मूंगफली की खेती: मूंगफली की अच्छी पैदावार करनी है तो अपनाएं यह उन्नत किस्में,एक एकड़ में देंगी 14 क्विंटल पैदावार

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मूंगफली यह उन्नत किस्मे देती है बम्पर पैदावार, एक एकड़ में औसत 12 से 14 क्विंटल तक होती है उपज भारत में बहुत सी प्रकार की फसलों की खेती की जाती उन्ही में से एक है मूंगफली की खेती आपको बता दे की मूंगफली की खेती प्रमुख तिलहन फसल के रूप में की जाती है। मूंगफली को गरीबों का काजू कहा जाता है। क्योंकि मुगफली के अंदर प्रोटीन की मात्रा काफी ज्यादा पाई जाती है। मूंगफली का इस्तेमाल खाने में इसको भुनकर, गज्जक, नमकीन और भी कई तरह के व्यंजन बनाकर किया जाता है। इसके अलावा इसके दानो का इस्तेमाल तेल निकालने में किया जाता है। भारत में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। आज आपको इसकी कुछ किस्मो की जानकारी दे रहे है जिससे अधिक मात्रा में उत्पादन किया जाता है।

मूंगफली की प्रमुख किस्मे

गंगापुरी

इस किस्म की खेती से कम समय में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इस किस्म के पौधों की ऊंचाई जमीन से करीब एक से डेढ़ फिट ऊपर होती है। बुवाई के 95 से 100 दिनों बाद इसकी खुदाई की जा सकती है। इसके दानों में तेल की मात्रा अधिक पाई जाती है। प्रति एकड़ जमीन से 8 – 9 क्विंटल फसल का उत्पादन होता है।

प्रकाश (सी.एस.एम.जी. 884)

इस किस्म की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश में की जाती है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर लगभग 8 क्विंटल फसल की प्राप्ति होती है। बुवाई के 115 से 120 दिनों बाद यह किस्म खुदाई के लिए तैयार हो जाती है।

अंबर

यह उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त किस्मों में से एक है। इसकी फलियों में 72 प्रतिशत तक दाने पाए जाते हैं। प्रति एकड़ जमीन से 10 से 12 क्विंटल फसल की उपज होती है। बुवाई के करीब 115 से 120 दिन बाद फसल की खुदाई की जा सकती है।

नंबर 13

इसकी खेती रेतीली भूमि में की जा सकती है। इस किस्म की बुवाई के 125 से 130 दिन बाद खुदाई कर के फसल प्राप्त कर सकते हैं। प्रति एकड़ जमीन से 12 क्विंटल फसल की पैदावार होती है। इसकी फलियों में 66 प्रतिशत मात्रा में दाने पाए जाते हैं।

आर जी 382

खरीफ मौसम में खेती के लिए यह उपयुक्त किस्म है। इसके दाने आकर में बड़े होते हैं। फसल को खुदाई के लिए तैयार होने में करीब 115 से 120 दिन समय लगता है। प्रति एकड़ जमीन में खेती करने पर 7 से 9 क्विंटल फसल की उपज होती है।

राज दुर्गा

इस किस्म की खेती सिंचित और असिंचित दोनों तरह की भूमि में की जा सकती है। खुदाई के लिए तैयार होने के लिए करीब 120 से 130 दिन समय लगता है। प्रति एकड़ भूमि से औसतन 6.8 से 13.2 क्विंटल पैदावार होती है।

टी जी 37 ए

छोटे दानों वाली इस किस्म में तेल की 51 प्रतिशत मात्रा पाई जाती है। बुवाई के 125 दिन बाद फसल खुदाई के लिए तैयार हो जाती है। प्रति एकड़ जमीन से औसतन 12 से 14 क्विंटल पैदावार होती है। इस किस्म की अगर सही समय पर खुदाई नहीं की जाए तो इसके दाने फिर से अंकुरित होने लगते हैं।

दिव्या

इस किस्म की खेती राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गुजरात में प्रमुखता से की जाती है। लगभग 125 से 130 दिनों में खुदाई की जा सकती है। प्रति एकड़ भूमि से 10 क्विंटल फसल उत्पादन होता है। इसकी फलियों में या दो दाने होते हैं।

मुगफली की अन्य किस्मे

आपको बता दे की इसके अलावा मूंगफली की कई अन्य किस्में भी हैं जिनकी खेती कर के किसान मुनाफा कमा सकते हैं। जिनमे से एम ए -10, एम 548, जी 201, ए के 12-24, आर जी 382, टी जी-26, उत्कर्ष, जी जी 20, वर्जीनिया, सी 501, पी जी 1 आदि प्रमुख है। तो यह थी मुगफली की कुछ किस्मो की जानकारी ऐसे ही जानकारी के लिए जुड़े रहिये हमरे साथ।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।