जानिए, गेहूं की कटाई का सही तरीका और महत्वपूर्ण बातें
रबी के सीजन में गेहूं मुख्य रूप से बोई जाने वाली फसल है। रबी फसलों की कटाई का समय है और कई जगहों पर रबी फसलों की कटाई पूर्ण हो चुकी है। इसी क्रम में गेहूं की कटाई का कार्य चल रहा है। किसान भाई अप्रैल माह में गेहूं की कटाई का कार्य कर रहे हैं और कुछ किसानों की गेहूं की कटाई का कार्य पूर्ण हो चुका है। इसी क्रम में Indian Agricultural Research Institute (IARI), दिल्ली के कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की खेती करने वाले किसान भाइयों के लिए गेहूं की कटाई को लेकर कुछ विशेष सलाह दी है जिससे किसानों को गेहूं की कटाई में अधिक उपज प्राप्त हो सके। किसानों का कहना है कि गेहूं की देर से कटाई करने पर गेहूं की अधिक उपज प्राप्त होती है। गेहूं की कटाई के कार्य में किसान भाई विशेष ध्यान रखें। किसान भाई गेहूं की कटाई करते समय इन खास बातों का ध्यान रखें जिससे भरपूर मुनाफा प्राप्त हो सके। आइए, गेहूं की कटाई के सही तरीके से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।
गेहूं की कटाई करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
गेहूं की खेती करने वाले किसान भाइयों के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) (पूसा) के वैज्ञानिकों ने गेहूं की कटाई से संबंधित विशेष सलाह दी है। गेहूं की कटाई करते समय ध्यान रखने योग्य बातें इस प्रकार हैं –
- गेहूं की खेती में फसल कटाई के लिए तैयार है, इसके लिए ध्यान रखें कि यदि फसल की कटाई में उन्हें बीजों से कट की आवाज सुनाई देती हो, तब फसल कटाई के लिए पूर्ण रूप से तैयार है।
- गेहूं की खेती करने वाले किसान भाइयों को गेहूं की सभी प्रकार की किस्मों की कटाई का कार्य अप्रैल के अंत तक कर लेना चाहिए।
- गेहूं की खेती में किसान यदि फसल की कटाई देरी से करते हैं, तब फसल की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त फसल को चूहे और चिड़िया द्वारा भी नुकसान होता है।
- गेहूं की खेती में फसल की कटाई के समय दाने में नमी की मात्रा लगभग 15% से 20% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- गेहूं की खेती में यदि गेहूं की फसल की कटाई के समय बीज में नमी की मात्रा अधिक हो, तब उसे खेत में लगभग 4 से 5 दिन तक छोड़ देना चाहिए ताकि फसल सूखने के पश्चात बीज में नमी की मात्रा कम हो जाए।
- गेहूं की खेती करने वाले किसानों के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) (पूसा) के वैज्ञानिक डॉ. राजीव कुमार सिंह के अनुसार गेहूं की कटाई के लिए उपयुक्त समय सुबह का समय माना जाता है। इस स्थिति में किसान भाई गेहूं की कटाई सुबह के समय पर करें।
- गेहूं की खेती करने वाले जो किसान भाई गेहूं की कटाई का कार्य हंसिया, दरांती या रीपर मशीन की सहायता से करते हैं, वह गेहूं की कटाई फसल की सतह से 4 से 5 सेंटीमीटर ऊपर से करें।
- गेहूं की खेती में गेहूं की कटाई यदि हाथ से की जाए, तब फसल के बंडल 3 से 4 दिन तक खेत में छोड़ देना चाहिए ताकि पूर्ण रूप से सूखने के पश्चात उसमें नमी की मात्रा कम रहे।
गेहूं के बीज का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए विशेष सलाह
Indian Agricultural Research Institute (IARI) (पूसा), दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ. राजीव कुमार के अनुसार जिन किसानों द्वारा इस समय गेहूं के बीज के उत्पादन का कार्य किया जा रहा है उनके लिए विशेष सलाह यह है कि वे किसान भाई इस समय खेत से अवांछित पौधों को निकालने का कार्य (रोगिंग) करें।
यदि थोड़े भी अवांछित पौधों की संख्या पाई जाए तो इससे बीज की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। गेहूं के बीज का उत्पादन करने वाले किसान भाइयों के लिए यह उचित नहीं है क्योंकि अच्छी गुणवत्ता के बीजों की बुवाई से ही अच्छी फसल प्राप्त की जा सकती है।
किसानों द्वारा अपना बीज उत्पादन करने के पश्चात इसी बीज की बुवाई आगे की फसल के लिए की जाती है। इस स्थिति में गेहूं के बीजों की गुणवत्ता को बनाए रखना आवश्यक है। गेहूं के बीज का उत्पादन करने वाले किसान भाई बीज उत्पादन की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए अवांछित पौधों को गेहूं की कटाई से पूर्व लगभग 1 या 2 बार उनकी रोगिंग करके निकाल दें ताकि बीज की गुणवत्ता उत्तम रहे।
गेहूं की एक बाली में दानों की संख्या लगभग 50 से 55 होती है। अवांछित पौधों से बीज की गुणवत्ता खराब होती है। गेहूं की खेती में अवांछित पौधों को निकालने से काफी लाभ होता है।
सीजन 2024-25 में देश में गेहूं की पैदावार और खरीद का अनुमान
भारत सरकार के अनुसार रबी विपणन सीजन 2024-25 में देश में गेहूं की पैदावार का अनुमान लगभग 11.5 करोड़ टन लगाया गया है, जो पिछले साल की तुलना में थोड़ा अधिक है।
सरकार ने इस सीजन में गेहूं की खरीद का लक्ष्य लगभग 310 लाख टन तय किया है, जिसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदा जाएगा। वर्तमान में गेहूं का MSP ₹2275 प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।
गेहूं की कटाई मार्च के अंत और अप्रैल की शुरुआत से शुरू हो चुकी है और प्रमुख उत्पादक राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में कटाई का कार्य तेजी से जारी है। सरकार और एजेंसियां मंडियों में खरीद व्यवस्था को मजबूत करने में जुटी हैं ताकि किसानों को समय पर भुगतान और उचित दाम मिल सके।