Kiwi Farming: कीवी की खेती में आधुनिक तकनीक से होगा लाखों का मुनाफा, देखें खेती करने की प्रक्रिया

  • कीवी की खेती से मिलेंगा अत्यधिक लाभ: कीवी एक विदेशी फल माना जाता है भारत में यह फल इतना प्रचलित नहीं था जितना आज हो गया है लेकिन इस फल की महंगाई के कारण इसको भारत में बहुत कम लोग खा पाते हैं इसी वजह से आज भारत में भी कीवी की खेती बढ़ रही है ताकि कीवी सस्ते दाम में बिके।

वर्तमान में भारत के कई राज्यों में कीवी की खेती होने लगी है: भारत में कीवी फल की मांग बढ़ने से भारत के कुछ राज्यों के किसानों ने कीवी की खेती करने का सोचा । धीरे-धीरे बाजार में कीवी फल की मांग और दाम अधिक होने से भारत के किसानों को इस खेती से काफी मुनाफा हुआ ।इसके साथ ही किसानों को पता चला कि कम लागत मे हीं हम कीवी की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं और साथ ही भारत के सभी राज्यों में कीवी उपलब्ध हो और सभी लोग इसे खा पाए । भारत में अरुणाचल प्रदेश , सिक्किम और अन्य पहाड़ी राज्यों में कीवी की खेती की शुरुआत हो चुकी है।

कीवी की खेती का तरीका

अनुकूल जलवायु व उपयुक्त उपजाऊ मिट्टी: पौधे रोपित करते समय तापमान 15 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए। वहीँ गर्मी के मौसम में 30 डिग्री से ज्यादा तापमान नहीं होना चाहिए। फल आने के समय तापमान 5 से 7 डीग्री होना आवश्यक है।

उपयुक्त उपजाऊ भूमि:–कीवी की खेती करने के लिए गहरी दोमट मिट्टी व हलकी अम्लीय मिट्टी उपयुक्त होती है। पौधा रोपण करने से पूर्व मिट्टी के PH मान की जांच अवश्य करा लें। कीवी की खेती के लिए मिट्टी का Ph मान 5 से 6 तक का होना चाहिए। कीवी के पेड़ की कलम लगाने के लिए बालू, सड़ी खाद, मिट्टी, लकड़ी का बुरादा और कोयले का चूरा 2:2:1:1 के अनुपात में मिलाना उचित रहता है।
कीवी के एक हेक्टेयर के खेत में तकरीबन 400 से अधिक पौधों को लगाया जा सकता है। इसके एक पौधे से 90 से 100 किलोग्राम तक फलो का उत्पादन प्राप्त हो जाता है। कीवी का पौधा रोपाई के 4 वर्ष बाद फसल देना आरम्भ कर देता। इसके फलों कीमत की बाजार में 200 से 300 रूपए प्रति किलो के हिसाब से होती है।

•कीवी की खेती में पौध सामानतयः तीन विधि से तैयार कर सकते है :–

(1) बडिंग विधि
(2) ग्राफ्टिंग
(3) लेयरिंग विधि

  1. बडिंग विधि : इस विधि से कीवी की पौध तैयार करना सबसे उचित रहता है। इस विधि में कीवी के फल से बीजों को निकाल लें और उन्हें साफ करके अच्छी तरह से सुखा लें। सुखाने के एक सप्ताह बाद बीज की बुवाई करें। नर्सरी तैयार करते हुए ध्यान रखें कि बुवाई के बाद एक सप्ताह के लिए इस पर सीधी धूप ना पड़े, इसलिए इसे अंदर ही रखें। इसके बाद क्यारियों पर मल्चिंग कर दें और जुलाई तक पौध पर छाया रहने दें। जब पौधे में 4 से 5 पत्ते आ जाए तो रोपाई का काम करें, मई या जून महीने में इसे नर्सरी में लगाया जा सकता है।
  2. ग्राफ्टिंग : ग्राफ्टिंग या कलम विधि से कीवी की पौध तैयार करने के लिए एक साल पुरानी शाखाओं को काट लेना चाहिए। इसमें 2 से 3 कलियां होनी चाहिए। इन शाखाओं की लंबाई 15 से 20 सेमी के मध्य होनी चाहिए। अब 1000 पीपीएम आईबी नाम का रूट ग्रोथ हार्मोन लगाकर मिट्टी में गाड़ दें। याद रहे कि कलम गाड़ऩे के बाद हिलना नहीं चाहिए और इस पर सीधी तेज धूप भी नहीं लगनी चाहिए। कलम विधि से कीवी की पौध जनवरी में तैयार करना चाहिए। कलम विधि से तैयार हुआ पौधा एक साल बाद रोपाई के लिए तैयार हो जाता है।
  3. लेयरिंग विधि : कीवी के पौध की एक साल पुरानी शाखा का चुनाव कर उसकी एक इंच छाल चारों तरफ से हटा दे। इसके बाद उसके चारों तरफ अच्छी तरह से मिट्टी बांध दें। इसमें हवा नहीं जानी चाहिए। इसके बाद करीब एक महीन के भीतर इसमें से नस्से निकलने लगेंगे। इसके बाद इस शाखा को मुख्य पौध से काटकर दूसरी जगह लगाना चाहिए। इसको मुख्य पौधे से हटाते समय ध्यान रखें कि शाखा चिरनी नहीं चाहिए, और जहां मिट्टी बांधी थी उसके ठीक नीचे से काटें।

कीवी पौधा रोपण व सिंचाई का तरीका

पौधों का रोपण : कीवी की खेती में यदि आप उच्च गुणवत्ता वाले फल प्राप्त कर बाज़ार में अधिक दाम पर बेंचना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको नर्सरी में तैयार किया हुआ उच्च गुणवता और अच्छी वैराइटी के पौधों का रोपण करना चाहिए। कीवी के पौधों का रोपण एक लाइन में करें। लाइन से लाइन की दूरी 3 मीटर व लाइन में पौधे से पौधे के बीच 6 मीटर की दूरी रखें। रोपण हेतु गड्ड़ा खोदें और इन गड्ढ़ों को कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दें, ताकि मिट्टी में उपस्थित कीड़े मकोड़े मर जाएंगे। गड्ढ़ों में गोबर की खाद या ट्रायकोडर्मा मिश्रित कम्पोस्ट से लगभग 20 से 25 सेटीमीटर की ऊंचाई तक भर दें। अब पौधों का रोपण करें और आस-पास मिट्टी डालकर गड्ढ़ों को अच्छे से भर दें। ध्यान रहे इन पौधा का रोपण बसंत ऋतु की शुरुआत में करें।कीवी के पौधे लगाने के तुरंत बाद सिंचाई करें। गर्मी के मौसम में 3 से 4 दिन के अंतराल सिंचाई करें, गर्मी के समय सिंचाई न करने पर इसके फल की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ सकता है। स्प्रिंकलर या ड्रिप सिंचाई के माध्यम से आप अच्छी तरह से अपने खेत में सिंचाई कर सकते

कीवी में फल आने व तुड़ाई का समय

कीवी के पेड़ शुरुआत के 2-3 वर्षों में फल नहीं देते,कीवी के पेड़ में 5 वर्ष के बाद फल लगने की शुरुआत होती है। 10 वर्ष बाद कीवी के पेड़ अच्छी संख्या में फल देना शुरू कर देते हैं। एक पेड़ औसतन 40-60 किलो कीवी फल का उत्पादन करता है। अक्टूबर से नवम्बर में आप फल पकने के बाद इसकी तुड़ाई कर सकते हैं। आप इन्हें तोड़कर 4 माह तक सुरक्षित रख सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे ठंडे स्थान पर ही कीवी के फल का भंडारण करें।

कीवी की खेती से किसानों की कमाई

एक हेक्टेयर के खेत में कीवी के तकरीबन 400 से अधिक पौधों को लगाया जा सकता है। इसके एक पौधे से 90 से 100 किलोग्राम तक फलो का उत्पादन प्राप्त हो जाता है। इसके फलों कीमत की बाजार में 200 से 300 रूपए प्रति किलो के हिसाब से होती है। इस हिसाब से किसान इसकी खेती से करीब 15-20 लाख रूपए तक की सालाना कमाई कर सकते है।

कीवी फल खाने के फायदे: कीवी फल का सेवन करने के कई फायदे हैं, डॉक्टर भी इस फल को खाने की सलाह देते हैं। इस वजह से बड़े शहरों में इस फल की मांग हमेशा बनी रहती है। कीवी फल की कीमत ज्यादा होने के बावजूद भी यह बाज़ार में काफी बिकता है।

1.कीवी में विटामिन सी, विटामिन ई, फाइबर, पोटेशियम, कॉपर, सोडियम और एंटी ऑक्सीडेंट अच्छी मात्रा में पाई जाती है।
2.कीवी फल में संतरे से 5 गुना ज्यादा विटामिन सी की मात्रा होती है।
3.कीवी में मौजूद विटामिन सी हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, जो हमारे शरीर को कई बीमारियों से लड़ने में मदद करता है।
4.डेंगू के बुखार में इस फल की मांग और ज्यादा बढ़ जाती हैं।
कीवी फल के सेवन से आपका सोंदर्य भी निखरता है। इसके सेवन से त्वचा की चमक बढ़ती है और मुहांसो से छुटकारा मिलता है।
कीवी के फल का सेवन करने से आपके बाल भी स्वास्थ्य बने रहते हैं, बालों का झड़ना कम होता है और चमक बढ़ती है।

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