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Kisan News: मध्यप्रदेश के इन गांवों में लुटेरों ने मचा रखा आतंक, किसानों ने छोड़ी चना और मसूर की खेती

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Sagar के अधिकतर गांवों के किसानों ने चने व मसूर की खेती छोड़ दी है। फसलों के ‘लुटेरों’ की वजह से अब वे गेहूं की खेती भी नहीं कर पा रहे हैं। जिला प्रशासन से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक शिकायत कर चुके हैं, लेकिन समाधान किसी के पास नही है।बुंदेलखंड में जंगल से लगे इलाकों के किसान जानवरों से इस कदर परेशान हैं कि वे धीरे-धीरे खेती छोड़ने तक को मजबूर हो रहे हैं। बंदर, हिरण, सूअर और नीलगाय जैसे जानवर फसलों पर नजर रखते हैं, जैसे ही किसान एक-दो घंटे के लिए भी खेत से बाहर निकलता है तो फसलों के ये लुटेरे अपना काम कर जाते हैं।

सागर के कुछ गांवों में बंदरों का आतंक भी इस कदर है कि सैकड़ों किसानों ने चने की खेती करना ही छोड़ दिया है। उनका कहना है कि दो-तीन सालों से परेशानी बढ़ती ही जा रही है। अब किसानों को खेत में मेहनत करने के साथ-साथ जंगली जानवरों से भी अपनी फसलों को बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है। बच्चों को अकेले खेत भेजने से डर लगता है। वहीं अब खेतों की रखवाली के लिए अलग से समय निकालना पड़ता है।

एक राय होकर बंद की चने की खेती

किसानों का कहना है कि जब हम लोग चने की खेती करते थे तब बंदर अगर थोड़े समय के लिए भी खेत में पहुंच जाते तो वह पूरा चना खा जाते थे। इसलिए सभी ने एक राय होकर चने की खेती करना बंद कर दिया, ताकि बंदर न आएं। लेकिन, अब वे गेहूं की फसलों को भी बर्बाद कर रहे हैं। बता दें कि इस इलाके में पानी की कमी होने की वजह से किसान चना, मसूर, सरसों की खेती किया करते थे ताकि उनके खेत से कुछ न कुछ फसल हो जाए और उन्हें गुजारा करने में सहूलियत हो, लेकिन कभी अतिवृष्टि तो कभी सूखे की वजह से फसलें बर्बाद हुईं लेकिन अब तो इन जानवरों से ज्यादा खतरा है।

सीएम हेल्पलाइन पर भी की शिकायत

गांवों में जिन किसानों के पास पानी की सुविधा है वे गेहूं की खेती तो कर रहे हैं, लेकिन बंदरों का आतंक इस कदर है कि वे पूरे खेत में आकर खेलते हैं। इस वजह से फसलें बिछ जाती हैं और फिर संभल नहीं पातीं। सीएम हेल्पलाइन से लेकर अन्य जगहों पर किसान शिकायत भी कर चुके हैं, लेकिन कहीं कोई समाधान नहीं निकल पाया है। इसलिए इन्होंने शिकायत करना भी छोड़ दिया और चने की खेती करना भी बंद कर दी है।

इन गांवों में लुटेरे बंदरों का आतंक

सागर के जिन गांवों में लुटेरे बंदरों का आतंक है, उनमें सनौधा, सिमरिया, धारखेड़ी के किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इसके अलावा मिडवासा, चंदोख, गडर, छापरी, मझगुवा, केरबना, पड़रिया, परसोरिया, अमोदा, डूंगासरा जैसे कई गांवों के किसान भी लुटेरे बंदरों से परेशान होकर चना-मसूर की खेती छोड़ चुके हैं।

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