8 बीघा में 4 लाख का मुनाफा पारंपरिक खेती छोड़ गोभी उगाई; गुना से इंदौर, कोटा तक सप्लाई

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kisan news : सर्दियों के सीजन में सबसे ज्यादा कोई सब्जी मार्केट में दिखाई देती है तो वो है फूल गोभी, लेकिन एक किसान ऐसा भी है जो गोभी के अलावा किसी और की खेती नहीं करता। सालभर वो गोभी के भरोसे रहता है और गोभी भी उसका भरोसा नहीं तोड़ती। यही कारण है कि यह किसान आज गोभी की बदौलत मालामाल हो चुका है।

एक समय था, जब यह किसानी पारंपरिक खेती करता था। फिर इसने गोभी लगाना शुरू किया और नतीजा सामने हैं। स्मार्ट किसान में आज पढ़िए राघोगढ़ के किसान मनीष चौधरी की स्मार्ट खेती का किस्सा , पारंपरिक खेती में लागत ज्यादा मुनाफा कम था मनीष के दादाजी पारंपरिक खेती करते थे। उनके खेतों में अनार, अमरूद, देसी नारियल तक के पेड़ थे। वर्षों से उनका परिवार पारंपरिक खेती ही करता चला आ रहा था। परेशानी यह थी कि परंपरागत खेती में लागत बढ़ती जा रही थी और मुनाफा कम होता जा रहा था। ऐसी स्थिति में ऐसे विकल्प की तलाश थी, जिसमें लागत कम आए और मुनाफा भी अधिक हो,

लागत 22 हजार मुनाफा 70 हजार
मनीष ने बताया कि भाव जैसा मिलता है, उस हिसाब से ही मुनाफा होता है। पिछले दो वर्षों से 8 बीघा में लगभग 4 लाख का मुनाफा ले रहे हैं। आमतौर पर गोभी की कीमत 18 से 20 रुपए प्रति किलो होती है। अगर ऑफ सीजन हो तो 13 से 15 रुपए किलो भाव मिल जाता है। डिमांड ज्यादा रही तो 25 रुपए किलो तक का भाव आसानी से मिल जाता है। एक बीघा में लगभग 20 से 22 हजार रुपए की लागत आती है। बीज, हकाई-जुताई, सिंचाई, मजदूरी मिलाकर 20 से 22 हजार रुपए खर्च होते हैं। दाम अच्छे मिले, तो एक बीघा से मुनाफा 60 से 70 हजार रुपए तक होता है।

राजस्थान तक जाती है फसल
गुना के राघोगढ़ की गोभी प्रदेश के कई जिलों के अलावा राजस्थान तक भेजी जाती है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर के अलावा राजस्थान के कोटा, छबड़ा तक गोभी की सप्लाई होती है। मनीष बताते हैं कि इससे और लोगों को भी रोजगार मिल रहा है। निंदाई करने के लिए मजदूरों की जरूरत होती है। फिर फसल की कटाई में भी मजदूर लगते हैं। ऐसे में उन्हें भी रोजगार मिलता है। इसके अलावा कटाई के दौरान जो पत्ते निकलते हैं, उन्हें मवेशी बड़े चाव से खाते हैं। आसपास के लोग उनके खेत पर आकर ये पत्ते ले जाते हैं।


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