गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी उच्चस्तरीय बैठक में यही सब बिंदुओं की जानकारी दी गई है। देश में इस साल गेहूं के दाम एक दम तेजी बढ़ने लगे थे और फिर सरकार हरकत में आई और सरकार ने गोदामों में रखा गेहूं बाजार में उतारा ताकि दाम को नियंत्रित रखा जा सके. अब फिर एक बार तापमान के ज्यादा तेज होने की संभावना मौसम विज्ञानियों ने जताई है. ऐसे में फिर लोगों और सरकार को इससे कुछ सहमने की खबरें आ रही थीं. माना जा रहा है था कि बढ़े हुए तापमान के चलते फसलों को नुकसान होने की संभावना जताई जाने लगी।
किसानों से लेकर यह हलचल दिल्ली में पीएमओ तक पहुंची। अब कहा जा रहा है कि गेंहू की फसल पर फिलहाल तापमान का असर नहीं होगा। अब IMD के पूर्वानुमान के मुताबिक फिलहाल ऐसा तापमान नहीं है जो गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाए। 15 दिनों तक का पूर्वानुमान मौसम विभाग कर सकता है और इस दौरान 10 सालों के औसत तापमान से कुछ हल्का ज्यादा तापमान रह सकता है, पर वो गेंहू की फसल के नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं बन पाएगा।
विज्ञानियों का कहना है कि 110 से 135 दिनों में गेहूं की फसल तैयार हो जाती है और अगर किसी ने देर से फसल लगाई हो तब भी 15 अप्रैल तक अमूमन हर जगह कटाई हो जाती है। कहा जा रहा है कि फसल को नुकसान करने वाली गर्मी इसके बाद ही होगी। देश के 75 फीसदी इलाके में गेंहू की फसल नवंबर में लगाई गई है जिसमें पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे राज्य शामिल हैं।
वहीं, गेंहू की फसल लगाए जाने वाले इलाकों के 50 प्रतिशत भूभाग पर गेंहू की नई किस्म लगाई गई और इसमें भी 50 प्रतिशत फसल मौसम के बदलावों को सहन करने वाली है जो थोड़ा बहुत बढ़े तापमान को झेल सकता है।
साथ ही विज्ञानियों ने कहा है कि इसके बावजूद जिन कुछ लोगों को थोड़ा दिक्कत होने की संभावना है उन्हें एडवाइजरी जारी कर दी गई है। राज्यों और किसानों को एडवाइजरी जारी की गई है कि अगर थोड़ी बहुत ज़मीन में नमी बरकरार रखने की जरूरत पड़े तो वो हल्का पानी वो दें। हल्की सिंचाई करें। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी उच्चस्तरीय बैठक में यही सब बिंदुओं की जानकारी दी गई है।

