खरबूजे की खेती क्यों करना चाहिए?
अभी गर्मी का मौसम चल रहा है और गर्मी के मौसम में ज्यादा बिकने वाले फल खरबूज और तरबूज हैं। इस मौसम में खाली पड़ी ज़मीन का उपयोग करना हो तो खरबूज और तरबूज बेहतर विकल्प हैं। खरबूज और तरबूज गर्मी में ज्यादा बिकने वाला फल है। मार्च का महीना समाप्त होने वाला है। किसान भाई रबी की फसल को काटने और खेत खाली करने में लगे हैं और इसके बाद खेत खाली रहेंगे, और ज्यादातर किसान अब अगली फसल की बुवाई बारिश के मौसम में करेंगे। इसलिए किसान खाली खेत में खरबूज और तरबूज की खेती करके मुनाफा ले सकते हैं। केंद्र और राज्य सरकार किसानों को कृषि यंत्रों, फसलों और अन्य कृषि संबंधित कार्यों में सहायता प्रदान करती है। सब्सिडी भी दी जाती है। किसानों को फसलों से लाभ होने के साथ सरकार द्वारा भी आर्थिक लाभ मिल जाता है। किसान इन्हीं कारणों से खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। वर्तमान में कई नागरिकों का खेती पर ज्यादा ध्यान है।
गर्मी के मौसम में खरबूजे की खेती कर एक हेक्टेयर खेत में लगभग 200 से 250 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। खरबूजे की फसल से किसान भाई एक बार में 3 से 4 लाख तक का मुनाफा ले सकते हैं।
खरबूजे के बीज पर सरकार द्वारा मिलने वाला 35 फीसदी तक अनुदान है। आइए, खरबूजे की खेती से संबंधित विभिन्न तथ्यों के बारे में जानेंगे।
खरबूजे में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के बारे में चर्चा
खरबूजे में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं। खरबूजे के साथ खरबूजे के बीज में भी पोषक तत्व पाए जाते हैं। खरबूजे में पाए जाने वाले तत्वों की मात्रा इस प्रकार है:
- फाइबर: 0.2%
- ऊर्जा: 557.199%
- केसीएएल (प्रति 100 ग्राम)
- प्रोटीन: 32.80%
- फैट: 37.167%
- नमी: 2.358%
- कार्बोहाइड्रेट्स: 22.874%
इसके अतिरिक्त खरबूजे के बीज में भी पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे विटामिन A, B, सोडियम, शर्करा, कैल्शियम, मैगनीज, जिंक, आयरन और मैग्नीशियम।
हमारे जीवन में खरबूजे के उपयोग1
खरबूजे को मुख्य रूप से खाने में उपयोग किया जाता है, क्योंकि खरबूजा स्वादिष्ट होता है। खरबूजे के जो पौधे होते हैं, वो लताओं के रूप में विकसित होते हैं। खरबूजा कद्दू की फसल के वर्ग में आता है। खरबूजे को नगदी फसल के रूप में लगाया जाता है। खरबूजा के फल को गर्मियों में खाने में ज्यादा मात्रा में किया जाता है। खरबूजे को हम सलाद और ज्यूस के रूप में खाने में उपयोग करते हैं। खरबूजे के बीज का उपयोग मिठाई बनाने में करते हैं। गर्मियों में खरबूजे के फल का ज्यादा इस्तेमाल करने का कारण यह है कि ये गर्मी में हाइड्रेट रखता है, क्योंकि खरबूजे के फल में 90% पानी और 9% कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है।
खरबूजे की खेती के लिए मिट्टी, जलवायु और तापमान का निर्धारण
खरबूजे की खेती के लिए अगर मिट्टी की बात करें तो खरबूजे के लिए हल्की रेतीली दोमट मिट्टी जो बलुई हो, अच्छी मानी जाती है। खरबूजे की खेती में अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी होना चाहिए क्योंकि खेत में जल भरे रहने से पौधे रोगग्रस्त हो जाते हैं।
मिट्टी का pH मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए।
अगर खरबूजे की खेती के लिए जलवायु की बात करें तो खरबूजा जायद के मौसम की फसल है, क्योंकि इस मौसम में आर्द्र और गर्म दोनों तरह की जलवायु मिल जाती है।
खरबूजे के लिए तापमान बीजों के अंकुरण के लिए शुरुआत में 25°C और पौधों के विकसित होने की अवस्था में तापमान 35 से 40°C होना चाहिए।
खरबूजे की विभिन्न किस्मों के बारे में जानकारी
खरबूजे की विभिन्न किस्में हैं। हम किसान योजना के माध्यम से खरबूजे की उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
- IVMM – 3: खरबूजे की इस किस्म में फल का औसत भार 500 – 600 ग्राम रहता है। इस किस्म के फल धारीदार, पकने पर हल्के पीले रंग के, मीठे और गुदा नारंगी रंग के होते हैं।
- हरा मधु: खरबूजे की इस किस्म में फल का औसत भार 1 किलो तक रहता है। इस किस्म के फल धारीदार (हरे रंग की धारियां), पकने पर रंग हल्का पीला, गुदा हल्का हरे रंग का और 2 से 3 सेमी मोटा एवं रसीला होता है।
- पंजाब सुनहरी: खरबूजे की इस किस्म में फल गोलाकार, पकने पर रंग हल्का पीला, गुदा नारंगी रंग का और रसदार होता है। इस किस्म में लता मध्यम लंबाई की होती है।
- पूसा शरबती (S-445): इस किस्म में एक बेल पर लगने वाले फल 3 से 4 होते हैं। इस किस्म में फल गोल, मध्यम आकार, छिलका हल्का गुलाबी रंग का और जालीदार, गुदा नारंगी रंग का एवं मोटा होता है।
- पूसा मधुरस: खरबूजे की इस किस्म में फल का औसत भार 700 ग्राम तक होता है। इस किस्म में एक बेल पर लगने वाले फल 4 से 5 होते हैं। इस किस्म में फल गोल, चपटे, धारीदार गहरे हरे रंग के, गुदा नारंगी रंग का और रसदार होता है।
इन किस्मों के अतिरिक्त अधिक उत्पादन देने वाली किस्में भी हैं, जैसे M – 4, MH – 10, MH – 51, MHY – 5, RN – 50, नरेंद्र खरबूजा 1, पंजाब M3, पंजाब हाइब्रिड, पूसा मधुरस, पूसा रसराज, दुर्गापुरा मधु, स्वर्ण, हिसार मधुर सोना और अर्को जीत आदि।
खरबूजे की खेती करने की प्रक्रिया
खरबूजे की खेती की प्रक्रिया में सबसे पहले खेत की मिट्टी पलटाई जाती है, जिसके लिए मिट्टी पलटने वाले हल का उपयोग किया जाता है। इन हलों से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा कर दिया जाता है। जुताई के बाद खेत में पानी देकर पलेवा किया जाता है।
पलेवा के पश्चात् के कुछ दिन पश्चात् खेत की 2 से 3 तिरछी जुताई कल्टिवेटर की सहायता से करनी चाहिए। मिट्टी जब भुरभुरी हो जाए तब खेत को पाटा की सहायता से समतल कर देना चाहिए।
समतल खेत में बीज रोपने के लिए क्यारियां तैयार कर लेना चाहिए। अगर बीजों को नालियों में रोपना हो तब नालियां तैयार करनी होती हैं, जिसकी गहराई जमीन से आधी फीट और चौड़ाई एक से डेढ़ फीट होनी चाहिए।
खरबूजे की खेती में बुवाई और सिंचाई कैसे की जाए?
खरबूजे की खेती में बुवाई पौधों और बीज दोनों ही तरीकों से की जा सकती है।
खरबूजे के बीज को रोपने के लिए समय फरवरी माह है। इसके अलावा अधिक ठंडे प्रदेशों में खरबूजे के बीजों की रोपाई अप्रैल और मई के माह में की जानी चाहिए। बीजों को रोग से बचाने हेतु बीज को बोने से पहले उनका थिरम या कैप्टान द्वारा उपचार कर लेना चाहिए। 1 हेक्टेयर खेत में लगभग 1 से 2 किलो बीज की जरूरत होती है। बीजों को क्यारियों और नालियों में 2 से 3 सेमी की गहराई में बोया जाता है तथा बीजों को 2 फीट की दूरी पर बोना चाहिए।
खरबूजे की सिंचाई के लिए टपक सिंचाई प्रणाली द्वारा सिंचाई की जाती है। खरबूजे की प्रारंभ में सिंचाई बीज रोपने के बाद ही कर दी जाती है। अगर मौसम बारिश वाला हो तो आवश्यकता के अनुसार सिंचाई की जानी चाहिए।
खरबूजे की खेती में खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग
खरबूजे के खेत के लिए तैयार की गईं क्यारियों और नालियों में जैविक और रासायनिक दोनों खाद का उपयोग किया जाता है। जैविक खाद के लिए शुरुआत में पुरानी गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर में 200 से 300 क्विंटल मात्रा में दी जाती है।
रासायनिक खाद के लिए 40 किलोग्राम पोटाश, 30 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस की खाद को प्रति हेक्टेयर में तैयार नालियों और क्यारियों में दी जाती है। जब खरबूजे के पौधे पर फूल लगने लगे तब प्रति हेक्टेयर 20 किलोग्राम यूरिया की मात्रा दी जानी चाहिए।
खरबूजे की तुड़ाई का कार्य
खरबूजे का फल का रंग बदलने लगता है, क्योंकि फल अंतिम किनारे से पकना शुरू करता है। खरबूजे की फसल बीज रोपने के 90 से 95 दिन बाद तैयार हो जाती है। इसके बाद फल को तोड़ना शुरू कर लिया जाता है।
खरबूजे के बीजों से संबंधित खर्च एवं मुनाफा
इसके अतिरिक्त खरबूजे के बीजों से भी मुनाफा लिया जा सकता है। खरबूजे के बीज की आय की गणना करें तो प्रति हेक्टेयर लगभग 6 क्विंटल बीज जो कि 15 हजार रुपए प्रति क्विंटल के भाव से बिकता है, कुल 90 हजार कमाई में से अगर लगभग 13 हजार खर्च हटा लें तो बीजों पर मुनाफा लगभग 75 से 77 हजार तक प्राप्त होता है।
खरबूजे की खेती से प्राप्त उत्पादन और लाभ
खरबूजे के 1 हेक्टेयर खेती पर लगने वाली लागत:
- बीज: 3 से 5 किलो, लगभग 1000 रूपये
- खेत तैयारी: लगभग 3000 रूपये
- रोपाई एवं खाद: 6000 रूपये
- तुड़ाई पर मजदूरी: 3000 रूपये
- कुल खर्च: लगभग 13000 रूपये
खरबूजे के 1 हेक्टेयर खेती से प्राप्त उपज 200 से 250 क्विंटल होती है और बाजार में खरबूजे का भाव प्रति किलो 15 से 20 रूपये होता है। खरबूजे की एक बार की फसल से 3 से 4 लाख तक का मुनाफा कमा सकते हैं।