व्यापारी 2 से ₹3 किलो प्याज खरीद रहे हैं, जिससे किसानों की मजदूरी और लागत भी नहीं निकल रही. इसीलिए कुछ मजबूर किसानों ने खेतों से प्याज ही नहीं निकाली. वहीं, दूसरी और ज्यादातर किसानों ने ट्रांसपोर्ट और मजदूरी के चलते खेतों में ही क्विंटलों प्याज फेंक दी है, यहां पूरे गांव के मवेशी प्याज चर रहे हैं।
मध्य-प्रदेश में प्याज के रेट में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. किसान मवेशियों को अपनी फसल खिलाने को मजबूर हैं. सैंकड़ों क्विंटल प्याज खेतों में पड़े-पड़े बर्बाद हो रही है. कुछ साल पहले 80 ₹90 किलो बिकने वाली प्याज का भाव गिरकर दो रुपये किलो हो गया है. किसान अपनी लागत तक नहीं निकाल पा रहे हैं. उल्टा उन्हें नुकसान ही उठाना पड़ रहा है।
बेमौसम बारिश से बर्बाद हुई थी प्याज की फसल
खरगोन में नागझिरी, बड़गांव, बिस्टान, गोपालपुरा, घट्टी सहित आसपास के 25 से अधिक गांवों में किसानों ने प्याज लगाया था. बेहतर उत्पादन के चलते इस बार अच्छा भाव मिलने की उम्मीद थी. हालांकि, बेमौसम बारिश ने प्याज खराब कर दिया. अब पूरी उपज मिट्टी के भाव बिक रही है।
मवेशियों के सामने डाली फसल
2 से ₹3 किलो प्याज बिकने से किसानों को मजदूरी और लागत भी नहीं निकल रही है. इसके चलते मजबूर किसानों ने खेतों से प्याज ही नहीं निकाली. कई किसानों ने ट्रांसपोर्ट और मजदूरी के खर्च के लते खेतों में ही क्विंटलों को प्याज फेंक दिया है. कुछ ने अपनी फसल मवेशियों के सामने डाल दी।
खेतों में छोड़ दी फसल
किसान राजेन्द्र चौधरी का कहना है किसान खून के आंसू रो रहे हैं. मंडी में प्याज तीन चार रुपये किलो बिक रही है. ऐसे में किसानों की आर्थिक स्थिति और भी ज्यादा खराब हो जाएगी. ₹55000 एकड़ लागत लग रही है और मंडी में ₹25000 भी नहीं मिल रहे हैं. प्रति एकड़ 25,000 से अधिक का नुकसान हो रहा है. खेतों में ही प्याज के छोड़ दिया है।
मजदूरी और लागत निकालना भी मुश्किल
किसान महिला के साथ कमलाबाई का कहना है इंदौर खरगोन में कोई प्याज नहीं ले रहा और लेते भी हैं तो ₹डेढ़ रुपये किलो. 2 दिन में गाड़ी वहीं खड़ी रहती है भाड़े वाले को पैसे देने के लिए भी नहीं रहता. मजदूरों को पैसा देने के लिए भी नहीं है इसलिए फसल मवेशियों के सामने डाल दी है।