किसानों को मुफ्त में मिलेगी उर्वरक मिट्टी, रॉयल्टी और परिवहन शुल्क खत्म
मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने और खेती को लाभकारी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब राज्य के किसान नदी, तालाब और कुएं की गाद और मिट्टी का उपयोग अपने खेतों की उर्वरता बढ़ाने के लिए कर सकेंगे, वह भी बिना किसी रॉयल्टी या परिवहन शुल्क के। पहले किसानों को नदी, तालाब की गाद लेने के लिए रॉयल्टी देनी होती थी, उसके पश्चात् ही किसान मिट्टी का परिवहन कर सकते थे, लेकिन अब राज्य सरकार ने फ्री मिट्टी देने का फैसला किया है। यह निर्णय न केवल किसानों के खर्च को कम करेगा, बल्कि खेतों की पैदावार को भी बढ़ाएगा।
मुख्यमंत्री की घोषणा: जल गंगा समीक्षा बैठक में अहम फैसला
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जल गंगा संवर्धन अभियान की समीक्षा बैठक में यह अहम घोषणा की। उन्होंने कहा कि किसानों को खेतों की उर्वरता बढ़ाने के लिए मदद दी जाएगी। इसके तहत नदी, तालाब और कुएं से निकलने वाली गाद और मिट्टी का उपयोग खेतों को समतल और उपजाऊ बनाने के लिए किया जा सकेगा। पहले किसानों को मिट्टी निकालने और उसके परिवहन के लिए रॉयल्टी देनी होती थी, लेकिन अब यह पूरी तरह नि:शुल्क कर दिया गया है।
गाद और मिट्टी का उपयोग केवल खेती के लिए होगा
इस योजना के तहत गाद और मिट्टी का उपयोग सिर्फ खेती के लिए किया जा सकता है। इसका व्यावसायिक इस्तेमाल पूरी तरह से प्रतिबंधित है। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि यह सुविधा केवल किसानों को उनकी जमीन उपजाऊ बनाने के उद्देश्य से दी जाएगी।
किसानों को अब नहीं चाहिए रॉयल्टी या परमिट
अब किसानों को नदी, तालाब और कुएं से मिट्टी निकालने या उसके परिवहन के लिए किसी तरह की रॉयल्टी या अनुज्ञा पत्र की आवश्यकता नहीं होगी। सरकार ने इसे पूरी तरह से नि:शुल्क कर दिया है। मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 के तहत किसानों को यह सुविधा दी जा रही है। जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत किसान यह सुविधा प्राप्त कर सकते हैं।
गाद और मिट्टी के उपयोग के फायदे
नदी, तालाब और कुएं से निकाली गई गाद और मिट्टी पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो फसल की उत्पादकता को कई गुना बढ़ा सकते हैं।
- तालाब की मिट्टी को खेतों में मिलाने से उनकी उर्वरक क्षमता बढ़ती है।
- तालाब की मिट्टी निकालने से तालाब गहरे होते हैं, जिससे बारिश के पानी का संग्रहण बेहतर हो पाता है।
- यह मिट्टी खेतों में गोबर खाद की तरह काम करती है और लंबे समय तक फसलों के लिए उपयोगी रहती है।
क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक?
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि नदी और तालाब की मिट्टी में 8% नाइट्रोजन और 3% सुपर फॉस्फेट होता है। यह मिट्टी नर्सरी लगाने वाले किसानों के लिए भी उपयोगी साबित होती है। इस मिट्टी में पाए जाने वाले प्राकृतिक पोषक तत्व खेतों की मिट्टी को अधिक उपजाऊ बनाते हैं और फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन में सुधार करते हैं।
कैसे करें मिट्टी का उपयोग?
नदी, तालाब या कुएं की मिट्टी को खेतों में उपयोग करने के लिए इन तरीकों को अपनाएं:
- मिट्टी को खेत में गोबर खाद की तरह समान रूप से बिखेरें।
- मिट्टी बिखेरने के बाद खेत की गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी खेत में अच्छी तरह मिल जाए।
- कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, प्रति हेक्टेयर 25-30 टन मिट्टी का उपयोग खेतों के लिए आदर्श है।
खेत में तालाब बनाने से होगा दुगना फायदा
यदि किसान अपने खेत में तालाब बनवाते हैं, तो इसका उन्हें दोहरा लाभ मिलेगा। पहला यह कि बारिश के दौरान तालाब में पानी का संग्रह किया जा सकता है, जिसे सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा। दूसरा यह कि तालाब की गाद और मिट्टी खेतों के लिए पोषण का काम करेगी। तालाब की मिट्टी में पोषक तत्व और इको फ्रेंडली जीवाणु व बैक्टीरिया पाए जाते हैं जिससे इसकी मिट्टी खेत के लिए लाभकारी होती है।