Gram Rate Report: चना की स्टॉक में आई कमी, बुवाई कम होने से जल्द बढ़ेंगे भाव, देखें चने की सटीक रिपोर्ट

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Gram Rate Report: केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में रबी सीजन 2022/23 के मौजूदा चना घरेलू उत्पादन में सुधार होकर 136.32 लाख टन से उच्चतम स्तर पर पहुंचने की संभावना जताई गई है। अगर बात करें सीजन 2021-22 के चना में उत्पादन की 135.44 लाख टन में 88000 हजार टन अधिक पैदा हुआ और सीजन 2020-21 के सीजन में चना का कुल उत्पादन 119.10 लाख टन हुआ जिसमें 17.22 लाख टन चना ज्यादा हुआ।

चना की तेजी मंदी रिपोर्ट: चना में रोचक बात यह है कि पिछले साल की तुलना में चालू रबी सीजन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर चना की बुवाई रकबा 114.18 लाख हेक्टेयर से 2.17 लाख हेक्टेयर कम होकर 112.01 लाख हेक्टेयर रह गया है। लेकिन कृषि मंत्रालय को चना की और ऊपर में सुधार होने की उम्मीद है इस साल चना में कोई भी प्राकृतिक आपदा और कीट पतंगों के प्रकोप ना होने से कोई ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है अभी तक अच्छी हालात में फसल है।

Gram Rate Report Today: पिछले साल की तुलना में चालू रबी सीजन के दौरान महाराष्ट्र, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक जैसे राज्यों में चना के बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई लेकिन मध्य प्रदेश, गुजरात एव आंध्र प्रदेश में क्षेत्रफल कॉफी घट गया। उत्तर प्रदेश में बढ़ा है। लेकिन छत्तीसगढ़ में लगभग बराबर रहा। कुछ देश के अन्य राज्यों में भी संयुक्त रूप से चना का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के आसपास ही रहा। हालांकि किसानों को रकबा अधिक उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने हेतु सरकार ने चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2021-22 सीजन के 5130 रु प्रति क्विंटल से 105 रुपए बढ़ाकर 2022-2023 सीजन के लिए 5235 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है।

मगर कमजोर बाजार भाव को देखते हुए कुछ राज्यों में इसकी खेती के प्रति किसानों में उत्साह एवं आकर्षण नहीं बढ़ सका। पिछले अनेक महीनों से चना का थोक मंडी भाव सरकारी समर्थन मूल्य से नीचे चल रहा है। सरकारी एजेंसी नैफेड को एक बार फिर किसानों से भारी मात्रा में चना खरीदने के लिए तैयार रहना होगा।

काबुली चना

सीमित कारोबार के बीच कनाडा में काबुली चना का भाव लगभग स्थिर । पश्चिमी कनाडा की मंडियों में पिछले कुछ दिनों से सीमित कारोबार के बीच काबुली चना का भाव एक निश्चित दायरे में लगभग स्थिर बना हुआ है। व्यापार विश्लेषकों के अनुसार यदयपि कीमतों में कभी-कभार तेजी आती है लेकिन वह टिकती नहीं है और बाजार वापस पुराने स्तर पर आ जाता है। पिछले दो साल से वहां चना बाजार में आपूर्ति की जटिलता देखी जा रही है।काबुली चना कनाडा, मैक्सिको अथवा अमरीका की ‘तुलना में सस्ते या प्रतिस्पर्धी दाम पर उपलब्ध है। जिससे उत्तरी अमरीका महाद्वीप के इन देशों को अपने उत्पादों का निर्यात करने के लिए वैश्विक बाजार में कठिन चुनौती का सामना करना पड़ता है।

कनाडा में चना की बिजाई अप्रैल में शुरू होने वाली है, जो कि जून तक जारी रहेगी। ऊंचे बाजार भाव के कारण किसान काफी उत्साहित हैं और वे काबुली चना का क्षेत्रफल बढ़ाने का प्रयास कर सकते हैं। यदि अगले सीजन में उत्पादन बेहतर होता है, तो कनाडा दाम घटाकर इसका निर्यात बढ़ाने की कोशिश कर सकता है। अन्यथा वहां चना का बकाया स्टॉक बच सकता है।

देसी चना का भाव कब बढ़ेगा?

उत्पादक मंडियों में पुराने चने की आवक लगभग समाप्त हो गई है। उधर सरकारी माल भी बढ़िया क्वालिटी में दाल मीलों को भी प्राप्त नहीं हो रहे हैं। ऐसे में जो माल मंदा भाव के मिल रहे हैं। उससे दाल और बेसन दोनों की क्वालिटी खराब हो रही है। यही कारण है कि वर्तमान में लॉरेंस रोड पर थोड़ा नर्मी के साथ 5120-5125 ₹ प्रति क्विंटल तक चल रहे हैं। देश की राजस्थानी चना के भाव धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। इन सब परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि इस महीने में फिर तेजी लग रही है।

काबुली चना ग्राहकी कमजोर है।

काबुली चना की नई आवक इस समय मंडियों में आ रही है। लेकिन मंडी समितियों में इस समय चने की आवक का दबाव नहीं बढ़ रहा जिसके चलते उत्पादक मंडियों में चना बाजार पिछले 2 दिनों से मजबूत की ओर चल रहा है। वास्तविकता यह है कि पुराना माल इस समय पाइपलाइन में नहीं है। पुराने माल की शादियों में भी इस समय उत्पादक मंडियों से मांग तेज हो गई है।उधर ग्राहकी कमजोर होने की वजह से बाजार रुका हुआ है। लेकिन उत्पादक मंडियों में फसल की आवक अगले सप्ताह बढ़ने की संभावना को देखते हुए, कारोबारी चना की खरीद नहीं रहे है, जिसके चलते बाजार आगे थोड़ा और मंदा हो सकता है। व्यापार अपने विवेक से करें, किसी भी फसल में तेजी या गिरावट आने वाली स्थिति पर भी निर्भर करती है।

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