किसान समाचार: श्री अन्न योजना से मजबूत होगी भारत की कृषि अर्थव्यवस्था, देखें क्या है योजना और कैसे उठाएं लाभ

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जब से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और भारत सरकार के निरंतर प्रयासों और सुदृढ़ प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया है तब से देश एवं प्रदेश में श्री अन्न का रकबा एवं उत्पादन बढ़ाने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकारें सक्रिय हो गई हैं। श्री अन्न योजना के तहत राज्यों में मिलेट्स मिशन चलाए जा रहे हैं जिसके तहत सब्सिडी तथा आदान सामग्री उपलब्ध कराकर किसानों को पौष्टिक फसल मिलेट्स लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

देश में श्री अन्न या मोटे अनाजों का रकबा 38.37 लाख हेक्टेयर से बढ़कर वर्ष 2022 में 41.34 लाख हेक्टेयर हो गया है। यदि सरकार मिलेट्स फसलों को भी समर्थन मूल्य पर खरीदे तो रकबा, उत्पादन तथा किसानों की आय में तेजी से इजाफा होगा तथा मिलेट्स वर्ष सार्थक हो जाएगा। क्योंकि श्री अन्न फसलों को उगाने में वैसे भी लागत कम लगती है तथा देखरेख भी अधिक नहीं करनी पड़ती है इन्हें प्रकृति का वरदान प्राप्त है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मुताबिक श्रीअन्न के लिए प्रारंभ हुई इस मुहिम से देश में मोटा अनाज उगाने वाले ढाई करोड़ छोटे और सीमांत किसानों की आमदनी बढ़ेगी जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

भारत श्रीअन्न का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। मध्य प्रदेश राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, आदि जैसे प्रमुख मोटा अनाज उगाने वाले राज्यों में उत्पादित मोटे अनाजों की एक व्यापक श्रृंखला से देश समृद्ध है। अभी देश में लगभग 50 मिलियन (500 लाख टन ) मोटे अनाज का उत्पादन होता है।देश में एशिया का लगभग 80 प्रतिशत और विश्व का 20 प्रतिशत मोटा अनाज पैदा होता है। श्री अन्न या मोटे अनाज की खेती में कम मेहनत लगती है और पानी की भी कम जरूरत होती है। यह ऐसा अन्न है जो बिना सिंचाई और बिना खाद के पैदा किया जा सकता है। भारत की कुल कृषि भूमि में मात्र 25-30 फीसद ही सिंचित या अर्धसिंचित है। जब श्री अन्न की मांग बढ़ेगी तो बाजार में इनका दाम बढ़ेगा तभी असंचित भूमि वाले छोटे किसानों की आय भी बढेगी।

मोटे अनाज का निर्यात

वर्तमान में देश से सबसे ज्यादा बाजरा, रागी, कनेरी, ज्वार और कुट्टू एक्सपोर्ट किया जाता है। हम इन्हें अमेरिका, ब्रिटेन, नेपाल, सऊदी अरब, यमन, लीबिया, ट्यूनीशिया, ओमान और मिस्र को सप्लाई करते हैं। वर्ष 2021-22 में भारत का मोटे अनाजों का निर्यात 64 मिलियन डॉलर है। भारत विश्व भर के 139 देशों को मोटे अनाज निर्यात कर रहा है। एपीडा ने वैश्विक पहुंच को व्यापक बनाने के लिए प्रयासों के साथ 2025 तक 100 मिलियन डॉलर के लक्ष्य को अर्जित करने के लिए मोटे अनाज और इसके मूल्य वर्धित उत्पादों को विस्तारित करने के लिए एक मजबूत कार्यनीति बनाई है।

श्री अन्न योजना

केंद्रीय बजट में भी मोटे अनाज को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। आजकल तकरीबन हर व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से ग्रसित है। लेकिन प्राचीन भारत में लोग बहुत कम बीमार पड़ते थे. इसका प्रमुख कारण यही है कि पूर्व में लोग मोटा अनाज खाते थे। मोटा अनाज गेंहू और चावल की तुलना में ज्यादा पौष्टिक होता हैं. इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर 2023 को लेकर केंद्र सरकार कई कार्यक्रम आयोजित कर रही है। इधर मिलेट उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्य सरकारें किसानों को तकनीकी और आर्थिक मदद उपलब्ध करवा रही हैं। कई राज्यों में मिलेट मिशन की तर्ज पर कृषि इनपुट्स पर अनुदान मिल रहा है तो कहीं किसानों को ट्रेनिंग और मिलेट प्रसंस्करण से जोड़ा जा रहा है।

इस कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार ने भी राज्य मिलेट मिशन योजना के तहत श्रीअन्न के प्रचार- प्रसार के लिए किसानों को अनुदान दे रही है। मध्य प्रदेश राज्य मिलेट मिशन के लिए सरकार ने 2 वर्षों के लिए 23 करोड़ 25 लाख रुपये का बजट रखा है।

मोटे अनाजों को लोकप्रिय बनाने केंद्र के प्रयास

केंद्र सरकार ने केंद्रीय पूल में मिलेट्स खरीद का लक्ष्य बढ़ा दिया है। 2021 का लक्ष्य 6.5 लाख टन था। 2022 के लिए इसे बढ़ाकर 13 लाख टन कर दिया गया। खरीफ सीजन में नवंबर तक लक्ष्य से अधिक खरीद हो चुकी थी। नेशनल फ़ूड सिक्योरिटी मिशन (एनएफएसएम) के तहत देश के 14 प्रमुख मिलेट्स उत्पादक राज्यों के 212 जिलों में ‘पोषक फ़ूड मिशन योजनाÓ लागू की जाएगी। इस योजना के तहत मोटा अनाज उगाने वाले किसानों को बेहतर प्रजाति के बीज, खेती के उन्नत तौर तरीकों, फसल संरक्षण के उपाय, उत्पादन के भंडारण के उचित तरीकों और प्रसंस्करण के बारे में जानकारी दी जाएगी।

ये हैं मोटे अनाज

ज्वार, बाजरा, रागी (मडुआ), जौ, कोदो, बाजरा, सांवा, लघु धान्य या कुटकी, कांगनी और चीना फसलों को मोटे अनाज के तौर पर जाना जाता है। वहीं, दानों के आकार के आधार पर मोटे अनाजों को दो भागों में बांटा गया है। पहला मोटा अनाज जिनमें ज्वार और बाजरा आते हैं। दूसरा, लघु अनाज जिनमें बहुत छोटे दाने वाले मोटे अनाज जैसे रागी, कंगनी, कोदो, चीना, सांवा और कुटकी आदि आते हैं। भारत सरकार के अनुसार, मिलेट (ज्वार, बाजरा, रागी आदि) में देश की पोषण संबंधी खाद्य सुरक्षा में योगदान देने की बहुत अधिक क्षमता है। जलवायु परिवर्तन के दौर में चुनौतियां झेल रही दुनिया में ऐसे में हम कह सकते हैं कि मोटे अनाजों में पोषक तत्वों का भंडार है और यह खाद्य सुरक्षा का अक्षय स्त्रोत होगा।

इन राज्यों में होती है श्रीअन्न की खेती

महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, झारखण्ड, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलगांना में किसान बड़े स्तर पर मोटे अनाज की खेती करते हैं। वहीं, आसाम और बिहार में सबसे ज्यादा मोटे अनाजों की खपत होती है. इस साल देश में मोटे अनाज का रकबा पहले के 38.37 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 41.34 लाख हेक्टेयर हो गया है. यही वजह है कि केंद्र सरकार फिर से भारत में मोटे अनाज को बढ़ावा दे रही है।

इस प्रकार श्रीअन्न उत्पादन में भारत वैश्विक नाभि केन्द्र बनता है तो कृषि उपज निर्यात में बढ़ोतरी होगी। निर्यात वृद्धि से देश की अर्थव्यवस्था पर धनात्मक असर पड़ेगा, साथ ही किसानों की आमदनी में क्रातिकारी इजाफा होगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक गत कुछ वर्षों में देश में श्रीअन्न से जुड़ी गतिविधियों पर 500 से अधिक स्टार्टअप्स काम रहे हैं। वहीं श्रीअन्न उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण तक के विभिन्न कामों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे जिसका बहुचक्रीय लाभ आर्थिक परिदृश्य पर परिलक्षित होगा।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।