अप्रैल के महीने में करें इन उन्नत 10 फसलों की बुवाई और पाए भरपूर लाभ

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जानिए, अप्रैल माह में खेती से संबंधित जानकारी

अप्रैल एक ऐसा माह है जब रबी की फसलों की कटाई होती है और किसान भाई फसलों की बिक्री करके खेती से कुछ समय के लिए मुक्त हो जाता है। इसके पश्चात किसान भाई जायद की फसलों की तैयारी करते हैं। अप्रैल माह में गेहूं की कटाई और जून माह में धान और मक्का की बुवाई के मध्य लगभग 50 से 60 दिन खेत खाली रहते हैं। इस अंतराल में किसान भाई अपने कमजोर खेतों में हरी खाद के निर्माण के लिए जायद की फसलों जैसे – लोबिया, ढेंचा या मूंग आदि की खेती भी कर सकते हैं। अप्रैल के माह में किसान भाई उन्नत 10 फसलों की खेती करके काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं। इन उन्नत फसलों की खेती से कम लागत में काफी अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है और गर्मी में इनकी बाजार मांग भी बहुत होती है जिससे इनका काफी अच्छा भाव मिल जाता है। आइए, अप्रैल माह में बोई जाने वाली उन्नत 10 फसलों की खेती से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।

अप्रैल माह में बुवाई की जाने वाली फसलें

(1) भिंडी की खेती

भिंडी की बाजार मांग बनी रहती है जिससे इसका काफी अच्छा भाव मिल जाता है। भिंडी का सेवन स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है। भिंडी में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे – कैल्शियम, फास्फोरस, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और विटामिन A, B और C आदि। इसके अतिरिक्त भिंडी में थायमिन और राइबोफ्लेविन भी पाया जाता है और इसमें आयोडीन की मात्रा भी अधिक होती है। भिंडी के सेवन से कब्ज से छुटकारा मिलता है। गर्मी के सीजन में किसान भाई भिंडी की इन किस्मों की खेती कर सकते हैं जैसे – परभनी क्रांति, अर्का अनामिका और पूसा A-4 आदि।

(2) लौकी की खेती

लौकी एक ऐसी सब्जी है जो सभी मौसम में मिल जाती है इसलिए लौकी की खेती वर्ष में तीन बार की जा सकती है। मंडी में लौकी की सब्जी की मांग हर समय बनी रहती है। लौकी की गर्मी में मांग अधिक रहती है। लौकी में पाए जाने वाले पोषक तत्व जैसे – कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, आयरन, ज़िंक, लवण, प्रोटीन, विटामिन A व C आदि। लौकी के सेवन से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है और पाचन क्रिया भी सही रहती है। लौकी गंभीर बीमारियों में औषधि के रूप में भी कार्य करती है। गर्मी के सीजन में किसान भाई लौकी की इन किस्मों की खेती कर सकते हैं जैसे – पूसा संदेश और पूसा नवीन आदि।

(3) तोरई की खेती

तुरई एक कद्दूवर्गीय फसल हैं।तोरई की खेती ग्रीष्म ऋतु और वर्षा ऋतु दोनों में की जा सकती हैं।तोरई की खेती पूरे भारत में की जाती हैं।हमारे देश में तोरई की खेती व्यावसायिक रूप से की जाती हैं क्योंकि इसकी बाजार मांग बहुत होती हैं।तोरई का सेवन स्वास्थ्य की दृष्टि से फायदेमंद होता हैं।तोरई में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता हैं इसलिए इसका सेवन स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी होता हैं।गर्मी के सीजन में किसान भाई तोरई की इस किस्म की खेती कर सकते हैं जैसे – पूसा स्नेह आदि।

(4) मूली की खेती

मूली की खेती भी किसानों के लिए फायदेमंद होती हैं।मूली की मांग भी बाजार मांग भी बहुत होती हैं।मूली का उपयोग सब्जी के साथी कच्चे सलाद और अचार के रूप में भी किया जाता हैं।मूली के सेवन से बहुत सी बीमारियों को दूर किया जा सकता हैं।गर्मी के सीजन में किसान भाई मूली की इस किस्म की खेती कर सकते हैं जैसे – पूसा चेतकी आदि।

(5) फ्रेंचबीन की खेती

फ्रेंचबीन एक दलहन फसल हैं और इसकी बाजार मांग भी काफी हैं।फ्रेंचबीन को राजमा भी कहा जाता हैं।फ्रेंचबीन की खेती भी किसान भाई अप्रैल माह में कर सकते हैं।फ्रेंचबीन को चावल के साथ खाया जाता हैं।फ्रेंचबीन(राजमा) का सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता हैं।गर्मी के सीजन में किसान भाई फ्रेंचबीन की इन किस्मों की खेती कर सकते हैं जैसे – पूसा पार्वती व कोंटेनडर किस्म आदि।

(6) चौलाई की खेती

चौलाई की खेती वर्ष में दो बार ग्रीष्म और वर्षा ऋतु में की जा सकती हैं।चौलाई की पत्तियों को खाने के उपयोग में लिया जाता हैं।चौलाई की सब्जी बनाई जाती हैं।चौलाई में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे – कैल्शियम , फॉस्फोरस , कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन , और विटामिन-A आदि।चौलाई में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के कारण यह स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होती हैं।गर्मी के सीजन में किसान भाई चौलाई की इन किस्मों की खेती कर सकते हैं जैसे – पूसा लाल चौलाई और पूसा किरण आदि।

(7) खीरे की खेती

गर्मी के मौसम में खीरे की मांग बाजार में बहुत होती हैं।गर्मी के सीजन में खीरे की खेती से किसान भाई काफी अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं।खीरे का सेवन मुख्य रूप से कच्चे सलाद के रूप में किया जाता हैं।खीरे को कच्चा सलाद के रूप में प्रयोग करने के अतिरिक्त इसकी सब्जी भी बनाई जाती हैं।खीरे में पानी की अधिक मात्रा पाई जाती हैं इसलिए इसका सेवन फायदेमंद माना जाता हैं।गर्मी के सीजन में किसान भाई खीरे की इस किस्म की खेती कर सकते हैं जैसे – पूसा उदय किस्म आदि।

(8) मूंग की खेती

मूंग एक दलहन फसलों के अंतर्गत आने वाली फसल हैं जिसकी बाजार मांग हमेशा रहती हैं।मुंग से मूंग की दाल भी बनाई जाती हैं।किसान भाई रबी व खरीफ सीजन के बीच के अंतराल में मूंग की खेती अवश्य करें।मूंग की खेती से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती हैं और साथ ही खेत खाली रहने पर मूंग की खेती करके अतिरिक्त आय भी प्राप्त की जा सकती हैं।मूंग की खेती किसान के लिए लाभकारी होने के साथ ही खेत की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने में भी सहायक होती हैं।गर्मी के सीजन में किसान भाई मूंग की इन किस्मों की खेती कर सकते हैं जैसे – पूसा रत्ना , पूसा बैसाखी , पूसा विशाल , पूसा-5931 , सम्राट , SML-32 , SML-668 और PDM-11 आदि।

(9) लोबिया की खेती

लोबिया एक दलहन फसल हैं।अप्रैल के माह में किसान भाई लोबिया की खेती करके भी भरपूर कमाई कर सकते हैं।लोबिया की बुवाई पशुओं के चारे , हरी खाद और सब्जी के रूप में की जाती हैं।लोबिया की कच्ची फलियों की तुड़ाई करके किसान भाई इसकी बाजार में बिक्री कर सकते हैं।लोबिया की कच्ची फलियों की सब्जी बनाकर सेवन की जाती हैं।गर्मी के सीजन में किसान भाई लोबिया की इन किस्मों की खेती कर सकते हैं जैसे – पूसा कोमल और पूसा सुकोमल आदि।

(10) मक्का की खेती

मक्का की मांग पशु चारे एवं पोल्ट्री उद्योग के लिए बहुत अधिक होती हैं इसी कारण मक्का की बाजार मांग हमेशा बनी रहती हैं।मक्का की कई किस्में हैं।मक्के की बेबी कार्न किस्म में फास्फोरस भरपूर मात्रा में पाया जाता हैं।मक्के की बेबी कार्न किस्म स्वाद में अच्छी होने के साथ ही पौष्टिक भी होती हैं।मक्के की बेबी कॉर्न किस्म का प्रयोग सब्जी , अचार , सूप , कैंडी और सलाद में किया जाता हैं।इसके अतिरिक्त मक्के की इस किस्म से बर्फी , लड्‌डू , खीर , कोफ्ता , पकौड़ी और टिक्की आदि व्यंजन भी बनाए जाते हैं।गर्मी के सीजन में किसान भाई मक्के की चारे की इस किस्म की खेती कर सकते हैं जैसे – अफरीकन टाल।इसके अतिरिक्त बेबी कॉर्न मक्का की HM-4 किस्म की खेती भी कर सकते हैं।

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