Safeda Farming: ऊंचाई से ज्यादा जड़ों की लंबाई, 30 हजार लगाकर इन पेड़ों की खेती से मिलेगा 70 लाख का फायदा

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Safeda Ki Kheti: सफेदा यानी यूकेलिप्टस के पेड़ को कहीं भी उगाया जा सकता है। इसके लिए कोई खास जलवायु की आवश्यकता नहीं पड़ती। इसकी सबसे खास बात है कि इस पेड़ की खेती में ज्यादा मेहनत की आवश्यकता भी नहीं है। साथ ही इसकी खेती में खर्च भी कम आता है।

Safeda Farming: अक्सर आपको सड़कों के किनारे लाइन से लगे लंबे-लंबे सफेदा के पेड़ दिख जाते होंगे। ज्यादातर लोग इस पेड़ को बेकार समझते हैं। लेकिन अगर इसकी खेती दुरुस्त तरीके से की जाए तो बेहद कम वक्त में लाखों-करोड़ों का मुनाफा कमाया जा सकता है। इसकी सबसे खास बात है कि इस पेड़ की खेती में ज्यादा मेहनत की आवश्यकता भी नहीं है। साथ ही इसकी खेती में खर्च भी कम आता है।

सफेदा के पेड़ की किसी भी जगह की जा सकती है खेती

सफेदा यानी यूकेलिप्टस के पेड़ को कहीं भी उगाया जा सकता है। इसके लिए कोई खास जलवायु की आवश्यकता नहीं पड़ती। इसके अलावा मौसम का इसपर कोई असर नहीं पड़ता है। इसकी खेती हर मौसम के लिए उपयुक्त मानी जाती है।इसके अलावा ये पेड़ सीधाई में ही बढ़ता है, ऐसे में इसे लगाने के लिए ज्यादा जगह की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है।

विशेषज्ञों के अनुसार एक हेक्टेयर क्षेत्र में यूकेलिप्टस के 3000 हजार पौधे लगाए जा सकते हैं. इस पौधे की नर्सरी से बहुत ही आसानी से 7 या 8 रुपए में ही मिल जाते हैं। इस अनुमान से इसकी खेती में 21 हजार से 30 हजार रुपये का ही खर्चा आता है। ऐसे में 21 हजार लगाकर लाखों को मुनाफा हासिल होता है तो किसान के लिए फायदे का सौदा है।

70 लाख तक का मुनाफा

सफेदा की लकड़ियों का इस्तेमाल पेटियां, ईंधन, हार्ड बोर्ड, फर्नीचर और पार्टिकल बोर्ड इत्यादि बनाने के लिए किया जाता है। यह पेड़ केवल 5 सालों में अच्छी तरह से विकास कर लेता है, जिसके बाद इसे काटा जा सकता है।बता दें कि एक पेड़ से लगभग 400 किलो लकड़ी प्राप्त होती है। बाज़ार में यूकलिप्टस की लकड़ी 6-7 रुपए प्रति एक किलो के भाव से बिकती है।ऐसे में अगर हम एक हेक्टेयर में तीन हजार पेड़ लगाते हैं।तो आसानी से 72 लाख रुपये तक कमा सकते हैं।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।