Kisan News: कुछ समय से खेती को नुकसान का धंधा माना जाने लगा है, लेकिन अब धीरे-धीरे प्राकृतिक खेती लोगों के जीवन को बदल रही है। आजकल बहुत से ऐसे उदाहरण देखने को मिल रहे हैं जिनमें लोग प्राइवेट सेक्टर में अपनी नौकरी छोड़ खेती को महत्व दे रहे हैं और इस क्षेत्र में आकर खेती करके अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। आज हम आपके सामने एक ऐसा ही उदाहरण लेकर आए हैं। कहानी बिलासपुर जिले के निवासी बचित्र सिंह की है। पिछले 30 सालों से बचित्र सिंह प्राइवेट स्कूल में नौकरी के साथ-साथ प्राकृतिक खेती कर रहे थे। प्राकृतिक खेती के परिणामों से बचित्र सिंह इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने नौकरी छोड़ दी।
किसान समाचार: बचित्र सिंह अब प्राकृतिक तरीके से खेती कर रहे हैं और लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। केमिकल खेती में लागत अधिक आने और सेहत पर हानिकारक असर के चलते बचित्र सिंह ने जैविक खेती की शुरुआत की। दो वर्ष तक जैविक खेती (Organic Farming) करने के दौरान उन्हें लगा कि जैविक खाद और कीटनाशकों पर खर्चा केमिकल खेती के जितना ही हो रहा है। नए तरीके से खेती करने की जानकारी उन्हें खंड स्तर के कृषि अधिकारियों से मिली। इसके बाद वह कृषि विभाग के माध्यम से उत्तर प्रदेश के झांसी में प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग ली। 6 दिनों की इस ट्रेनिंग से लौटकर उन्होने प्राकृतिक खेती का प्रयोग अपनी जमीन में करना शुरू किया।
Kisan News: हिमाचल प्रदेश कृषि विभाग के मुताबिक, प्राकृतिक विधि से खेती करने से उन्हें गेहूं, मटर, चना, सोयाबीन की अच्छी फसल मिली। इसके अलावा, राजमा, बैंगन और तोरी की फसल भी उन्होंने अपने खेतों से ली। प्राकृतिक खेती से प्रभावित बचित्र सिंह अन्य किसानों को अपने खेतों में ले जाकर जानकारी देते हैं। कृषि विभाग के सहयोग से उन्होंने अपना संसाधन भंडार खोला जहां से वह किसानों को गोबर, गोमूत्र, जीवमृत और घनजीवामृत जैसे खेती आदान देते हैं। उनका कहना है कि सरकार की ‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान’ योजना खेती की दशा सुधारने में एक बड़ा कदम है।
किसान समाचार: उनके मुताबिक, रासायनिक खेती में 60,000 रुपये का खर्च आता था और 2.15 लाख रुपये की कमाई होती थी। जबकि प्राकृतिक खेती में सिर्फ 2000 रुपये खर्च कर 1.30 लाख रुपये कमा ले रहे हैं।