Watermelon Farming: तरबूज की खेती आपको बनाएंगी लखपति,होगा बंपर मुनाफा, ऐसे करें खेती

Rate this post

Watermelon farming: Kheti: जीवन में मिठास घोल देगी तरबूज की खेती, होगा तगड़ा मुनाफा, यह तकनीक बना देगी आपको लखपति भारत में आजकल किसान अपनी परम्परागत खेती को छोड़कर धीरे धीरे नगदी और जायद फसलों की और अगसर हो रहे है जिससे वह कम समय में अधिक मुनाफा कमा सके। आज कल तरबूज की खेती का प्रचलन बढ़ रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है की तरबूज की खेती में अन्य फलों के फसलों की तुलना में कम खाद, कम समय, और कम पानी की जरुरत होती है। तरबूज की खेती मुख्यरूप से यूपी, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में होती है। अगर आप भी इसकी खेती करने के बारे में सोच रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए बेहद आवश्यक साबित होंगी।

गर्म इलाकों में की जाती है तरबूज की खेती

तरबूज की खेती के लिए सबसे उत्तम गर्म और औसत आर्द्रता वाले क्षेत्र को माना जाता है। इसके पूर्ण रूप से विकास के लिए लगभग 25 से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। जानकारों का कहना है कि इसकी खेती के लिए रेतीली और रेतीली दोमट भूमि में अच्छी पैदावार देती है, जो गंगा, यमुना और नदियों के किनारो पर खाली स्थानों में क्यारियां बनाकर बेहतरीन ढंग से की जाती है।

गोबर खाद का करे उपयोग

अगर आप तरबूज की खेती में सही तकनीक का उपयोग करते है तो आप इससे लाखों का मुनाफा कमा सकते है। ऐसे में जरूरी है कि पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से की जाए। साथ ही खेत में पानी की मात्रा निर्धारित होनी चाहिए। आपको नदियों के खाली स्थानों में क्यारियां बना लेनी चाहिए। इसके बाद भूमि में गोबर की खाद को अच्छी तरह मिलाएं। ध्यान रहे यदि रेत की मात्रा अधिक है, तो ऊपरी सतह को हटा दें और नीचे की मिट्टी में खाद को मिलाएं। इससे आपको बेहतर परिणाम और बंपर उत्पादन मिलेगा।

तरबूज की बुवाई करने का सही समय

दोस्तों आप तो जानते ही होंगे की किसी भी फसल के बेहतर उत्पादन के लिए खेती समय के अनुसार की जाती है, जो क्षेत्र के अनुसार से अलग-अलग भी हो सकता है। उत्तरी भारत के मैदानी इलाको में तरबूज की बुवाई फरवरी के महीने में की जाती है। इसके साथ ही नवम्बर से मार्च तक का समय भी नदियों के किनारों पर तरबूज की बुवाई के लिए उत्तम होता है। इसके अलावा पहाड़ी इलाको में तरबूज की बुवाई मार्च से अप्रैल महीने में की जा सकती है।

इस प्रकार करे तरबूज की बुवाई

फसल के अच्छे उत्पादन तरबूज के बेहतरीन किस्म और भूमि की उर्वरा शक्ति पर निर्भर करती है। मेड़ों पर लगभग 2.5 से 3.0 मीटर की दूरी पर 40 से 50 सेंटीमीटर चौड़ी नाली बनाकर इसकी बुवाई की जाती है। इसके बाद नालियों के दोनों किनारों पर करीब 60 सेंटीमीटर की दूरी पर 2 से 3 बीज बो दें। इसके बाद नदियों के किनारे पर गड्डे बनाकर उसमें मिट्टी, गोबर की खाद और बालू का मिश्रण करे फिर थालें में दो बीज लगा दें। इसके बाद अंकुरण के लगभग 10-15 दिन बाद एक जगह पर 1 से 2 स्वस्थ पौधों को छोड़कर बाकि के पौधे निकाल दें। इससे पौधे भी स्वस्थ रहेंगे और अच्छा उत्पादन भी मिलेगा।

  social whatsapp circle 512
WhatsApp Group
Join Now
2503px Google News icon.svg
Google News 
Join Now
Spread the love