किसान समाचार: पशुओं के चारे से भी महंगा है गोबर,गोबर से कमा सकते हैं लाखों रूपए, देखें कैसे,NSO ने जारी की रिपोर्ट

भारत में पशुओं का गोबर उनके चारे से ज्यदा मूल्यवान हो गया है। 2020-21 (वित्त वर्ष 21) के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की ओर से जारी ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि पशुओं के गोबर का रियल ग्रॉस वैल्यू आउटपुट (GVO) पशुओं द्वारा खाए जा रहे चारे के कुल मूल्य से ज्यादा है।

‘कृषि, वानिकी और मत्स्य उत्पादों के मूल्य’ नाम से आई रिपोर्ट के मुताबिक गोबर का रियल GVO 7.95 प्रतिशत सकल सालाना वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा है और यह वित्त वर्ष 2011-12 (वित्त वर्ष 12) के 32,598.91 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 21 में 35,190.8 करोड़ रुपये हो गया है। वहीं चारे का रियल जीवीओ इस 10 साल के दौरान 1.5 प्रतिशत (CAGR) घटकर वित्त वर्ष 21 में 31,980.65 करोड़ रुपये हो गया है, जो वित्त वर्ष 12 में 32,494.46 करोड़ रुपये था।

अगर वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 18 में हुई मामूली गिरावट को छोड़ दें तो पशुओं के गोबर का मूल्य 10 वर्षों में लगातार बढ़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि गोबर का मूल्य आगे भी बढ़ने की संभावना है क्योंकि केंद्र व राज्य सरकारें गोबर खरीदने की कई योजनाएं चला रही हैं। साथ ही इसे ऊर्जा के स्रोत के रूप में भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।

इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ डेवलपमेंट रिसर्च के डायरेक्टर महेंद्र देव ने कहा कि गोबर पूछ बढ़ी है, क्योंकि इसका इस्तेमाल हाल के वर्षों में बायोगैस और बायो फर्टिलाइजर में बढ़ा है।

उन्होंने कहा, ‘इसके पहले खादी व ग्रामीण उद्योग आयोग ने खादी प्राकृतिक पेंट नाम से एक पहल की थी, जिसमें गोबर मुख्य सामग्री थी। इसी तरह छत्तीसगढ़ सरकार ने गोधन न्याय योजना शुरू की है।­

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