सब्जियों की खेती क्यों करें??
वर्तमान में हमारे देश में परंपरागत खेती के अलावा अन्य खेती भी की जाने लगी है जिसमें सब्जियों की खेती की भी अहम भूमिका है।भारत में बड़े पैमाने पर सब्जियों की खेती की जाती है।यदि सब्जियों की खेती उन्नत तकनीक से की जाए तो काफी अच्छा लाभ प्राप्त किया जा सकता है।उद्यानिकी फसल के अंतर्गत सब्जी की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा हैं।अक्टूबर के माह में रबी की फसल की बुवाई होती है और खरीफ के फसलों की कटाई की जाती है। किसान भाई कम समय में अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं तो सब्जियों की खेती करना बहुत ही फायदेमंद रहेगा।हमारे देश में सब्जी के उत्पादन में वृद्धि के लिए भारतीय सब्जी अनुसन्धान केंद्र की स्थापना की गई हैं। अगर किसान भाई चाहते हैं कि अब खरीफ की फसलों की कटाई के साथ रबी की फसलों की बुवाई हो जाए तो किन-किन फसलों की बुवाई से किसान भाइयों को लाभ होगा उसके बारे में जानकारी अवश्य ले।आइए , सब्जियों की खेती में कम लागत में अधिक उपज पाने के तरीकों के बारे में जानेंगे।
अधिक उपज देने वाली उन्नत किस्मों का चुनाव करें
सब्जियों की खेती के अंतर्गत नवीनतम तकनीक अपनाने के साथ ही अधिक उपज देने वाली उन्नत किस्म का चुनाव करें। उसके लिए किसान भाई अपने क्षेत्रीय कृषि विभाग से क्षेत्र के अनुसार किस्म की जानकारी ले सकते हैं।सब्जियों की खेती में उन्नत किस्म का चुनाव करने से उपज में वृद्धि होने के साथ ही गुणवत्ता भी अच्छी प्राप्त होती है।अच्छे गुणवत्ता और अच्छी उपज प्राप्त होने से सब्जियों की उचित कीमत मिल जाती है। किसान भाई सब्जियों में उन्नत किस्म का चुनाव करके खेती करें जिससे उन्हें भरपूर मुनाफा प्राप्त होगा।
सब्जियों की खेती में मल्चिंग विधि का प्रयोग करें
सब्जियों की खेती में उचित तकनीक का प्रयोग करने से अच्छी उपज प्राप्त होती हैं।सब्जियों की खेती में मल्चिंग विधि का प्रयोग किया जा सकता है।इसके लिए खेत को तैयार करते समय मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए खेत की अच्छी तरह से जुताई करें।इसके पश्चात खेतों में मेड़ों का निर्माण करें।इन मेड़ों पर बीजों की बुवाई की जाती है।बीजों की बुवाई के लिए आपसी दूरी 4 इंच रखें।खेत में बनी इन मेड़ों को प्लास्टिक मल्चिंग से ढक देना चाहिए।जब बीज अंकुरित होने लगे तब पौधे को प्लास्टिक मल्चिंग में छेद करके बाहर निकाल देना चाहिए।सब्जियों की खेती में मल्चिंग विधि का प्रयोग करने से खरपतवार नहीं होता और साथ ही सिंचाई की भी ज्यादा आवश्यकता नहीं होती है और फसल को रोगों से सुरक्षा मिलती है।यह विधि अपनाने से सब्जियों की अच्छी गुणवत्ता वाली उपज हमें प्राप्त होती है।
बीजों को बुवाई से पूर्व उपचारित करें
सब्जियों की खेती में भी अन्य फसलों के समान बीजों को बुवाई से पूर्व उपचारित करना चाहिए। सामान्य रूप से इसके लिए प्रति किग्रा बीज में कार्बेंडाजिम की 1 से 2 ग्राम मात्रा से बीजों को उपचारित करें।ग्वार फली की सब्जी के बीजों के लिए प्रति किग्रा बीज में कार्बेंडाजिम की 2 ग्राम मात्रा से बीजों को उपचारित करें। किसान भाई जिन सब्जियों के बीजों को उपचारित करें उसके FIR (F अर्थात् फफुंदनाशी , I अर्थात् इन्सेक्टीसाइड और R अर्थात् कल्चर) का मुख्य रूप से ध्यान रखें। इन तीनों तरीकों से बीजों को जब उपचारित कर लिया जाता हैं तो बीज सभी प्रकार से रोग मुक्त हो जाता है।
सब्जियों में सिंचाई के लिए टपक सिंचाई पद्धति का प्रयोग
सब्जियों की उन्नत खेती में सिंचाई के लिए किसान भाई टपक सिंचाई प्रणाली का प्रयोग करें।इस प्रणाली में पानी की खपत कम होती है और पानी पौधे के जड़ों में सीधा पहुंचता है।इस पद्धति से पौधों में काफी समय तक नमी बनी रहती है।टपक सिंचाई प्रणाली का प्रयोग करने से पानी की बचत होने के साथ ही सिंचाई साधनों की कमी होने पर भी आसानी से सिंचाई की जा सकती है।
सब्जियों की खेती में जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें
सब्जियों की खेती में मल्चिंग विधि का प्रयोग करने से खरपतवार कम होता है और फसल रोगों से सुरक्षित रहती है। खेतों में उगने वाली घास भी मल्चिंग के नीचे रहकर नष्ट हो जाती है किंतु किसान भाई विभिन्न प्रकार के कीट पतंग से फसल को सुरक्षित रखने के लिए समय-समय पर जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें।
पौधे की वृद्धि के लिए उर्वरकों का सीधा छिड़काव ना करें
सब्जियों की खेती में किसान भाई उर्वरकों का प्रयोग अवश्य करते हैं किंतु उर्वरकों का सीधा खेत में प्रयोग ना करके पानी में मिलाकर पौधों की जड़ों में प्रयोग करना चाहिए।सब्जियों की खेती में उर्वरकों का प्रयोग जड़ों में करने से उर्वरक कम मात्रा में लगेगा और सीधे पौधे की जड़ में लगने से पौधे का विकास अच्छे से हो पाएगा।सब्जियों की खेती में मल्चिंग विधि के प्रयोग में मल्चिंग ढंकी होने से वाष्प बनती है जिससे पौधे का विकास उचित रूप से हो जाता है।
मिट्टी की उर्वरा शक्ति बरकरार रखने के लिए फसल चक्र अपनाएं
सब्जियों की खेती में मिट्टी में उर्वरा शक्ति होना आवश्यक है किंतु एक ही फसल को बार-बार लगाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है इसलिए किसान भाई संभवतः अलग-अलग फसल की बुवाई करें जिससे खेत की उर्वरा शक्ति में कमी नहीं होगी। किसान भाई फसल चक्र अपनाए जिससे कई लाभ होंगे जैसे – की क्षरीयता में सुधार, कीट पतंगों पर नियंत्रण , मिट्टी में कार्बन नाइट्रोजन के अनुपात में वृद्धि , फसल बीमारियों से सुरक्षित , मिट्टी में विषाक्त तत्व कम होंगे। किसान भाई द्वारा फसल चक्र का प्रयोग करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बरकरार रहने के साथ ही कई लाभ प्राप्त होंगे।फसल चक्र में बुवाई की जाने वाली फसलें इस प्रकार हैं -दलहनी फैसले जैसे – मटर , मूंग , चना , राजमा , मसूर , अरहर और लोबिया आदि।
फसल चक्र के प्रयोग में मूलभूत बातों का रखें ध्यान
सब्जियों की उन्नत खेती में किसान भाई द्वारा फसल चक्र का प्रयोग करने में कुछ बातों का अवश्य ध्यान रखा जाए जैसे – अधिक सिंचाई वाली फसल के पश्चात् कम सिंचाई वाली फसल , अधिक निराई-गुड़ाई वाली फसल के पश्चात् कम निराई-गुड़ाई वाली फसल और अधिक मात्रा में खाद का प्रयोग होने वाली फसल के पश्चात् कम खाद वाली फसल की बुवाई की जानी चाहिए। फसल चक्र को सामान्य तरीके से इस प्रकार समझा जा सकता है जैसे – यदि किसान भाई ने दलहन की फसल की बुवाई की है तो अगली बार अनाज वाली फसल की बुवाई करें।इस प्रकार उन्नत फसलों का चयन करके फसल चक्र अपनाना चाहिए।