Kisan News: घर के बाहर और खेत पर लगाएं महोगनी पेड़, मच्छर भी नहीं आएंगे और लाखों का मिलेगा मुनाफा

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Kisan News: इस पेड़ के विकास के लिए उपजाऊ मिट्टी, पानी की अच्छी निकासी और सामान्य पीएच मान उपयुक्त हैं। इसकी लकड़ियां लंबे समय तक टिकती हैं. जल्द खराब नहीं होती हैं। इसका उपयोग जहाज, गहने, प्लाईवुड बनान में ज्यादा होता है। पहाड़ी प्रदेशों में इसकी खेती नहीं करने की सलाह दी जाती है।

kisan News: महोगनी के पेड़ों की खेती किसानों को बंपर मुनाफा दे रही है। भूरे रंग की लकड़ी वाले इस पेड़ की खाल, लकड़ी और पत्तियां बाजार में बढ़िया कीमतों पर बिकती हैं। इससे किसान करोड़ों का मुनाफा कमाता है। विशेषज्ञों की मानें तो सिर्फ 12 साल के अंदर महोगनी के पेड़ों की खेती से किसान करोड़पति बन सकते हैं।

इस जलवायु में होती है इसकी खेती

Kisan News: इस पेड़ के विकास के लिए उपजाऊ मिट्टी, अच्छी जल निकासी और सामान्य पीएच मान उपयुक्त हैं। इसकी लकड़ियां लंबे समय तक टिकती हैं. जल्द खराब नहीं होती हैं। इसका उपयोग जहाज, गहने, प्लाईवुड बनान में ज्यादा होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस पेड़ की खेती ऐसी जगह ना करें जहां हवा का बहाव तेज हो। इन जगहों पर इसके पौधों का विकास सही तरीके से नहीं हो पाता है। इसलिए पहाड़ी प्रदेशों में इसकी खेती ना करने की सलाह दी जाती है।

आसपास नहीं भटकेंगे मच्छर: अगर आपने अपने आसपास महोगनी के पेड़ लगाए है तो मच्छर और कीड़े वहां नहीं भटकेंगे. यह पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर है। पत्तियों और बीजों का इस्तेमाल मच्छर भगाने और कीटनाशक बनाने में होता है।इससे मच्छर जनित रोगों के आप शिकार नहीं होंगे। इसके पत्तियों और बीजों से बनें तेल का इस्तेमाल साबुन, पेंट, वार्निश और कई तरह की दवाइयां बनाने में किया जाता है। छाल और पत्तों का इस्तेमाल कई तरह के रोगों के खिलाफ भी किया जाता है।

महोगनी खेती से कमाई: महोगनी के पेड़ 12 साल में लकड़ी की फसल के लिए तैयार हो जाते हैं। इसके बीज बाजार में एक हजार रुपये प्रति किलो तक बिकते हैं। वहीं इसकी लकड़ी 2000 से 2200 रुपये प्रति क्यूबिक फीट थोक में आसानी से मिल जाती है। ऐसे में इसकी बड़े पैमाने पर खेती करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।
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