यूपी के बस्ती की भूमिहीन महिला कृष्णावती देवी ने आत्मनिर्भर भारत और महिला सशक्तिकरण का अनोखा उदाहरण पेश किया है। हरैया तहसील के नागपुर गांव की रहने वाली कृष्णावती साल 2012 से ही मशरूम की खेती कर रही हैं। इसी के बल पर अपने परिवार का खर्च, बच्चों की पढ़ाई लिखाई और शादी विवाह सब कर रही हैं।
बता दें कि बस्ती जिले में उन्होंने सबसे पहले मशरूम की खेती शुरू की। इसके बाद उनको देखकर अब नागपुर गांव के आप पास के गांव के 80-90 महिलाएं मशरूम की खेती कर रही हैं और आत्मनिर्भर बनकर अपना भरण पोषण कर रही हैं। वहीं, इलाके के लगभग 160 परिवार आज मशरूम की खेती से जुड़ गए हैं। इससे लगभग 4000 लोगों को रोजगार मिल रहा है।
राष्ट्रपति से मिल चुका है सम्मान
नागपुर गांव क्षेत्र का पुरा इलाका मशरूम की खेती के हब के तौर पर अपनी अलग पहचान बना रहा है।कृष्णावती के इस योगदान के लिए उनको उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा सम्मान भी मिल चुका है।कृष्णावती ने बताया कि एक शेड को बनाने और मशरूम तैयार करने में 1 से 1.5 लाख का खर्चा आता है। मशरूम तैयार होने के बाद 2 से 2.5 लाख रुपये में बिकता है। हालांकि स्थानीय स्तर पर मण्डी का अभाव होने की वजह से मशरूम बेचने में दिक्कत आती है। व्यापारी आते हैं, लेकिन उचित रेट नहीं देते हैं। अगर सरकार मशरूम की मण्डी जनपद में स्थापित कर दे तो यह इलाका मशरूम की खेती से बड़े पैमाने पर जुड़ जाएगा। इससे हजारों लोगों को रोजगार भी मिल जाएगा।
काम करने के लिए किया मोटिवेट
कृष्णावती के पति सरोज का कहना है कि हम लोग हरियाणा में काम कर रहे थे। मेरी पत्नी ने दूसरे का काम करने की बजाय अपना काम करने के लिए मोटीवेट किया। इसके बाद हम घर आ गए और पहले थोड़ी सी मशरूम की खेती की जिसमें हमे अच्छा प्रॉफिट हुआ। इसके बाद हमने इसे और आगे बढ़ाने का फैसला किया। मेरी पत्नी कृष्णावती मशरूम की खेती करने वालो को ट्रेनिंग भी देना का कार्य कर रही हैं।
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