पीले तरबूज की खेती : पीले तरबूज की खेती में अपनाएं उन्नत तरीका और पाए बंपर मुनाफा

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जानिए, पीले तरबूज की खेती से संबंधित जानकारी

रबी फसल की कटाई का कार्य मार्च तक खत्म हो जाता है और रबी फसल की कटाई के बाद खेत खाली हो जाते हैं। इसके पश्चात किसान के लिए खाली खेत में तरबूज की खेती करना एक सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। तरबूज की खेती के बारे में बात करें तो इसकी सबसे अहम बात यह है कि इसमें कम पानी, कम खाद और कम लागत की जरूरत होती है। सामान्य रूप से तरबूज बाहर से हरा और अंदर से लाल होता है किंतु वर्तमान में किसान ऐसे तरबूज की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं जिसका रंग बाहर से हरा और अंदर से पीला होता है। पीला तरबूज, लाल तरबूज से ज्यादा मीठा और स्वादिष्ट होता है। पीले तरबूज की खासियत है कि इसकी बाजार कीमत लाल तरबूज से दुगनी मिल जाती है। किसान भाई पीले तरबूज की खेती करके अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। पीले तरबूज की सबसे पहले खेती अफ्रीका में की गई थी। लाल तरबूज से पूर्व पीले तरबूज की ही खेती की जाती थी। इस तरबूज को डेजर्ट किंग के नाम से जाना जाता था किंतु लाल तरबूज की किस्म तैयार करने के लिए क्रॉस-ब्रीडिंग की गई। इस कारण पीले तरबूज की खेती कम हो गई। वर्तमान में लाल तरबूज की खेती ही की जाती है किंतु किसान फिर से पीले तरबूज की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। अब भारत में भी पीले तरबूज की खेती की जाने लगी है। हमारे देश में पीले तरबूज की खेती मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में की जा रही है।

पीले तरबूज में पाए जाने वाले पोषक तत्व

लाल तरबूज की तुलना में पीले तरबूज में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे – मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, बीटा कैरोटिन, विटामिन B, C और A आदि।
पीले तरबूज के सेवन से इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होता है। पीले तरबूज में कैलोरी की मात्रा कम पाई जाती है। इस कारण वजन घटाने वाले लोग भी इसका सेवन कर सकते हैं। पीला तरबूज लंबे समय तक शरीर को हाइड्रेटेड रखता है।

पीले ताइवानी तरबूजों के प्रकार

पीले तरबूज की सबसे पहले खेती अफ्रीका में की गई थी। अब भारत में भी पीले तरबूज की खेती की जाने लगी है। हमारे देश में 2 प्रकार के पीले ताइवानी तरबूजों की खेती की जा रही है। इन पीले ताइवानी तरबूजों में पहला तरबूज बाहर से हरा और अंदर से पीला और दूसरा तरबूज बाहर से पीला और अंदर से लाल होता है।
वर्तमान में किसान पीले ताइवानी तरबूज के जिस प्रकार की खेती कर रहे हैं वह बाहर से पीला और अंदर से लाल है। इस प्रकार की फसल जल्द तैयार हो जाती है।

पीले तरबूज की खेती का क्या है तरीका?

पीले तरबूज की खेती भी लाल तरबूज की खेती के समान ही की जाती है। तरबूज की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है। तरबूज की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी दरमियानी और लाल रेतीली मिट्टी होती है। मिट्टी का pH मान 6 से 7 के मध्य हो। उत्तर भारत में तरबूज की बुवाई का समय जनवरी से मार्च और नवंबर से दिसंबर होता है।
तरबूज की खेती में पहले खेत की गहरी जुताई करके खेत को समतल किया जाता है। तरबूज की बुवाई सीधी भी कर सकते हैं और पनीरी लगाकर भी कर सकते हैं। तरबूज की बुवाई कई तरीकों से की जा सकती है जैसे – गड्ढा खोद के लगाना, मेड़ पर और क्यारियों पर लगाना आदि। पीले तरबूज की खेती में ज्यादा मात्रा में खाद और रासायनिक उर्वरकों की जरूरत नहीं होती है। इस प्रकार के तरबूज की खेती पूरी तरह से ऑर्गेनिक विधि से की जाती है।

तरबूज की खेती में बीजों की मात्रा और बीजोपचार

तरबूज की खेती में बीजों की मात्रा प्रति एकड़ 1.5 से 2 किग्रा होना चाहिए। बीजों को बुवाई से पूर्व उपचारित कर लें। बीजों को उपचारित करने के लिए प्रति किग्रा बीजों को कार्बेन्डाजिम की 2 ग्राम मात्रा से उपचारित करें। इसके पश्चात बीजों को ट्राइकोडर्मा विराइड की 4 ग्राम मात्रा से उपचारित करें। अब बीजों को छांव में सुखाने के पश्चात बीजों की बुवाई करें।

तरबूज की बुवाई गड्ढा खोदकर कैसे की जाए?

तरबूज की खेती में यदि किसान भाई बीजों की बुवाई गड्ढा खोदकर कर रहे हैं तब गड्ढों का आकार 60X60X60 सेमी रखें। पौधों के बीज की गहराई 2-3 सेमी होनी चाहिए। पौधों की आपसी दूरी 0.6 से 1.2 मीटर और कतारों की आपसी दूरी 2 से 3.5 मीटर होना चाहिए। इसके पश्चात गड्ढों को अच्छी तरह रूड़ी और मिट्टी से भर दें और जमाव के पश्चात 1 स्वस्थ बूटा एक गड्ढे में रखें।

तरबूज की बुवाई मेड़ पर कैसे की जाए?

तरबूज की खेती में यदि किसान भाई बीजों की बुवाई मेड़ पर कर रहे हों तब एक मेड़ पर 2 बीजों की बुवाई करें। इसमें किसान भाई गड्ढों का आकार 30X30X30 सेमी रखें और गड्ढों की दूरी 1.5 मीटर होना चाहिए।

तरबूज की बुवाई क्यारियों में कैसे की जाए?

तरबूज की खेती में यदि किसान भाई बीजों की बुवाई क्यारियों में कर रहे हों तब बीजों को क्यारी के एक ओर लगाएं। एक समय में 3 से 4 बीजों की बुवाई करें और जमाव के पश्चात एक स्वस्थ बूटा रखें। पौधों की आपसी दूरी 60 से 90 सेमी होना चाहिए।

पीले तरबूज की खेती से प्राप्त होने वाला मुनाफा

पीले तरबूज की खेती ताईवान के विशाला बीज से की जा सकती है। इस किस्म के लिए दिसंबर माह में प्रति एकड़ 6 हजार पौधे लगाए जा सकते हैं। इसमें प्रति पौधे लगभग 25 रुपए का खर्च होता है। इसके अतिरिक्त मल्चिंग सीट लगाने में 16 हजार रुपए और लोटनल में 80 हजार रुपए का खर्च होता है। पीले तरबूज की खेती में लगभग 1.10 लाख रुपए का खर्च होता है। किसान भाई पीले तरबूज की ऑर्गेनिक खेती करके सभी खर्च निकालने के पश्चात भी 1 लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं।

लाल और पीले तरबूज का बाजार भाव क्या है?

तरबूज के बाजार भाव की बात की जाए तो सामान्य लाल तरबूज का बाजार भाव प्रति किग्रा 30 रुपए है। बाहर से हरा और अंदर से पीला दिखने वाले तरबूज का बाजार भाव प्रति किग्रा 50 रुपए है। इसके अतिरिक्त बाहर से पीला और अंदर से लाल दिखने वाले तरबूज का बाजार भाव भी प्रति किग्रा 50 रुपए है।

कहां से प्राप्त होगा पीले तरबूज की खेती के लिए बीज?

किसान भाई पीले तरबूज की खेती के लिए बीज उद्यान विभाग की नर्सरी से प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त Amazon.com जैसी ऑनलाइन साइट से भी पीले तरबूज के बीज प्राप्त कर सकते हैं।

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