वायदा कारोबार पर लगी रोक को 1अगले साल के लिए बढ़ाया

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वायदा पर लगी रोक कब हटेगी

केंद्र सरकार ने महंगाई पर रोक लगाने के लिए उद्योगों के अनेक अनुरोध के बाद जिन 7 कृषि जिंसों पर वायदा कारोबार पर रोक लगाई थी, उसे आगामी दिसंबर 2023 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। महंगाई के इस दौर में यह कदम स्वागत योग्य है। जीरा एवं कपास्या खली पर भी एक वर्ष के लिए रोक लगा देना चाहिए। देश में तापमान इतना खराब नहीं हुआ कि जीरे की फसल नष्ट हो गई है, अथवा हो जाएगी। सटोरियों ने कपास्या खली इतनी महंगी करके रख दी है कि पशु पालक इसका उपयोग कम मात्रा में कर रहे हैं और देश भर में दूध का संकट खड़ा हो गया है। जीरा 450 से 500 रुपए किलो एवं दूध 62 से 70 रुपए लीटर मिलना मुश्किल हो जाएगा। घी 600 से 650 रुपए किलो नए सीजन में भी बिक रहा है।

ऐसा अहसास होता है कि एनसीडीईएक्स एक्सचेंज में जीरे में चल रही घनघोर सट्टेबाजी पर सेबी को लगाम लगाना चाहिए। देशभर में ठंड का मौसम ठीक नहीं किंतु ठंड इतनी भी कम नहीं है कि गर्मी के सीजन में पसीना बहने लगे हैं। ठंड में पारा जितना नीचे नहीं जा रहा है जितनी उम्मीद की जाती है। इसका यह मतलब भी नहीं है कि जीरे की पूरी फसल नष्ट हो जाएगी। इसके अलावा जीरा जीवन की आश्यक उपयोग होने वाली वस्तुओं में से भी नहीं है। यदि फसल कम हुई है, तब निर्यात पर रोक लगाई जा सकती है।

हालांकि यह निर्णय वाणिज्य मंत्रालय लेता है। सट्टेबाजी रोकने के लिए नई फसल आने तक रोक लगा देना चाहिए। यह महंगाई बढ़ा रहा है। यदि एक वर्ष जीरे का उपयोग नहीं किया तो स्वास्थ्य पर कोई विपरित प्रभाव पड़ने वाला नहीं है। सेबी को यह देखना चाहिए कि आखिर अचानक इस कदर तेजी का प्रमुख विश्वसनीय आधार क्या है।

केवल मौसम की खराबी से वायदे में इतनी बड़ी तेजी का ठोस आधार होना चाहिए। सट्टेबाजी कर रहे सटोरियों विश्वसनीय प्रूफ मांगे जाने चाहिए। सट्टेबाजी से सटोरियों को लाभ होता है, स्टॉक के माल की डिलीवरी दे दी जाती है। दूसरी ओर बाजार में 1-2 क्विंटल की मांग के बिना 8 से 10 रुपए किलो भाव बढ़ा दिए जाते हैं। किसानों की फसल तो बड़ी मात्रा में बिक चुकी है।


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नमस्ते! मैं कपिल पाटीदार हूँ। सात साल से मैंने खेती बाड़ी के क्षेत्र में अपनी मेहनत और अनुभव से जगह बनाई है। मेरे लेखों के माध्यम से, मैं खेती से जुड़ी नवीनतम तकनीकों, विशेषज्ञ नुस्खों, और अनुभवों को साझा करता हूँ। मेरा लक्ष्य है किसान समुदाय को सही दिशा में ले जाना और उन्हें बेहतर उत्पादकता के रास्ते सिखाना।
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