।

भिंडी की खेती (okra cultivation)

भिंडी की मांग भी बाजार में बनी रहती है और इसके भाव भी अच्छे मिल जाते हैं। भिंडी का सेवन स्वास्थ्य की दृष्टि से भी काफी लाभकारी माना गया है। भिंडी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फॉस्फोरस के अलावा विटामिन ए, बी और सी पाया जाता है। इसके अलावा इसमें थाईमीन एवं रिबोफ्लेविन भी पाया जाता है। इसमें आयोडीन की मात्रा अधिक होती है। इसका सेवन कब्ज में काफी लाभकारी माना जाता है। इस समय किसान भिंडी की ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि किस्म लगा सकते हैं।

तुरई की खेती (ridge gourd cultivation)

तुरई, कद्दूवर्गीय फसलों के अंतर्गत आती है। स्वास्थ्य की द्ष्टि से इसका सेवन काफी लाभकारी माना गया है, इसलिए इसकी खेती भारत में व्यावसायिक रूप से की जाती है। इसकी डिमांड बाजार में बहुत रहती है। इसकी खेती पूरे भारत में की जाती है। इसे ग्रीष्म और बरसात दोनों में उगाया जा सकता है। प्रोटीन से भरपूर होने के कारण इसकी बाजार मांग अच्छी है। इस समय किसान तुरई की पूसा स्नेह जैसी किस्म की बुवाई कर सकते हैं।

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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।
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