Kisan News: गेहूं की पिछेती बुवाई कब तक करें, देखें कौन से उर्वरक और किस्मों की बुवाई करें

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गेहूं की पिछेती खेती करने का तरीका

Kisan News: गेहूं की फसल की बुवाई किसानों द्वारा लंबे समय तक की जाती है। गेहूं की बुवाई करने में समस्या वहां आती है जहां आमतौर पर कमांड क्षेत्रों में दो फसली कार्यक्रम चलते हैं। जिन किसानों द्वारा दो फसल चक्र की खेती की जाती है, उन क्षेत्रों में अधिकांश गेहूं की बुवाई में देरी होती है। पिछेती गेहूं की बुवाई वाले गेहूं में किसानों को उपज पर असर पड़ने का डर रहता है। आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से पिछेती गेहूं की बुवाई का सही समय, उर्वरक और किस्मों की जानकारी प्रदान करेंगे।

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Kisan News: अगर आप गेहूं को उचित समय से थोड़े समय बाद बुवाई करते हैं तो आपको यह जानना जरूरी है कि धान काटकर गेहूं की उक्त स्थिति में से एक है। यहां हम यह बता दें कि गेहूं के अंकुरण के लिए 20-25 डिग्री तापमान उपयुक्त होता है। 20 डिग्री के नीचे का बड़ेतापमान अंकुरण को प्रभावित करता है। फिर अच्छे उत्पादन के लिये गेहूं को कम से कम 90 दिन की ठण्ड जरूरी होती है। इस प्रकार दोनों ही स्थिति में जल्द से जल्द बुआई की जाना हितकर होता है। अनुसंधान के आंकड़े बताते हैं कि 25 दिसम्बर के बाद की बुवाई में प्रतिदिन 37 किलो प्रति हेक्टेयर तक का उत्पादन प्रभावित होता है।

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Kisan News: देरी से बुवाई के लिए जेडब्ल्यू 1202, जेडब्ल्यू 1203, एमपी 3336, राज. 4238, एचडी 2932, एचआई 1634 (पूसा अहिल्या), एम.पी. 4010, जी.डब्ल्यू. 173, एच.डी. 2285, एच.आई. 8498 तथा एच.डी. 2864 उपयुक्त है। साथ ही बीज दर 100 किलो प्रति हे. की जगह 125 किलो/हे. रखा जाये। उर्वरकों में नत्रजन-100 किलो, फास्फोरस 50 किलो, पोटाश-25 किलो प्रति हेक्टर की दर से दिया जाये। इस प्रकार बीज दर, उर्वरकों की मात्रा दोनों समय बुआई से भिन्न है।

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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।
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