MSP 2023 Report: समर्थन मूल्य पर सरसों में 100 व चना में 22 करोड़ का नुकसान, बाजार में भाव पर क्या पड़ेगा असर

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सरकार की उदासीनता की वजह से जिले में समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद में देरी से किसानों को करोड़ों रुपयों का नुकसान हो गया है। समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए अधिसूचना जारी होने के 40 दिन बाद देरी से खरीद शुरू होने से किसानों ने अब तक 30 से 35 प्रतिशत फसल खुले बाजार में बेच दी है। बाजार में समर्थन मूल्य से 500 से 1000 रुपए प्रति क्विंटल कम भाव पर फसल बेचनी पड़ी। नतीजा यह हुआ कि जिले में अब तक किसानों को सरसों में 100 करोड़ व चना में 22 करोड़ रुपयों से ज्यादा का नुकसान हुआ है। अभी भी सुचारू खरीद नही हुई तो किसानों को ओर नुकसान उठाना पड़ेगा।

कृषि विभाग की ओर से राजफैड को भेजे गए पैदावार के आंकड़ों के अनुसार जोधपुर जिले में 3,46,800 मीट्रिक टन सरसों व 73 हजार मीट्रिक टन चने का उत्पादन है। जबकि 86 हज़ार मीट्रिक टन सरसों व चने की खरीद का 18 हज़ार मीट्रिक टन का लक्ष्य निर्धारित किया गया।

1 अप्रेल से शुरू होनी थी खरीद, आंदोलन की चेतावनी पर शुरू हुई खरीद

20 मार्च से किसानों के ऑनलाइन पंजीयन कर 1 अप्रेल से खरीद शुरू करनी थी लेकिन लंबे समय तक खरीद शुरू नहीं होने पर भारतीय किसान संघ की ओर से 25 अप्रेल को राजफैड के अधिकारियों को पत्र लिखकर खरीद शुरू करवाने की मांग की। इसके बाद राजफैड ने बारदान की व्यवस्था कर खरीद शुरू करने की बात कहीं, इसके बावजूद भी 5 मई तक खरीद शुरू नही होने पर संघ की ओर से जयपुर में राजफैड प्रबंध निदेशक, जिला कलक्टर जोधपुर को पत्र लिखकर खरीद शुरू कराने अन्यथा किसानों के आंदोलन करने को मजबूर होने की चेतावनी दी गई, तब सरसों की खरीद शुरू की गई। इस पर जिले में रबी सीजन की सरसों व चना की समर्थन मूल्य पर खरीद फलोदी केंद्र पर शुरू हुई। फलोदी के उप केंद्र बापिणी व बिलाड़ा मुख्य केंद्र पर भी खरीद शुरू होने की सूचना है।

प्रदेश में 15.19 लाख टन सरसों व 6.65 लाख टन चने की खरीद


राजफैड की ओर से क्रय-विक्रय सहकारी समितियों के माध्यम से प्रदेश में 15.19 लाख टन सरसों व 6.65 लाख टन चना की खरीद होनी है। इसके लिए राजफैड की ओर से राज्य से भेजे प्रस्ताव पर खरीद लक्ष्य आवंटित होने पर 15 मार्च को समर्थन मूल्य खरीद के लिए अधिसूचना जारी की थी।

यहां होनी थी खरीद

जोधपुर, फलोदी, बिलाड़ा, बालेसर, मथानिया, पीपाड़, बावड़ी, भोपालगढ़, बाप क्रय-विक्रय सहकारी समितियों के मुख्य केंद्रों सहित इनसे संबंधित 33 उप केंद्रों पर खरीद शुरू होनी थी।सरसों व चना की खरीद की अधिसूचना जारी होने के बावजूद खरीद शुरू नही की। आंदोलन की चेतावनी देने पर देरी से खरीद शुरू की गई। किसानों की फसल को रोकने की निश्चित सीमा है, ऐसे में देरी से खरीद शुरू होने के कारण समर्थन मूल्य से नीचे खुले बाजार में फसल बेचने से किसानों को करोड़ों का नुकसान हुआ है।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।