राजमा की खेती कैसे करें : जानिए राजमा की विभिन्न किस्में , प्रयुक्त उपकरण और प्राप्त उपज

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राजमा की खेती क्यों करना चाहिए??

राजमा एक पौष्टिक और सेहत के लिए फायदेमंद पौधा है। यह दलहनी फसलों में आता है और उन लोगों के लिए एक बेहतरीन प्रोटीन का स्रोत है जो मांसाहार नहीं खाते। राजमा में ढेर सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर की ऊर्जा को बनाए रखते हैं और सेहत को सुधारने में मदद करते हैं। भारत में इसकी खेती मुख्य रूप से हिमालयी क्षेत्रों के पहाड़ी इलाकों के साथ-साथ महाराष्ट्र, कर्नाटका, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और अन्य राज्यों में भी की जाती है। इसके अलावा, इसकी खेती अब अन्य राज्यों में भी बढ़ रही है क्योंकि यह किसानों के लिए अच्छा मुनाफा देता है और बाजार में इसकी डिमांड भी बढ़ी हुई है।

आइए , राजमा में पाएं जाने वाले पोषक तत्व के बारे में चर्चा करें

राजमा में प्रोटीन, फाइबर, आयरन, फास्फोरस, मैग्नीशियम, सोडियम, और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं। यह घुलनशील फाइबर से भरपूर होता है, जो शरीर में कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके सेवन से वजन घटाने में सहायता मिलती है और यह हृदय रोगों से भी बचाव करता है। इसके अलावा, यह हड्डियों को मजबूत बनाने, कैंसर की रोकथाम, मधुमेह नियंत्रण, कब्ज दूर करने, और प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित होता है।

राजमा की विभिन्न किस्में

राजमा की विभिन्न किस्में होती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख किस्में इस प्रकार हैं-

  • अंबर – राजमा की यह किस्म लाल चित्तीदार किस्म है।इस किस्म से प्राप्त उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 20 से 25 क्विंटल हैं।राजमा की अंबर किस्म के पकने की अवधि लगभग 20 से 25 दिन हैं।
  • उत्कर्ष – राजमा की यह किस्म लाल चित्तीदार किस्म है।इस किस्म से प्राप्त उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 20 से 25 क्विंटल हैं।राजमा की उत्कर्ष किस्म के पकने की अवधि लगभग 130 से 135 दिन हैं।
  • मालवीय-15 – राजमा की यह किस्म सफेद रंगी किस्म है।इस किस्म से प्राप्त उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 20 से 25 क्विंटल हैं।राजमा की मालवीय-15 किस्म के पकने की अवधि लगभग 115 से 120 दिन हैं।
  • मालवीय-137 – राजमा की यह किस्म लाल रंगी किस्म है।इस किस्म से प्राप्त उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 25 से 30 क्विंटल हैं।राजमा की मालवीय-137 किस्म के पकने की अवधि लगभग 110 से 115 दिन हैं।
  • VL-63 – राजमा की यह किस्म भूरा चित्तीदार किस्म है।इस किस्म से प्राप्त उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 25 से 30 क्विंटल हैं।राजमा की VL-63 किस्म के पकने की अवधि लगभग 120 दिन हैं।
  • PDR-14 (उदय) – राजमा की यह किस्म लाल चित्तीदार किस्म है।इस किस्म से प्राप्त उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 30 से 35 क्विंटल हैं।राजमा की PDR-14 (उदय) किस्म के पकने की अवधि लगभग 125 से 130 दिन हैं।

राजमा की खेती के लिए मिट्टी का निर्धारण

राजमा की खेती के लिए हल्की दोमट और सूखी दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसके अलावा, भूमि में जल निकासी का उचित प्रबंध होना चाहिए और भूमि का pH मान 5.5 होना चाहिए।

राजमा की खेती के लिए जलवायु का निर्धारण

राजमा की खेती के लिए 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान आदर्श माना जाता है। भारत में राजमा की खेती रबी और खरीफ दोनों मौसम में की जाती है।

राजमा की बुवाई का सही समय

राजमा की बुवाई अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर की जाती है। उत्तर प्रदेश और बिहार में इसकी बुवाई नवम्बर के पहले और दूसरे सप्ताह में होती है, जबकि महाराष्ट्र में अक्टूबर के मध्य में बुवाई की जाती है। हरियाणा और पंजाब में इसे अक्टूबर के पहले सप्ताह में बोया जा सकता है।

राजमा की खेती में प्रयुक्त कृषि उपकरण

राजमा की खेती में उपयोग किए जाने वाले कृषि यंत्रों की सूची इस प्रकार है:

  1. ट्रैक्टर
  2. पावर टिलर
  3. रोटावेटर
  4. लेजर लेंड लेवलर
  5. रोटो बीज ड्रिल
  6. पावर वीडर
  7. सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल
  8. विद्युत पंप
  9. स्प्रिंकलर सेट
  10. राजमा की खेती में खेत तैयार

राजमा की उन्नत खेती में खेत तैयार करना

बुवाई से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए मिट्टी पलटने वाले हल से खेत की अच्छी तरह जुताई करनी चाहिए और फिर 2 से 3 बार कल्टीवेटर से जुताई करनी चाहिए।

राजमा के बीज कहां से खरीदें??

राजमा की खेती के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीज का चयन करना आवश्यक है। किसान राज्य के बीज भंडार या सरकारी मान्यता प्राप्त संस्थानों से प्रमाणित बीज खरीद सकते हैं।

राजमा की खेती में बीजों की मात्रा कितनी हो??

राजमा की बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 120 से 140 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।यह बात भी आवश्यक है कि राजमा का अधिक उत्पादन लेने के लिए प्रति हेक्टेयर ढाई से साढ़े 3 लाख पौधे होना चाहिए।

राजमा की खेती में बिजोपचार

राजमा के बीजों को बुवाई से पहले उपचारित करना जरूरी होता है। किसान भाई राजमा के बीजों को बोने से पहले इसे 2 से 2.5 ग्राम थीरम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए।

राजमा की खेती में बुवाई की प्रक्रिया

राजमा की बुवाई पंक्तियों में की जाती है। पंक्तियों के बीच 30 से 40 सेंटीमीटर की दूरी रखनी चाहिए, और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। बीज को 5 से 6 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना उचित होता है।राजमा की बीज थोड़ा कठोर होता है इसलिए राजमा के उगने में या अंकुरण में समय लगता है। राजमा को मिट्टी से बाहर आने में लगभग 20 से 25 दिन लगते हैं।

राजमा की फसल में सिंचाई कब करें

राजमा की खेती में 2 से 3 सिंचाई की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई बुवाई के 4 सप्ताह बाद की जाती है, और बाद में निराई-गुड़ाई के दौरान सिंचाई की जाती है।सिचाई के समय इस बात का ध्यान रखें की खेत में पानी का ठहराव नहीं होना चाहिए।

राजमा की खेती में खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग

राजमा की फसल में 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस, और 28-30 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर का उपयोग करना चाहिए।इसमें नत्रजन की आधी मात्रा एवं फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय तथा बची आधी नत्रजन की आधी मात्रा राजमा की खड़ी फसल में प्रयोग करें।इसके अतिरिक्त 20 किलोग्राम गंधक की मात्रा और 20% यूरिया के घोल का छिडक़ाव बुवाई के 30 दिन और 50 दिन के पश्चात् करने पर अच्छी उपज प्राप्त होती है।

राजमा की फसल में खरपतवार नियंत्रण

राजमा में खरपतवार यानि राजमा के आसपास अनावश्यक पौधे उग जाने पर अनावश्यक पौधों को दूर करने के लिए राजमा में निराई-गुड़ाई करते समय थोड़ी मिट्टी पौधे पर चढ़ा देनी चाहिए ताकि फली आने पर पौधे को सहारा मिल सके।इसकी फसल में 1 से 2 निराई-गुड़ाई करनी चाहिए।इसके अतिरिक्त नियंत्रण के लिए प्रति हेक्टेयर 800 से 900 लीटर पानी में लगभग पेंडीमेथलीन 3.3 लीटर के हिसाब से घोलकर छिडक़ाव करना चाहिए।

राजमा की फसल में कीट एवं रोगों पर नियंत्रण

राजमा में सफेद मक्खी और माहू जैसे कीट लग सकते हैं। इनकी रोकथाम के लिए कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता है।इनकी रोकथाम के लिए कीटनाशक 1.5 मिलीलीटर रोगर या डेमोक्रांन दवा का छिडक़ाव करना चाहिए।राजमा की पत्तियों पर मुजैक दिखते ही रोगार या डेमेक्रांन कीटनाशक को प्रति लीटर पानी में 1.5 मिलीलीटर घोलकर छिडक़ाव करना चाहिए। इसके लावा मोजेक रोगी पौधों को प्रारंभ में ही निकाल देना चाहिए

राजमा की कटाई का कार्य

राजमा की फसल लगभग 120 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है। कटाई के बाद इसे 3 से 4 दिन धूप में सुखाया जाता है, जब तक बीज की नमी 9 से 10 प्रतिशत न हो जाए।

राजमा की खेती से प्राप्त उपज

राजमा की खेती से प्राप्त उपज की बात करें तो किसान भाई कृषि तकनीकों का प्रयोग करके सामान्य रूप से राजमा की खेती से प्राप्त उपज प्रति हैक्टेयर लगभग 25 से 30 क्विंटल तक होती है।

राजमा की फसल विक्रय कहां करें??

राजमा की उपज को आप मंडियों में या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे अमेज़न, फ्लिपकार्ट, इंडिया मार्ट, बिगबास्केट आदि पर बेच सकते हैं।

राजमा का बाजार भाव

राजमा का बाजार मूल्य सामान्यत: 120 से 150 रुपये प्रति किलोग्राम रहता है, हालांकि यह समय के साथ बदल सकता है। इसके बीज की कीमत 200 से 300 रुपये प्रति किलोग्राम होती है, जो किस्म पर निर्भर करती है।

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