शहतूत की खेती : करे तकनीकी रूप से शहतूत की खेती और बढ़ाए आय

Rate this post

शहतूत खेती की सामान्य जानकारी

शहतूत को बानस्पतिक रूप में मोरस अल्बा के नाम से जाना जाता है। शहतूत के पत्तों का प्राथमिक उपयोग रेशम के कीट के तौर पर की जाती है। शहतूत से काफी औषधीय जैसे कि रक्त टॉनिक, चक्कर आना, कब्ज, टिनिटस के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। इसे फल जूस बनाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है जो कि कोरिया, जापान और चीन में काफी प्रसिद्ध है। यह एक सदाबहार वृक्ष होता है जिसकी औसतन ऊंचाई 40-60 फीट होती है। इसके फूलों के साथ-साथ ही जामुनी-काले रंग के फल होते है| भारत में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटका, आंध्रा प्रदेश और तामिलनाडू मुख्य शहतूत उगने के मुख्य राज्य हैं।

जलवायु

मिट्टी

यह मिट्टी की कई किस्मों जैसे दोमट से चिकनी, घनी उपजाऊ से समतल मिट्टी, जिसका निकास प्रबंध बढ़िया हो और अच्छे जल निकास वाली और जिसमें पानी सोखने की क्षमता ज्यादा हो, में उगाया जाता है। इसके बढ़िया विकास के लिए मिट्टी का pH 6.2-6.8 होना चाहिए|

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

S-36: इसको पत्तों का आकार दिल के जैसा, मोटा और हल्के हरे रंग का होता हैं। इसकी औसतन पैदावार 15,000-18,000 किलोग्राम प्रति एकड़ होती है। पत्तों में उच्च नमी और पोषक तत्व मौजूद होते हैं।

V-1: यह किस्म 1997 में तैयार की गई थी। इसके पत्ते गहरे हरे रंग कर अंडाकार और चौड़े होते है| इसकी औसतन पैदावार 20,000-24,000 किलोग्राम प्रति एकड़ होती है।

ज़मीन की तैयारी

शहतूत की खेती के लिए, अच्छी तरह से तैयार मिट्टी कि आवश्यकता होती है| नदीन और रोड़ियों को खेत में से पहले बाहर निकाल दें और भूमि को समतल करने के लिए खेत की अच्छी तरह से जोताई करें|

बिजाई

बिजाई का समय
शहतूत की बिजाई आम तौर पर जुलाई अगस्त के महीने में की जाती है। इसकी बिजाई के लिए जून जुलाई के महीने में बढ़िया ढंग से नर्सरी तैयार करें|

फासला
पौधों के बीच का फासला 90 सैं.मी. x 90 सैं.मी. रखें|

बीज की गहराई

गड्ढे में 90 सैं.मी. की गहराई पर बिजाई करनी चाहिए।

बीज

बीज की मात्रा
एक एकड़ के लिए 4 किलो बीजों का प्रयोग करें।

बीज का उपचार
सबसे पहले बीजों को 90 दिनों के लिए ठंडी जगह पर स्टोर करें| फिर बीजों को 90 दिनों के बाद 4 दिन के लिए पानी में भिगो दें और 2 दिन के बाद पानी बदल दें। उसके बाद बीजों को पेपर टॉवल में रख दें, ताकि उनमें नमी बनी रहे। जब बीज अंकुरन होना शुरू हो जाएं तो बीजों को नर्सरी बैड में बो दें

खाद

8 मिलियन टनप्रति साल रूड़ी कि खाद दो बराबर हिस्सों में डालें और मिट्टी में अच्छी तरह मिलाएं| रूड़ी कि खाद के साथ-साथ V-1 किस्म के लिए नाइट्रोजन 145 किलो, फासफोरस 100 और पोटाशियम 62 किलो प्रति एकड़ प्रत्येक साल, जबकि S-36 किस्म के लिए नाइट्रोजन 125 किलो, फासफोरस 50 और पोटाशियम 50 किलो प्रति एकड़ प्रत्येक साल डालें

खरपतवार नियंत्रण

फसल की अच्छी वृद्धि और अधिक पैदावार के लिए फसल के शुरूआती समय में खेत को नदीन मुक्त रखें| पहले छ: महीनों में 3 बार गोडाई करें और कांट-छांट करने के बाद हर दो महीने के अंतराल पर गोडाई करें और फिर उसके बाद 2-3 महीने के अंतराल गोडाई करें

सिंचाई

हर एक सप्ताह में 80-120 मि.मी. सिंचाई करें। जिस क्षेत्र में पानी की कमी हो वहां ड्रिप सिंचाई का प्रयोग करें। ड्रिप सिंचाई 40 % पानी की बचत होती है

फसल की कटाईइसकी तुड़ाई आम तौर पर गहरे-लाल रंग से जामुनी-लाल रंग के होने पर की जाती है। सुबह के समय कटाई करने को पहल दी जाती है। इसकी तुड़ाई हाथों से या वृक्ष ज़ोर-ज़ोर को हिलाकर की जाती है। वृक्ष को हिलने वाली विधि के लिए वृक्ष के नीचे कॉटन या प्लास्टिक की शीट बिछा दी जाती है| पके हुए फल इसी शीट पर आकर गिर जाते है। नए उत्पाद बनाने के लिए पके हुए फलों का प्रयोग किया जाता है।

  social whatsapp circle 512
WhatsApp Group
Join Now
2503px Google News icon.svg
Google News 
Join Now
Spread the love