मध्य प्रदेश की मिर्च यूरोप में हो रही निर्यात , प्रतिबंधित रसायनो के नाम भी देखिये

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मध्य प्रदेश के खरगोन जिले से मिर्च की फसल को टेरा ग्लीबे नामक एक एफपीओ द्वारा पिछले सप्ताह यूरोप में सफलतापूर्वक निर्यात किया गया था।टेरा ग्लीबे खरगोन जिले के गांव डल्की का एक किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) है। किसान समूह पिछले कुछ वर्षों से मिर्च को विदेशों में निर्यात करना चाहता था।प्रमोद पाटीदार, एक किसान और टेरा ग्लीबे एफपीओ के संस्थापक ने कृषक जगत को बताया, “यह समूह तीन साल पहले बनाया गया था और शुरू से ही यह कल्पना की थी कि उनकी मिर्च विदेशों में निर्यात की जाए, इसलिए यह उनकी सफलता के लिए एक बड़ा दिन है। डल्की के 8 किसानों की कुल 55 क्विंटल (5.50 टन) मिर्च को मुंबई पोर्ट से यूरोप में निर्यात किया गया है।

प्रतिबंधित रसायनों का उपयोग किए बिना उत्पादित

समूह के संस्थापक श्री पाटीदार ने साझा किया कि यूरोप को निर्यात करना इतना आसान नहीं था। समूह ने सबसे पहले अध्ययन किया कि लोकप्रिय होने के बावजूद खरगोन की मिर्च विदेशों में निर्यात क्यों नहीं की जा रही है। इसका एक कारण विदेशों में प्रतिबंधित रसायनों का प्रयोग है। इन रसायनों का प्रयोग खरगोन के किसान भारी मात्रा में कर रहे थे।हमने ऐसे रसायनों को अलग किया और एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम) तकनीक का उपयोग करके 62 किसानों के साथ 500 एकड़ में मिर्च की खेती करने की योजना बनाई।

फसल कटने के बाद 62 किसानों के 10 सैंपल जांच के लिए केरल की अविति लैब भेजे गए, जिनमें से 8 सैंपल पास हो गए।परीक्षण में पास हुए नमूने यूरोपीय देशों में प्रतिबंधित रसायनों जैसे प्रोफेनोफोस, ट्रायजोफॉस, क्लोरपाइरीफोस, मोनोक्रोटोफॉस आदि से मुक्त पाए गए। ये रसायन अमेरिका सहित यूरोपीय देशों में प्रतिबंधित हैं। खरगोन जिले की मिर्च में इनकी मात्रा अधिक होने के कारण इनका निर्यात नहीं हो पाता था।

source by- krashak jagat


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नमस्ते! मैं कपिल पाटीदार हूँ। सात साल से मैंने खेती बाड़ी के क्षेत्र में अपनी मेहनत और अनुभव से जगह बनाई है। मेरे लेखों के माध्यम से, मैं खेती से जुड़ी नवीनतम तकनीकों, विशेषज्ञ नुस्खों, और अनुभवों को साझा करता हूँ। मेरा लक्ष्य है किसान समुदाय को सही दिशा में ले जाना और उन्हें बेहतर उत्पादकता के रास्ते सिखाना।
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