kheti badi : पपिते कि खेती कर कमाए लाखों का मुनाफा जानकारी सही तरीका

पपीते की खेती करने से किसानो की होगी तगड़ी कमाई, कम लागत में अधिक मुनाफा जानिए खेती करने का आसान तरीका। पपीता की खेती उष्णकटिबंधीय एवं क्षेत्रों में उगाई जाने वाले प्रमुख फलों में से एक है। भारत में गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के अर्ध-शुष्क क्षेत्रों पपीते की खेती की जाती है। भारत में पपीता मुख्यत: केरल, तमिलनाडु, असम, गुजरात तथा महाराष्ट्र में लगाए जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों से भारत में किसान को पपीता की खेती से अधिक लाभ मिल रहा है इस कारण भारत में पपीता की किसानो द्वारा अधिक मात्रा में खेती करके कमाई कर रहे है।

पपीते कितने प्रकार के होते है

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पपीते फल के कई प्रकार होते है

एक नर दूसरा मादा और तीसरा हेर्मैफ्रोडाइट। नर केवल पराग पैदा करने का कार्य करता है। यह फल नहीं देता है जबकि मादा खाने योग्य फल तब तक पैदा नहीं कर पाता जब तक कि उसे पराग नहीं मिल जाता है। हेर्मैफ्रोडाइट प्रकार के पपीते की खेती सबसे अधिक की जाती है। वैसे तो इसकी खेती साल के बारहों महीने की जा सकती है लेकिन इसकी खेती का उचित समय फरवरी और मार्च एवं अक्टूबर के बीच का माना जाता है, क्योंकि इस महीनों में पपीते की पैदावार काफी अच्छी साबित होती है। जिससे किसानो को अधिक लाभ मिलता है।

पपीते की खेती करने का आसान तरीका

पपीते की खेती गर्मी के दिनों में एक सप्ताह के अंतराल पर तथा सर्दियों के दिनों में 15 दिन के बीच पर सिंचाई करना पड़ता है। पपीता में टपकन सिंचाई प्रणाली (ड्रिप) के अंतर्गत 8-10 लीटर पानी प्रति दिन देने से पौधे की वृद्धि एवं उत्पादन अच्छा होता है। पपीते की इस प्रकार खेती करने से 40-50 % पानी की भी बचत होती है। पपीते की खेती एक बार लगाने के बाद 24 महीने तक फल देता है। दो साल के लिए 5 एकड़ में पपीते की खेती करने में उन्हें 2 से तीन लाख का खर्च लगता है। साथ ही उन्हें इतने ही समय में 1300 से 1500 क्विंटल पपीते का उत्पादन कर सकते है।किसानो को 12 से 13 लाख की कमाई हो सकती है।

किन क्षेत्रों में होती है पपीते की खेती

पपीता की खेती एक उष्णकटिबंधीय जलवायु क्षेत्रों वाली फसल है जिसको मध्यम उपोष्ण जलवायु जहाँ तापमान 10-26 डिग्री सेल्सियस तक रहता है तथा पाले की संभावना न हो, इसकी खेती सफलतापूर्वक होती है। पपीता के बीजों के अंकुरण हेतु 35 डिग्री सेल्सियस तापमान सर्वोत्तम होता है। यह पौधा 6.5 से 7 के बीच PH वाली I रेतीली दोमट मिट्टी में अच्छी तरह से बढ़ता है। पपीता धूप, गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ता है। पौधे को समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊंचाई तक उगाया जा सकता है, लेकिन पाला सहन नहीं कर सकता। पपीते का पेड़ 7 से 8 महीने बाद फल देना शुरू कर देता और यह चार साल तक जीवित रह सकता है। जिससे किसानो को कम लागत में अधिक मुनाफा मिलता है।

पपीते की मुख्यतः खास किस्म

पपीता की खास उन्नत किस्म की खेती होती है। पपीता की उन्नत किस्मों में पारंपरिक पपीते की किस्मों के अंतर्गत बड़वानी लाल, पीला, वाशिंगटन, मधुबिन्दु, हनीड्यू, कुर्ग हनीड्यू,, को 1, एवं 3 किस्में आती हैं। नई संकर किस्में उन्नत गाइनोडायोसियस /उभयलिंगी, पूसा नन्हा, पूसा डेलिशियस, सी. ओ- 7 पूसा मैजेस्टी, सूर्या आदि होती है। भारत में पपीता मुख्यत: केरल, तमिलनाडु, असम, गुजरात तथा महाराष्ट्र क्षेत्रों में लगाए जाते है। पपीता फल का आकार गोल से अंडाकार होते है। इनका आकार मध्यम से बड़ा हो सकता है जो लगभग 20 cm लम्बा और 40 cm गोलाकार तथा एक फल का वजन 1 किलोग्राम होता है। बाजार में सबसे ज्यादा पपीता बिकता है।

source by – betulsmachar

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