Organic farming: मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले के कालापीपल तहसील के छापरी गांव के रहने वाले तथागत बारोड़ बतौर डिग्री तो इंजीनियर हैं लेकिन अब प्रोफेशन से किसान बन गए हैं।उन्होंने मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (मैनिट) भोपाल से बीटेक और फिर आईआईटी बॉम्बे से मास्टर्स करने के बाद किसी मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करने के बजाय खेती को करियर चुना। उन्होंने खेती की शुरुआत थोड़ी सी जमीन पर की थी। आज वे 18 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं।
जैविक खेती: मास्टर्स करने के बाद तो उन्होंने रिज्यूम भी नहीं बनाया था क्योंकि उन्होंने पहले से ही तय कर लिया था कि उन्हें खेती ही करना है।वे पिछले 03 साल से खेती कर रहे हैं। खेती के साथ-साथ वे पशुपालन और जैविक खाद बनाने का भी काम करते हैं।उन्होंने एक गौशाला भी शुरू की है। जहां अभी 17 गाय हैं। जिनसे दूध और उससे बने प्रोडक्ट वो तैयार करते हैं।साथ ही उन्होंने गोबर गैस प्लांट भी लगाया है जिसके गैस से उनके घर का काम चलता है, खाना पकता है।
Organic farming: पशुओं के गोबर और मूत्र से वे तैयार खाद का प्रयोग अपने खेतों में करते हैं, उन्हें बाहर से खाद नहीं खरीदनी पड़ती है। फिर उन्होंने गेट की तैयारी की और आईआईटी बॉम्बे में दाखिला लिया। वहां से उन्होंने टेक्नोलॉजी एंड डेवलपमेंट इन रूरल एरियास में मास्टर्स किया। यहां से 2016 में पासआउट होने के बाद वे गांव लौट गए।वे गांव के किसानों को जैविक खेती के बारे में बताते थे। गांव वाले उनकी बात तो सुनते थे लेकिन वैसा करने को वे तैयार नहीं थे।
दरअसल वे रिस्क नहीं लेना चाहते थे। फिर उन्होंने तय किया कि ये काम उन्हें ही करना होगा और खेती-किसानी को एक प्रोफेशन की तरह काम करना शुरू किया।आज तथागत करीब 18 एकड़ में लगभग 17 फसलें उगा रहे हैं, जिनमें मोरिंगा, आंवला, हल्दी, अदरक, लेमन ग्रास और चना जैसी फसलें शामिल हैं। आमदनी की बात पूछने पर वे बताते हैं कि प्रति एकड़ करीब सालाना 50 हजार रु की कमाई हो जाती है। यानी अभी वे 9 लाख रुपए तक एक साल में कमा रहे हैं।

