समर्थन मूल्य क्या होता है, समर्थन मूल्य कौन तय करता है और समर्थन मूल्य से किसानों को क्या फायदा होगा

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Minimum support price: केरल सरकार ने सब्जियों (Vegetables) के लिए आधार मूल्‍य (Base Price) तय करने की पहल की है। सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने वाला केरल पहला राज्य बन गया है। मोदी सरकार (Modi Government) का सारा ध्यान किसानों की आमदनी (Farmers Income) बढ़ाने पर है। सरकार ने अगले साल यानी 2022 तक किसानों की आमदनी बढ़ाकर दोगुनी करने का लक्ष्य भी तय किया हुआ है और इस दिशा में तेजी का काम भी चल रहे हैं।

सरकार ने किसान कल्याण की तमाम योजनाएं चलाई हुई हैं। कृषि सेक्टर के बजट में भी इजाफा किया है। साथ ही कई स्तर पर सीधे आर्थिक मदद भी की जा रही है।फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाना भी किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में सीधा कदम है। सरकार ने पिछले दिनों रबी सीजन की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफा किया था।न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के बारे में बहुत से लोग वाकिफ नहीं होंगे कि ये एमएसपी क्या होता है और ये कैसे तय किया जाता है, एमएसपी से किसानों को क्या फायदा होता है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या होता है (What is Minimum support price)

न्यूनतम सर्मथन मूल्य यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस या एमएसपी किसानों की फसल की सरकार द्वारा तय कीमत होती है। एमएसपी के आधार पर ही सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदती है। राशन सिस्टम के तहत जरूरतमंद लोगों को अनाज मुहैया कराने के लिए इस एमएसपी पर सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदती है।बाजार में उस फसल के रेट भले ही कितने ही कम क्यों न हो, सरकार उसे तय एमएसपी पर ही खरीदेगी। इससे किसानों को अपनी फसल की एक तय कीमत के बारे में पता चल जाता है कि उसकी फसल के दाम कितने चल रहे हैं।

क्योंकि सुई से लेकर हवाई जहाज तक बनाने वाली कंपनियों अपने सामान की बिक्री की कीमत तय करके उसे बाजार में बेचती हैं, लेकिन किसान खुद अपनी फसल की कीमत तय नहीं कर सकता. इसके लिए उसे आढ़तियों और सरकार पर निर्भर रहना पड़ता है।ऐसा नहीं है कि किसी फसल की एमएसपी तय हो जाने के बाद बाजार में वह उसी कीमत पर मिलेगी। आपको वही फसल एमएसपी से कम या ज्यादा कीमत पर बिकती हुई मिल सकती है। मंडी में तो हमेशा ही उसी फसल के दाम ऊपर या नीचे (ज्यादातर नीचे) हो सकते हैं।

वैसे तो कोई किसान नहीं चाहता कि उसकी फसल एमएसपी से कम दाम पर बिकी, लेकिन होता यह है कि जब फसल की बिक्री का समय आता है तो मंडियों में सरकारी खरीद केंद्रों पर फसलों से भरे ट्रैक्टर, ट्रकों की लंबी लाइन लग जाती है। किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए कई-कई दिन इंतजार करना पड़ता है। इसके अलावा अधिकर सरकारी केंद्रों पर कुछ ना कुछ दिक्कत रहती है। कभी बारदाने की कमी तो कभी लेबर की और कभी तो सरकारी खरीद केंद्र तय समय से बहुत देरी से खुलते हैं।

इस सब बातों के चलते किसानों को अपनी फसल कम दाम पर आढ़तियों को बेचनी पड़ती है. तो इस तरह कह सकते हैं कि MSP सरकार की तरफ से किसानों की कुछ अनाज वाली फसलों के दाम की गारंटी होती है।

एमएसपी कौन तय करता है

सरकार हर साल रबी और खरीफ सीजन की फसलों का एमएसपी घोषित करती है. फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग ( CACP) तय करता है। यह आयोग तकरीबन सभी फसलों के लिए दाम तय करता है। गन्ने का समर्थन मूल्य गन्ना आयोग तय करता है। CACP समय के साथ खेती की लागत के आधार पर फसलों की कीमत तय करके अपने सुझाव सरकार के पास भेजता है। सरकार इन सुझाव पर स्टडी करने के बाद एमएसपी की घोषणा करती है।

इन फसलों का होता है एमएसपी (MSP for Crops)

कृषि लागत एवं मूल्य आयोग हर साल खरीफ और रबी सीजन की फसल आने से पहले एमएसपी का गणना करता है। इस समय 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार तय करती है। धान, गेहूं, मक्का, जौ, बाजरा, चना, तुअर, मूंग, उड़द, मसूर, सरसों, सोयाबीन, सूरजमूखी, गन्ना, कपास, जूट आदि की फसलों के दाम सरकार तय करती है। एमएसपी के लिए अनाज की 7, दलहन की 5, तिलहन की 7 और 4 कमर्शियल फसलों को शामिल किया गया है।

कीमत तय करने का फार्मूला (MSP formula)

कृषि सुधारों के लिए 2004 में स्वामीनाथन आयोग बना था. आयोग ने एमएसपी तय करने के कई फार्मूले सुझाए थे। डा. एमएस स्‍वामीनाथन समिति ने यह सिफारिश की थी कि एमएसपी औसत उत्‍पादन लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक होना चाहिए। केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आई तो उसने फसल की लागत का डेढ़ गुना एमएसपी तय करने के नए फार्मूले अपनाने की पहल की थी। मोदी सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू किया और वर्ष 2018-19 के बजट में उत्‍पादन लागत के कम-से-कम डेढ़ गुना एमएसपी करने का ऐलान किया था।

सरकार कैसे खरीदती है अनाज (Crop Procurement)

हर साल फसलों की बुआई से पहले उसका न्यूनतम समर्थन मूल्य तय हो जाता है। बहुत से किसान तो एमएसपी देखकर ही फसल बुआई करते हैं। सरकार विभिन्न एजेंसियों जैसे एफसीआई आदि के माध्यम से किसानों से एमएसपी पर अनाज खरीदती है। MSP पर खरीदकर सरकार अनाजों का बफर स्टॉक बनाती है। सरकारी खरीद के बाद एफसीआई और नैफेड के गोदामों यह अनाज जमा होता है। इस अनाज का इस्तेमाल गरीब लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी राशन प्रणाली (PDS) में वितरण के लिए होता है। अगर बाजार में किसी अनाज में तेजी आती है तो सरकार अपने इस स्टॉक में से अनाज खुले बाजार में निकालकर कीमतों को काबू करती है।

कई राज्यों में सब्जियों का भी एमएसपी (Vegetables MSP)

केरल सरकार ने सब्जियों (Vegetables) के लिए आधार मूल्‍य (Base Price) तय करने की पहल की है। सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने वाला केरल पहला राज्य बन गया है। सब्जियों का यह न्यूनतम या आधार मूल्य (Base Price) उत्पादन लागत (Production Cost) से 20 फीसदी अधिक होता है। एमएसपी के दायरे में फिलहाल 16 तरह की सब्जियों को लाया गया है। हरियाणी भी केरल की तर्ज पर सब्जियों को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लाने की पहल कर रहा है। इसके लिए सुझाव मांगे जा रहे हैं. मंडियों का सर्वे किया जा रहा है।


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