सोयाबीन की ये 3 किस्मे कर देंगी किसानो को मालामाल, कम लागत में होगा दोगुना मुनाफा, देखे पूरी डिटेल्स

सोयाबीन की ये 3 किस्मे कर देंगी किसानो को मालामाल, कम लागत में होगा दोगुना मुनाफा, देखे पूरी डिटेल्स । भारत में सोयाबीन की बुवाई का समय आ गया है। इसकी बुवाई का समय जून से शुरू हो जाती है। इसे देखते हुए किसानों को सोयाबीन की अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों की जानकारी होनी जरूरी है ताकि वे इन किस्मों में से अपने क्षेत्र के अनुकूल किस्म का चयन करके समय पर सोयाबीन की बुवाई कर सकें। आइये जानते इन किस्मो के बारे में।

सोयाबीन की प्रताप सोया-45 (आरकेएस-45 )

जानकारी के लिए बतादे राजस्थान राज्य में सोयाबीन की प्रताप सोया-45 (आरकेएस-45) किस्म खेती के लिए उपयुक्त है। सोयाबीन की इस वैरायटी की बढ़वार काफी अच्छी होती है। इसके फूल सफेद होते हैं। इसके बीज का रंग पीला होता और भूरे रंग का हिलम होता है। यह किस्म पानी की कमी को कुछ हद तक सहन कर सकती है।

अगर बात करे सिंचित क्षेत्र में उर्वरकों के साथ अच्छी प्रतिक्रिया देती है। यह किस्त यलो मोजेक वाइरस के प्रति कुछ हद तक प्रतिरोधी है। यह किस्म 90-98 दिन में पककर तैयार हो जाती है। ये किस्म 30 से 35 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की पैदावार देती है। इस किस्म से किसान कम लागत में भरपूर मुनाफा कमा सकते है।

सोयाबीन की जेएस 2034 किस्म

आपको बतादे सोयाबीन की जेएस 2034 किस्म की बुवाई का उचित समय 30 जून तक का होता हैं। सोयाबीन की इस किस्म में दाने का रंग पीला, फूल का रंग सफेद तथा फलिया फ्लैट होती है। यह किस्म कम वर्षा होने पर भी अच्छा उत्पादन देती है।

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सोयाबीन की जेएस 2034 किस्म की बुवाई के लिए बीज मात्रा 30-35 किलों बीज प्रति एकड़ पर्याप्त हैं। फसल की कटाई 80-85 दिन में हो जाती हैं। सोयाबीन जेएस 2034 किस्म का उत्पादन करीब एक हेक्टेयर में 24-25 क्विंटल तक होता हैं।

सोयाबीन की एमएसीएस 1407

आपकी जानकारी के लिए बतादे सोयाबीन की एमएसीएस 1407 नाम की यह नई विकसित किस्म असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त है। और यह गर्डल बीटल, लीफ माइनर, लीफ रोलर, स्टेम फ्लाई, एफिड्स, व्हाइट फ्लाई और डिफोलिएटर जैसे प्रमुख कीट-पतंगों के लिए प्रतिरोधी किस्म है। ऐसे में सोयाबीन की यह किस्म बिना किसी उपज हानि के 20 जून से 5 जुलाई के दौरान बुआई के लिए अत्यधिक अनुकूल है। इस किस्म को तैयार होने में बुआई की तारीख से 104 दिन लगते हैं। और यह किस्म प्रति हेक्टेयर में 39 क्विंटल का पैदावार दे सकती है।

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