किसानों की हुई मौज: फसल नुकसान का मुआवजा बढ़ा,फसल बीमा में बड़ा बदलाव,अब इतना मिलेगा फायदा

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मध्यप्रदेश में चुनावी साल चल रहा है। इसके चलते प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए खजाना खोल दिया है। ओलावृष्टि या बारिश से फसलों का नुकसान होने पर अब किसानों को प्रति हेक्टेयर 500 से 2000 रुपए ज्यादा देगी। यही नहीं, प्रदेश के 2 हेक्टेयर या इससे कम खेती वाले किसानों का फसल बीमा कराने के लिए तैयारी सरकार कर रही है। इन दोनों योजनाओं से 72 लाख से अधिक किसानों को फायदा होगा। कैसे मिलेगा फसल बीमा योजना का लाभ, किसे मिलेगा और कौन लोग होंगे इसके पात्र, जानिए सबकुछ…

सरकार ने दो कैटेगरी बनाई

शिवराज कैबिनेट ने 25 अप्रैल को फसल मुआवजा बढ़ाने के संबंध में फैसला भी लिया था। बढ़ा हुआ फसल मुआवजा 1 मार्च 2023 से लागू किया गया है। छोटे (2 हेक्टेयर तक) और बड़े किसानों (2 हेक्टेयर से अधिक) की अलग-अलग कैटेगरी बनाई गई हैं। वर्षा आधारित, सिंचित और बारामाही फसलों में मुआवजा बढ़ाया गया है, जबकि फसल बीमा में राहत देने की योजना जल्द लागू होने की उम्मीद है।

सरकार का राजनीतिक दांव

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा और कांग्रेस पार्टियां किसानों के मुद्दे पर रिस्क लेना नहीं चाह रही हैं। जहां एक ओर कांग्रेस ने सरकार बनने पर कर्जमाफी की घोषणा कर दी है। वहीं, सत्तारूढ़ भाजपा सरकार नया दांव चलने जा रही है। अब सरकार गरीब किसानों के बीमा राशि को प्रीमियम खुद भरने जा रही है। इससे पहले सरकार डिफॉल्टर 11 लाख किसान का ब्याज माफ कर चुकी है। इतना ही नहीं, सरकार अब बिना चमक का गेहूं खरीदने के लिए भी तैयार है।

1 लाख 12 हजार किसानों का हुआ नुकसान

मार्च महीने में मध्यप्रदेश के कई जिलों में तेज बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को बहुत नुकसान हुआ है। बीते महीने हुई बारिश में तक 20 से ज्यादा जिलों के करीब 1 लाख 12 हजार किसानों को नुकसान झेलना पड़ा है। ऐसे किसानों की 70 हजार हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई। इस दौरान गेहूं, सरसों और आलू की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। बता दें कि बेमौसम बारिश का सिलसिला जारी है।

सरकार बिना चमक वाल गेहूं भी खरीदेगी

मार्च के तीसरे सप्ताह में प्रदेश में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से जिन किसानों के गेहूं की चमक फीकी पड़ी है, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। अब चमकविहीन गेहूं भी प्रदेश सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदेगी। केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य व सार्वजनिक वितरण विभाग ने शिवराज सरकार की मांग पर यह छूट प्रदान कर दी है। हालांकि केंद्र ने कहा है कि चमकविहीन गेहूं का स्टॉक अलग से रखना होगा। अगर उसकी गुणवत्ता खराब हुई, तो उसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी।

केंद्र ने कहा कि किसानों की परेशानी कम करने के लिए रबी विपणन सीजन 2023-2024 में एक अप्रैल से गेहूं की खरीदी में चमकविहीन गेहूं को भी शामिल करने की छूट दी जा रही है। अब प्रदेश सरकार 1 अप्रैल से बिना किसी मूल्य कटौती के 10% तक नुकसानी वाले गेहूं की खरीदारी करेगी। बाद में यह छूट 10% से 80% तक हो जाएगी।

अभी है यह व्यवस्था

वर्तमान में फसल बीमा करवाने के लिए किसान और सरकार दोनों ही बीमा का प्रीमियम जमा करते हैं। सरकार फसल बीमित राशि में से 8 फीसदी प्रीमियम जमा करती है, जबकि डेढ़ से दो फीसदी राशि किसानों को जमा करना होता है। अब सरकार मान रही है कि छोटे किसान बीमा नहीं करवा पाते हैं, इसलिए उन्हें फसल बीमा नहीं मिल पाता। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार किसानों का पूरा प्रीमियम जमा करेगी।

बता दें कि इन किसानों को फसल बीमा के लिए प्रीमियम में आने वाले 10% वित्तीय भार में से खरीफ सीजन में 2 फीसदी और रबी सीजन में 1.5 फीसदी राशि किसानों से ली जाती है। फसल लोन लेने वाले किसानों से सीधे बीमा प्रीमियम रकम बैंकों से काट ली जाती है। इसके बाद उनसे प्रीमियम राशि वसूल की जाती है।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।