चना के बीज को सुरक्षित रखने के लिए सही भंडारण तकनीक और उन्नत खेती के उपाय

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चना की उन्नत खेती: नवीनतम तकनीकियों के साथ

चना (काला चना) भारत में एक महत्वपूर्ण दलहन फसल है, जो न केवल आहार में योगदान करती है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने और पशु आहार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मध्य प्रदेश, विशेषकर इंदौर क्षेत्र, चना उत्पादन के प्रमुख केंद्रों में से एक है। उन्नत खेती और भंडारण तकनीकों को अपनाकर किसान बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

उन्नत बीज चयन और बीजोपचार

उन्नत किस्मों का चयन
हाल ही में, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने दो नई काले चने की किस्में ‘कोटा देसी चना 2’ और ‘कोटा देसी चना 3’ विकसित की हैं। ‘कोटा देसी चना 2’ की औसत उपज 20.72 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि ‘कोटा देसी चना 3’ की औसत उपज 15.57 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इन किस्मों में उच्च प्रोटीन सामग्री (18.77%) और रोग प्रतिरोधक क्षमता है, जो इन्हें मध्य प्रदेश जैसे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त बनाती है।

बीजोपचार
बीजों को बुवाई से पहले थायरीम या केप्टान जैसे फफूंदनाशकों से उपचारित करें। राइजोबियम कल्चर का उपयोग करके नाइट्रोजन स्थिरीकरण बढ़ाएं। यदि क्षेत्र में दीमक की समस्या हो, तो बीजों को क्लोरपाइरीफॉस 20 EC से उपचारित करें।

बुवाई की उन्नत तकनीक

बुवाई का समय: असिंचित क्षेत्रों में 15 अक्टूबर से 1 नवम्बर तक।
बीज दर: देशी चने के लिए 70-80 किग्रा/हेक्टेयर और काबुली चने के लिए 90-100 किग्रा/हेक्टेयर।
पंक्ति दूरी: देशी चने के लिए 30 सेमी और काबुली चने के लिए 30-45 सेमी।
बुवाई की गहराई: 5-7 सेमी (सिंचित क्षेत्रों में) और 7-10 सेमी (वृष्टि आधारित क्षेत्रों में)।

उर्वरक एवं पोषक तत्व प्रबंधन

मुख्य उर्वरक: NPK 20:40:20 किग्रा/हेक्टेयर और सल्फर 20 किग्रा/हेक्टेयर।
सूक्ष्म पोषक तत्व: यदि मृदा में जिंक की कमी हो, तो 25 किग्रा/हेक्टेयर जिंक का प्रयोग करें।

सिंचाई और जल प्रबंधन

सिंचाई विधि: ड्रिप सिंचाई जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करें जिससे जल की बचत हो और पौधों को समय पर नमी मिले।
सिंचाई का समय: फूल आने से पहले 2% डीएपी और 2% पोटाश का पत्तियों पर छिड़काव करें जिससे उपज में वृद्धि होती है।

खरपतवार और कीट प्रबंधन

खरपतवार नियंत्रण: बुवाई के 25-30 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें। रासायनिक खरपतवारनाशक जैसे पेंडीमेथालिन या मेटालाक्लोर @ 1.0-1.5 किग्रा/हेक्टेयर का उपयोग करें।

कीट प्रबंधन: फली छेदक के नियंत्रण के लिए ट्रायजोफॉस/मोनोक्रोटोफॉस 2 मिली/लीटर पानी का छिड़काव करें। एफिड्स के लिए मिथाइल डिमेटन 25 ईसी @ 1000 मिली/हेक्टेयर का छिड़काव करें।

भंडारण प्रबंधन

  • सुखाना: कटाई के बाद बीजों को 3-4 दिनों तक धूप में सुखाएं ताकि नमी की मात्रा 8-10% हो जाए।
  • भंडारण: साफ और सूखे कंटेनरों में बीजों को स्टोर करें। भंडारगृह को शुष्क एवं ठंडा रखें, जिससे फफूंद या रोगाणुओं से बचाव हो सके।

राज्य और अंतरराष्ट्रीय उत्पादन स्थिति

भारत के प्रमुख चना उत्पादक राज्य हैं मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और आंध्र प्रदेश। बिहार में सबसे अधिक औसत पैदावार (898 किग्रा/हेक्टेयर) दर्ज की गई है, जबकि छत्तीसगढ़ में न्यूनतम (309 किग्रा/हेक्टेयर) है।

चना खेती में नवीनतम बदलाव और उन्नत तकनीकियाँ

  • स्मार्ट कृषि तकनीकियाँ: इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और मशीन लर्निंग आधारित ग्रीनहाउस नियंत्रण प्रणालियाँ फसल की वृद्धि दक्षता और उपज में वृद्धि करती हैं।
  • कृषि में जलवायु परिवर्तन से निपटना: NABARD और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सहयोग से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए तकनीकी सहायता इकाई (TSU) स्थापित की गई है।
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