हींग की खेती से कमाएं लाखों रूपए, देखें हींग की खेती करने से लेकर हींग निकालने तक की पूरी प्रक्रिया

3 Min Read
खबर शेयर करें

हींग की खेती: हींग की खेती कर कमाए महीनो लाखो रूपये,जानिए हींग की खेती का तरीका सर्द इलाकों में होती है खेती हींग की खेती के लिये जल निकासी वाली बलुई मिट्टी उपयुक्त रहती है। इसकी रोपाई के लिये भारतीय जलवायु के अनुसार अगस्त से सितंबर के बीच का समय सबसे बेहतर रहता है। दुनियाभर में हींग की तरीब 130 किस्में पाई जाती है, जिसमें भारत की जलवायु के मुताबिक 3 से 4 प्रजातियां उपयुक्त है।

हींग की खेती भारत में कहाँ होती है?

हींग (Asafoetida) सौंफ़ की प्रजाति का एक ईरान मूल का पौधा (ऊंचाई 1 से 1.5 मी. तक) है। ये पौधे भूमध्यसागर क्षेत्र से लेकर मध्य एशिया तक में पैदा होते हैं। भारत में यह कश्मीर और पंजाब के कुछ हिस्सों में पैदा होता है।

असली हींग क्या रेट है?

वहीं हींग का बाजार भाव 35000 रुपए प्रति किलो ग्राम है. हिंग एक सौंफ प्रजाति का पौधा है और इसकी लम्बाई 1 से 1.5 मीटर तक होती है. इसकी खेती जिन देशों में प्रमुख तौर पर होती हैं वो है अफगानिस्तान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान और ब्लूचिस्तान. हींग की खेती के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त होता है.

हींग के पेड़ से हींग कैसे निकलती है?

हींग इस पौधे के जड़ से निकाले गए रस से तैयार किया जाता है ।एक बार जब जड़ों से रस निकाल लिया जाता है तब हींग बनने की प्रक्रिया शुरू होती है ।खाने लायक गोंद और स्टार्च को मिलाकर उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में तैयार किया जाता है। इस तरह हींग बनता है।

हींग का पौधा कैसे लगाया जाता है?

हींग के पौधे को छायादार जगह पर रखें तेज धूप में रखने के बजाय सुबह वाली सनलाइट में इसे बाहर रख दें। 2 घंटे बाद इसे अंदर ले आएं और किसी छायादार जगह पर रख दें। ध्यान रखें कि यह पौधा ठंडी जगह पर लगाया जाता है, ऐसे में अगर आप इसे तेज धूप में रखेंगी तो यह नष्ट हो सकता है।

भारत में सबसे पहले हींग की खेती कहाँ शुरू की?

हिमाचल प्रदेश में सुदूर लाहौल घाटी के किसानों ने पालमपुर स्थित सीएसआईआर संस्था द्वारा विकसित कृषि-प्रौद्योगिकी की मदद से हींग की खेती शुरू की है। हींग की पहली रोपाई 15 अक्टूबर को लाहौल घाटी के गांव क्वारिंग में हुई थी।

स्त्रोत – Gramin Media


खबर शेयर करें
Share This Article
By Harry
Follow:
नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।