जानिए, तिल की खेती क्यों करें??
हमारे देश में बागवानी फसलों के साथ दलहन और तिलहन की फसलों का भी महत्वपूर्ण स्थान है। इसी क्रम में किसान भाई एक ऐसी फसल की खेती कर सकते हैं जो कम पानी और कम समय में प्राप्त की जा सकती है। बेहतर पैदावार देने वाली वह फसल तिल की फसल है। तिल तिलहन वाली फसलों में आती है। तिल नकदी फसल के अंतर्गत आने वाली फसल है जिसकी मांग बाजार में हर समय बनी रहती है। तिलहन फसलों में तिल का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है। तिल की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। तिल की खेती अनुपजाऊ भूमि में भी की जा सकती है। तिल का उत्पादन वर्ष में 3 बार किया जा सकता है। हमारे देश में तिल की खेती रबी, खरीफ और जायद के मौसम में की जाती है, किंतु अधिकांश रूप से तिल की खेती खरीफ के सीजन में की जाती है। मध्यप्रदेश में गर्मी के मौसम में तिल की खेती की जाती है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा अन्य राज्यों के लिए भी तिल के ऐसे बीजों का विकास किया है जिनकी बुवाई गर्मी में भी की जा सकेगी। पिछले कुछ वर्षों से तिल की खेती किसानों के लिए मुनाफे वाली साबित हो रही है। तिल की खेती करने वाले किसानों को अच्छा मुनाफा प्राप्त हो रहा है। वर्तमान में उत्तम गुणवत्ता के तिल की कीमत प्रति क्विंटल 15 हजार रुपए है। यदि किसान भाई कम समय में अधिक लाभ प्राप्त करना चाहते हैं, तो उनके लिए तिल की खेती लाभ का सौदा है। आइए, गर्मी के मौसम में तिल की उन्नत खेती से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।
विभिन्न राज्यों के अनुसार तिल की खेती का सही समय
तिल नकदी फसल के अंतर्गत आने वाली फसल है जिसकी मांग बाजार में हर समय बनी रहती है। तिल में तेल की मात्रा 50% तक पाई जाती है। हमारे देश में सबसे अधिक तिल की खेती राजस्थान राज्य में की जाती है। इसके अतिरिक्त मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में तिल की खेती की जाती है। उत्तर प्रदेश राज्य में बुंदेलखंड क्षेत्र में तिल की खेती मुख्य रूप से की जाती है। राजस्थान के अतिरिक्त अधिकांश राज्यों में तिल की खेती खरीफ के सीजन में की जाती है। खरीफ सीजन में तिल की खेती के लिए बुवाई का उचित समय जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के मध्य सप्ताह तक होता है। उत्तरप्रदेश में रबी और खरीफ दोनों सीजन में तिल की खेती की जाती है। रबी सीजन में तिल की खेती के लिए बुवाई का उचित समय अगस्त के अंतिम सप्ताह से सितंबर के प्रथम सप्ताह तक होता है। बिहार में तिल की खेती जायद के सीजन में की जाती है। जायद सीजन में तिल की खेती के लिए बुवाई का उचित समय 25 फरवरी से 10 मार्च तक होता है।
गर्मियों में तिल की खेती से संबंधित नया शोध जारी
मध्यप्रदेश के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश और आसपास के क्षेत्र में तिल की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय(CSAUA&T), कानपुर में तिल की खेती से संबंधित शोध कार्य जारी है। इस शोध के अंतर्गत तिल की खेती गर्मियों में किए जाने पर शोध किया जा रहा है। यदि यह शोध सफल रहा तो किसान गर्मी में भी तिल की खेती कर सकेंगे। इस शोध से यह ज्ञात हो जाएगा कि उत्तरप्रदेश में गर्मियों में तिल की खेती की जा सकेगी या नहीं। इसके अतिरिक्त यह भी ज्ञात हो जाएगा कि किसान भाई कौन से क्षेत्र में कौन-सी किस्मों की बुवाई करें और कौन-सी बातों का विशेष ध्यान रखें। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय(Chandra Shekhar Azad University of Agriculture & Technology) विश्वविद्यालय में मध्यप्रदेश से AVTS 1 से लेकर AVTS 16 तक की किस्म के बीजों को मंगाया गया है। विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला में 16 अलग-अलग भागों में प्रत्येक किस्म का बीज लगाया गया है। इन बीजों में सफेद और काले तिल भी सम्मिलित हैं। इन बीजों को एक माह पूर्व ही लगाया गया है। इस फसल के पकने की अवधि लगभग 75 से 80 दिन है। कृषि वैज्ञानिक का शोध जारी है और इस पर लगातार ध्यान रखा जा रहा है। आने वाले दो माह के अंदर इस शोध के परिणाम दिखाई देंगे।
तिल की खेती से संबंधित शोध सफल होने पर होगा बंपर मुनाफा
गर्मियों में तिल की खेती से संबंधित शोध कार्य जारी है। यदि गर्मियों में तिल की खेती पर किया जाने वाला शोध कार्य सफल होता है, तो उत्तरप्रदेश के किसानों के लिए गर्मियों में भी खेती से कमाई हो सकेगी। तिल की खेती कम समय में अधिक लाभ देने वाली खेती है। तिल की उपयोगिता के कारण इसकी बाजार मांग में भी निरंतर वृद्धि हो रही है। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय(CSAUA&T), कानपुर के सब्जी विज्ञान विभाग के प्रभारी प्रोफेसर राम बटुक सिंह के अनुसार विश्वविद्यालय पहली बार गर्मियों में तिल की फसल की खेती से संबंधित शोध कार्य कर रहा है। यदि यह शोध कार्य सफल रहा, तब उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए यह फायदे का सौदा होगा। किसान जायद और रबी दोनों सीजन में तिल की खेती करके काफी अच्छा मुनाफा प्राप्त कर पाएंगे। उत्तरप्रदेश के किसान रबी और खरीफ सीजन के अतिरिक्त गर्मी के सीजन में भी तिल की खेती कर सकेंगे।
गर्मी में तिल की खेती से इन किसानों को होगा लाभ
मध्यप्रदेश के किसान तिल की खेती रबी, खरीफ और जायद तीनों सीजन में करते हैं। मध्यप्रदेश के किसान गर्मियों में तिल की खेती के लिए AVTS 1 से लेकर AVTS 16 तक की किस्म के बीजों की बुवाई करते हैं। मध्यप्रदेश में जायद सीजन में तिल की बुवाई जनवरी के दूसरे सप्ताह से फरवरी के दूसरे सप्ताह तक की जाती है। मध्यप्रदेश के समान ही उत्तरप्रदेश में भी गर्मी में तिल की खेती से संबंधित शोध कार्य जारी हैं। यदि गर्मी में तिल की खेती से संबंधित शोध कार्य सफल रहा तो उत्तर प्रदेश के किसान गर्मी में भी तिल की खेती कर अच्छा लाभ प्राप्त कर सकेंगे। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के किसान रबी और खरीफ दोनों सीजन में तिल की खेती मुख्य रूप से करते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य राज्यों में भी गर्मी में तिल की खेती हो सकेगी। यदि यह शोध कार्य सफल रहा तब उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए यह फायदे का सौदा होगा।