सोयाबीन की बुआई करने का सही समय और तरीका – भारत में रबी फसलों की खेती के बाद अधिकतर किसान खरीफ फसल की खेती के लिए जमीन की तैयारी करते है ताकि फसलों से अच्छी उपज ले सकें। खरीफ के मौसम में सोयबीन की फसल प्रमुख रूप से की जाती हैं। सोयाबीन मध्य़ भारत की एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसलों में से एक है। सोया खली के निर्माण से लगभग 4 हजार करोड़ की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है जिसमें म. प्र. का हिस्सा सर्वाधिक है। भारत वर्ष का 50 प्रतिशत से अधिक सोयाबीन का उत्पादन केवल म.प्र. में होता है जो कि देश में सबसे अधिक है।
सोयाबीन फसल के लिए बुवाई का सही समय:
सोयाबीन की फसल की बुवाई आमतौर पर 4-5 इंच वर्षा होने पर की जाती हैं। सामान्यतः इतनी वर्षा मध्यभारत में 20 जून तक सामान्य मानसून रहने पर हो जाती हैं। इस प्रकार बुवाई करने पर फसल जुलाई के पहले सप्ताह के बीच बीच उत्तम परिणाम देती है। इसमें परिस्थितिवश कुछ दिन आगे पीछे होना कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता हैं। मानसून में देरी होने पर जहां सिंचाई के साधन उपलब्ध हों वहां किसान बुवाई समय से ही करें।
सोयाबीन की फसल की बुवाई का सही तरीका:
खेत में सोयाबीन की बुवाई करते समय कतार से कतार की दूरी 45 से.मी. होना चाहिए। कम ऊंचाई वाली जातियों या कम फैलने वाली जातियों को 30 से.मी. की कतार से कतार की दूरी पर बोना चाहिए जैसे 95-60, 20-34 आदि। पौधे से पौधे की दूरी 5-7 से. मी. रखना चाहिए। बुवाई का कार्य मेड़ – नाली विधि एवं चौड़ी पट्टी – नाली विधि से करने से सोयाबीन की पैदावार में वृद्धि पायी गयी है एवं नमी संरक्षण तथा जल निकास में भी यह विधियां अत्यंत प्रभावी पायी गयी है।
विपरीत परिस्थितियों में बुवाई दुफन, तिफन या सीड ड्रिल से कर सकते हैं। बुवाई के समय जमीन में उचित नमी आवश्यक है। बीज जमीन में 2.5 से 3 से. मी. गहराई पर पडऩे चाहिए।

