किसानों के लिए मुनाफे का नया रास्ता : आइसबर्ग लेट्यूस की खेती
कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों और विदेशी फसलों की ओर बढ़ते कदम किसानों के लिए एक नया आयाम खोल रहे हैं। इनमें से एक है आइसबर्ग लेट्यूस, जो अब भारतीय किसानों के लिए एक अत्यधिक लाभकारी विकल्प बनकर उभरी है। सलाद के रूप में अपनी लोकप्रियता के कारण, आइसबर्ग लेट्यूस की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे किसानों के लिए यह फसल एक अच्छा व्यापार बन सकती है।
आइसबर्ग लेट्यूस की खेती सेहत के लिए फायदेमंद
आइसबर्ग लेट्यूस, जिसे ‘क्रिस्पहेड लेट्यूस’ भी कहा जाता है, न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि विटामिन और खनिजों से भरपूर होने के कारण स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। इसके बढ़ते मांग के कारण, इसे किसानों के लिए लाभकारी खेती का एक आकर्षक विकल्प माना जा रहा है। एक एकड़ में आइसबर्ग लेट्यूस की खेती से 2 से 3 लाख रुपये तक की आय हो सकती है, जो इसे पारंपरिक फसलों से कहीं अधिक लाभकारी बनाती है।
जलवायु और मिट्टी का निर्धारण
आइसबर्ग लेट्यूस की खेती के लिए ठंडी और समशीतोष्ण जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसकी सबसे अच्छी वृद्धि 15-20°C दिन के तापमान और 10-15°C रात के तापमान में होती है। इसके अलावा, दोमट मिट्टी जिसमें जैविक पदार्थ की भरपूर मात्रा हो, सबसे अच्छा परिणाम देती है। मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 6.5 के बीच होना चाहिए और जल निकासी की व्यवस्था भी सही होनी चाहिए।
बीज की बुवाई और पौधों की देखभाल
आइसबर्ग लेट्यूस की फसल की शुरुआत हाइब्रिड बीजों से करें। बुवाई के लिए नर्सरी तैयार करना आवश्यक है, जहां बीजों को लगभग 1 सेंटीमीटर गहराई में बोना चाहिए। बीज अंकुरित होने के बाद, पौधों को मुख्य खेत में रोपें। पौधों को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है, और ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग जल बचत और पौधों को उचित नमी प्रदान करने के लिए किया जा सकता है। जैविक खाद और संतुलित उर्वरक उपयोग से फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है।
फसल संरक्षण और कटाई
फसल को कीटों और रोगों से बचाने के लिए नियमित निगरानी आवश्यक है। एफिड्स, थ्रिप्स और कटवर्म जैसे कीटों से बचाव के लिए जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें। कटाई तब की जाती है जब आइसबर्ग लेट्यूस का सिर पूरी तरह से विकसित हो जाए और सघन महसूस हो। कटाई के बाद, फसल को ठंडी जगह पर भंडारित किया जाता है, जिससे यह ताजा और सुरक्षित रहती है। इसके भंडारण के लिए तापमान 0 से 2°C होना चाहिए।
विदेशी सब्जी से प्राप्त मुनाफा
आइसबर्ग लेट्यूस की प्रमुख मांग होटल, रेस्तरां और सुपरमार्केट से है, जहां इसे सलाद, सैंडविच और बर्गर में उपयोग किया जाता है। यह विदेशी सब्जी किसानों के लिए एक लाभकारी अवसर बन चुकी है, जो उनकी आमदनी को कई गुना बढ़ा सकती है। एक एकड़ में इसकी खेती में लगभग ₹40,000 से ₹50,000 तक की लागत आती है, जबकि मुनाफा ₹2 लाख से ₹3 लाख तक हो सकता है। यदि विपणन और प्रबंधन सही तरीके से किया जाए, तो यह मुनाफा और भी बढ़ सकता है।