
kisan News: मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, और राजस्थान में किसानों द्वारा गेहूं की खेती बड़ी मात्रा में की जाती है। गेहूं की खेती करने वाले किसानों के लिए आज हम इस पोस्ट के माध्यम से कुछ जरूरी जानकारी लेकर आए हैं जिसमें हम आपको गेहूं की सबसे सर्वश्रेष्ठ 5 किस्मों के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। गेहूं की यह किस्में आपको कम लागत में अधिक मुनाफा प्रदान कर सकती है। गेहूं की यह किस्में अधिक उत्पादन के साथ-साथ बंपर मुनाफा भी देगी।
Kisan News: रबी सीजन में अधिकतम गेहूं और चना फसल की बुवाई की जाती है। आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको गेहूं की उन्नत किस्मों की जानकारी देंगे जिनसे आप कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते है। गेहूं की पांच उन्नत किस्मों की जानकारी नीचे दी गई है:-
गेहूं की 5 नई उन्नत किस्में ( Great variety of wheat )
01- करण बंदना
• यह गेहूं की विशेष किस्म है जिसे बीबीडब्ल्यू 187 भी कहते हैं।
• करण वंदना किस्म की यह फसल लगभग 120 दिन में पक कर तैयार हो जाती है।
• इसकी औसतन उपज 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
02- करण नरेंद्र
• गेहूं की यह किस्म खास किस्मों में से एक है इसमें किस्म को बीबीडब्ल्यू 222 के नाम से जाना जाता है।
• करण नरेंद्र लगभग 143 दिन में पक कर तैयार हो जाती है और इसकी उपज लगभग 65% प्रति हेक्टेयर होती है।
• आपको बता दें कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद करनाल द्वारा इस किस्म को विकसित किया गया था जो किसानों के लिए सन 2019 में आई थी जब से यह काफी लोकप्रिय है।
03- पूसा यशस्वी
• पूसा यशस्वी के समय खास तौर पर हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड और कश्मीर राज्य में उगाई जाती है।
• इस किस्म की उपज 57% से लेकर 79% प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है।
• इस किस्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह फफूंदी और सड़न रोग के लिए रोग प्रतिरोधी है।
• इसके साथ साथ इस फसल का बुवाई का समय नवंबर माह होता है।
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04- करण श्रेया
• उत्तर प्रदेश बिहार झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में गेहूं की किस्म की अधिक खेती की जाती है।
• इसे पकने में लगभग 125 दिन लगते हैं और इस किस्म की उपज लगभग 55% प्रति हेक्टेयर होती है।
05- डी डी डब्ल्यू 47
• गेहूं की किस्में राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश के राज्यों में सबसे ज्यादा उगाई जाती है।
• इस केस में से दलिया और सूजी अधिक बनाई जाती है।
• यह किस्म की उपज लगभग 70% प्रति हेक्टेयर से अधिक होती है।
• इस किस्म में बीमारियों से लड़ने में स्वयं ही सक्षम होती है इसलिए किसान फसल को अधिक पसंद करते हैं।
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