Grapes Farming: अंगूर की खेती से भी कमा सकते हैं लाखों का मुनाफा, यह उपाय आजमाएं

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Grapes Farming: भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां पर अधिकांश जनसंख्या द्वारा खेती की जाती है। आज के समय में अगर आप कृषि को एक उद्योग का धंधा बनाना चाहते हैं तो आपको अधिक से अधिक फसलों की खेती करनी होगी। इनकी फसलों के मुकाबले आज के समय में हरी सब्जियों और फलों को व्यापारिक तौर पर उगाना लाभदायक हो गया है। कई सारे किसान फलों सब्जियों की खेती कर अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रहे हैं। अगर आप भी ऐसी ही खेती की तलाश कर रहे हैं तो आपके लिए अंगूर की खेती एक अच्छा विकल्प हो सकती है। इस पोस्ट के माध्यम से आधुनिक तरीके से अंगूर की खेती की जानकारी बताएंगे और इससे प्राप्त होने वाले लाभ की जानकारी भी आपको देंगे।

Grapes Farming: अंगूर की खेती से भी कमा सकते हैं लाखों का मुनाफा, यह उपाय आजमाएं

Grapes Farming: अगर आप भी अंगूर की खेती को व्यापारीक तरीके से शुरू करना चाहते हैं तो आपको अंगूर की उन्नत खेती करने के लिए जल निकास वाली रेतीली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होगी। अंगूर की खेती के लिए अधिक चिकनी मिट्टी हानिकारक मानी जाती है इसलिए दोमट मिट्टी आपको अच्छी पैदावार दे सकती है। अंगूर की उन्नत खेती के लिए गर्म, शुष्क और दीर्घ ग्रीष्म ऋतु अनुकूल मानी जाती है। अंगूर की खेती में फल पकने के समय अगर बारिश या बादल छाए रहते हैं तो यह अंगूर की पैदावार पर असर डाल सकतें हैं। इसकी वजह से दाने फट जाते हैं और फलों की गुणवत्ता पर बहुत बुरा असर पड़ता है।

Grapes Farming: अंगूर की खेती करने के लिए सबसे पहले आपको मिट्टी की जांच करवाना बहुत जरूरी है। अंगूर की रोपाई से पहले आपको मिट्टी की जांच करवाना बहुत आवश्यक है। अंगूर की खेती से पहले खेत को अच्छी तरीके से तैयार कर लेना भी बहुत आवश्यक है। यह जानना भी जरूरी है कि बेल के बीच की दूरी किस्म विशेष और साधने की पद्धति पर निर्भर करती है। सभी सलाहो और नियमों को ध्यान में रखते हुए अंगूर की खेती करने के लिए 90 x 90 सेमी आकार के गड्ढे खोदने के बाद उन्हें 1/2 भाग मिट्टी, 1/2 भाग गोबर की सड़ी हुई खाद और 30 ग्राम क्लोरिपाईरीफास, 1 किलोग्राम सुपर फास्फेट और 500 ग्राम पोटेशियम सल्फेट आदि को अच्छी तरह से मिलाकर भर दें।

Grapes Farming: जनवरी के महीने में इन गड्ढों में एक साल पुरानी जड़वाली कलमों को लगा दें और फिर सिंचाई जरूर करें।अंगूर की बेल की छंटाई के बाद सिंचाई करना जरूरी माना जाता है। फूल आने और पूरा फल बनने (मार्च से मई) तक पानी की जरूरत होती है। सिंचाई कार्य में तापमान और पर्यावरण स्थितियों को ध्यान में रखते हुए 7 से 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए। फल पकने की प्रक्रिया शुरू होते ही पानी बंद कर देना चाहिए। नहीं तो फल फट और सड़ सकते हैं। फलों की तुड़ाई के बाद भी एक सिंचाई अवश्य कर देनी चाहिए। इससे आगे के लिए लाभ होता है। फसल से अच्छा उत्पादन मिलता है।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।
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