गेहूं किसानों के लिए खबर: गेहूं की फसल में नमी के कारण नहीं मिलेंगे अधिक भाव, देखें गेहूं की कीमतों पर रिपोर्ट

Rate this post

मध्य प्रदेश में नए गेहूं की आवक मार्च में ही शुरू हो गई है। मगर बाजार में आ रहे गेहूं में कमी की मात्रा अधिक है। इस वजह से कारोबारी और बड़ी कंपनियां खरीदारी से परहेज कर रही हैं। कारोबारी किसान से कुछ भी खरीद रहे हैं तो एमएसपी से कम भाव दे रहे हैं। केंद्रीय खाद्य सचिव श्री संजीव चोपड़ा ने कहा कि मध्य प्रदेश में गेहूं की खरीद के लिए गुणवत्ता गंदगी में फंस गया है और पंजाब और हरियाणा में भी जल्द ही ऐसा करने पर विचार किया जाएगा।

भारतीय किसान यूनियन के किसान नेता राकेश टिकैत ने किसानों का समर्थन करते हुए इस सन्दर्भ में कहा, “केंद्र सरकार द्वारा व्हीट की खरीद में काले शेयर व जाने वाले वाले के 5 से 37 रु क्विंटल चयन के आदेश को वापस ले गए। बेमौसम वर्षा से खराब हुई निराश का कोई मिला नहीं, ऊपर से यह किसानों के जख्मों पर नमक जैसा है।”

ज्यादातर विशेषज्ञ मान रहे हैं कि देश में आगे मौसम साफ नहीं हो रहा है और बारिश नहीं हुई है तो गेहूं का उत्पादन 10.5 करोड़ टन के करीब रह सकता है। मगर सीजन खराब रहा तो उत्पादन 10 करोड़ टन के नीचे जा सकता है। सरकार के दूसरे पूर्व अनुमानों के मुताबिक इस साल 11.22 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हो सकता है। पिछले साल मार्च में तापमान में रिकॉर्ड टूटा और लू के कारण गेहूं का उत्पादन गिरा। सरकारी अनुमान के मुताबिक तब 10.77 करोड़ टन गेहूं हुआ था। मगर बाजार सूत्रों का कहना है कि उत्पाद गिरकर 9.7 करोड़ टन ही रह गया था।

उत्पादन घटने और कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक रहने के कारण पिछले साल सरकार की खरीद काफी कम हो रही थी क्योंकि किसानों ने निजी उद्यम और कारोबारियों को किसी चीज पर बिक्री पसंद की थी। पिछले साल सरकारी खाते पर केवल 1.88 करोड़ टन गेहूं बीका था, जो 2021-22 के 4.33 करोड़ टन गेहूं की तुलना में 56.58 प्रतिशत कम रहा। इस साल 3.41 करोड़ टन व्हीकल व्हीकल की सरकार का लक्ष्य है।

खुले बाजार में गेहूं की बिक्री की सरकारी घोषणा से पहले जनवरी के मध्य में भाव 3,200 रुपये प्रति क्विंटल तक चले गए थे। लेकिन जनवरी के आखिरी हफ्ते में 30 लाख टन गेहूं की खुली बिक्री के जजमेंट के बाद भाव घटने लगे। फरवरी में सरकार ने 20 लाख टन व्हीकल और वेल्डर का फैसला लिया और इसका मूल्य भी घटाकर 2,125 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया। 15 मार्च तक सरकार ने 33.77 लाख टन गेहूं खुले बाजार में लटका दिया है। इन सभी दस्तावेज़ों का असर बहुत से सांकेतिक शब्दों पर हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी व्हाईट की मौजूदा सेल पिछले वर्षों में 30 फीसदी कम हैं।

यूक्रेन और रूस के बीच शुरू हुई जंग के कारण आपूर्ति में रुकावट आई, जिससे पिछले साल मई में वैश्विक स्तर पर 450 डॉलर प्रति टन से ऊपर गए थे, जो अब 280 डॉलर प्रति टन के आसपास हैं। परिणामस्वरूप गेहूं की कीमत कई राज्यों में तो एमपीपी से नीचे यानी 1,800 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल तक रह गए, एमएसपी 2,125 रुपये प्रति क्विंटल है। आगे मौसम खराब होने से व्हीट का उत्पादन और गुणवत्ता दोनों ही घटेंगे और भाव बढ़ सकते हैं।

  social whatsapp circle 512
WhatsApp Group
Join Now
2503px Google News icon.svg
Google News 
Join Now
Spread the love